पांडा भी झेलते हैं अकेलेपन का दर्द
अब तक वैज्ञानिकों को लगता था कि पांडा की प्रकृति ही अकेले रहने की होती है. लेकिन एक नई स्टडी इस पर रोशनी डालती है कि इन्हें भी दूसरों के साथ वक्त बिताना अच्छा लगता है.
मिल बांट कर खाना
चीन में बांस के जंगलों से ढके पहाड़ों में पांडा का प्राकृतिक आवास है. हर दिन यह करीब 10 से 20 किलो तक बांस के पेड़ खा जाता है. खाने के समय संगत मिले तो भोजन का मजा दोगुना हो जाता है.
साथ हो तो बेहतर
अमेरिकी और चीनी वैज्ञानिक बता रहे हैं कि पांडा स्वभाव से ही एकाकी नहीं होते. इन्होंने पांच पांडा के गले में जीपीएस वाले पट्टे लगाकर 2 सालों तक उनकी आदतों का निरीक्षण किया. रिसर्चरों को यह देखकर हैरानी हुई कि इनमें से 3 ने तो अपना ज्यादातर समय साथ ही बिताया.
निजता भी चाहिए
पांडा को उसके प्राकृतिक आवास में देखना बहुत आसान नहीं होता. वैज्ञानिकों ने इन पर ज्यादातर प्रयोग चिड़ियाघरों या ब्रीडिंग सेंटरों पर ही किए थे. ये रात को ज्यादा सक्रिय होते हैं और दिन भर किसी गुफा या पेड़ के खोखले तनों में सोते हैं.
रोमांस? आज मूड नहीं...
स्टडी ने दिखाया है कि जितना हमने सोचा था पांडा उससे अधिक सामाजिक प्राणी हैं लेकिन इनके संबंध काफी प्लेटॉनिक होते हैं. मादा पांडा तो साल में केवल 2 दिन ही सेक्स के लिए ग्रहणशील होती है - बाकी समय वह केवल दोस्ती चाहती है.
पहले कदम
पांडा के नन्हे बच्चों को देखना बड़ा विस्मयकारी होता है. यह प्यारे, फर वाले पशु 80 दिन के होते होते चलना शुरु करते हैं और 20 से 30 साल लंबी जिंदगी जीते हैं.
ना आंखें, ना दांत और ना फर
नवजात पांडा वजन में मात्र 90 से 120 ग्राम के होते हैं. इनकी लंबी पूंछ होती है और शरीर पर बाल नदारद होते हैं. इस समय यह पांडा जैसे कम और चूहे या छूछूंदर जैसे ज्यादा लगते हैं.
इन शर्मीलों को बचाएं कैसे
वैज्ञानिक इन जीवों को विलुप्ति से बचाने के लिए काफी रिसर्च कर रहे हैं. अब वे एक मादा पांडा के हाव भाव देख कर उसके सेक्शुअली रिसेप्टिव दिनों के बारे में बता सकते हैं. इस समय पर कृत्रिम तरीके से इंजेक्शनों के द्वारा उन्हें गर्भवती करने की संभावना बढ़ जाती है.
ढेरों पांडा
चीन में तो पांडा को बचाना एक राष्ट्रीय लक्ष्य बन गया है. पिछले एक दशक में उनकी संख्या 268 से 1,864 तक बढ़ाने में कामयाबी भी मिली है. उनके स्वभाव के बारे में समझने से उन्हें बचाने में और मदद मिल सकेगी.