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पांच साल बे-नजीर पाकिस्तान

२६ दिसम्बर २०१२

कभी करिश्मा, तो कभी आरोपी. कभी घुटी हुई नेता तो कभी ममतामयी मां. सत्ता से भी प्यार और वतन से भी. दुनिया की सबसे बड़ी महिला नेताओं में शामिल बेनजीर भुट्टो को चाहे किसी घेरे में बांध लें, उनकी कमी पांच साल बाद भी खलती है.

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तस्वीर: dapd

ऐसी ही सर्दी की दोपहर थी और ऐसे ही चुनावों का मौका था, जब बेनजीर ने रावलपिंडी में रैली की. इसके बाद की कुछ गोलियों ने दक्षिण एशिया की सबसे ताकतवर महिला को खामोश कर दिया. पांच साल बीत जाने के बाद भी मौत का राज पर्दे में है और पांच साल सत्ता में रहने के बाद भी उनकी पार्टी खुद को लाचार और लावारिस महसूस कर रही है.

पाकिस्तान के राजनीति शास्त्री हसन असकरी रिजवी कहते हैं कि बेनजीर की मौत पाकिस्तान के लोगों के लिए संदेश लेकर आई, "लोगों ने सीखा है कि उग्रवाद खतरा है और उन्हें लोकतंत्र का समर्थन करना चाहिए. नकारात्मक असर यह है कि उनकी मौत ने पार्टी के अंदर नेतृत्व का संकट पैदा कर दिया है, जो अब तक सुलझ नहीं पाया है."

निर्वासन के बाद

फौजी ताकत जब 2007 में दम तोड़ रही थी, तो पाकिस्तान में बेनजीर भुट्टो की तस्वीर में जम्हूरियत का आईना दिख रहा था. लंदन और दुबई में नौ साल का बनवास खत्म कर बेनजीर घर लौट रही थीं. मुशर्रफ सरकार को अनहोनी की चिंता खाए जाती थी. उन्होंने घर वापसी की इजाजत तो दी लेकिन हमलों की चेतावनी के साथ. तब सरकार के एक नुमाइंदे ने कहा, "हमारे पास इस बात की पक्की सूचना है कि मोहतरमा बेनजीर भुट्टो की जान को खतरा है. सरकार उन्हें सलाह देती है कि वह लंबी रैलियों से परहेज करें."

लेकिन बेनजीर वतन वापसी का इरादा पक्का कर चुकी थीं. दुबई से कराची की फ्लाइट से ठीक पहले उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि सबसे बड़ी सुरक्षा खुदा के पास से आती है और खुदा ने चाहा तो सब कुछ ठीक होगा."

पूरे परिवार पर संकट

लेकिन खुदाई बेनजीर भुट्टो पर मेहरबान नहीं थी. पिता जुल्फिकार अली भुट्टो की फांसी और दो भाइयों की वक्त से पहले मौत देख चुकीं बेनजीर ने जिस दिन पाकिस्तान में कदम रखा, उसी दिन उनकी रैली में खुदकुश हमला हो गया. तब बेनजीर तो बच गईं लेकिन सैकड़ों लोगों की जान चली गई.

Pakistan Benazir Bhutto ermordet Reaktionen Zeitungsleser in Rawalpindi
तस्वीर: AP

सिर्फ 35 साल की उम्र में किसी मुस्लिम राष्ट्र की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने वाली बेनजीर भुट्टो में अगर राजनीतिक तजुर्बे की कमी थी, तो उनकी करिश्माई शख्सियत और विरासत में मिली दूरदृष्टि इसकी भरपाई करती थी. भारत के साथ रिश्ते बेहतर करने की कोशिश और जिया उल हक की नीतियों की वजह से आतंकवाद की राह पर चल पड़े पाकिस्तान को वैज्ञानिक और आर्थिक विकास को लेकर उनकी समझ ने उन्हें जल्द ही पूरी दुनिया में शोहरत दे दी. रिजवी कहते हैं, "भुट्टो का अपनी पार्टी के अंदर और उसके बाहर भी बहुत आकर्षण था. वे अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की पहचान थीं. किसी दूसरे पाकिस्तानी को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेनजीर जितनी मान्यता नहीं मिली."

बेनजीर पर आरोप

लेकिन घरेलू मोर्चे पर नाकामी और पति आसिफ अली जरदारी की बदनामी से बेनजीर भुट्टो पाक साफ नेता नहीं बन पाईं. जरदारी का नाम भ्रष्टाचार में इस कदर फंस चुका था कि उन्हें मिस्टर 10 पर्सेंट (कमीशन लेने वाला) कहा जाने लगा था. विदेशी बैंक खातों में अकूत पैसे रखने के आरोप लगे.

दूसरी पारी में पाकिस्तान की फौज और अफगानिस्तान के साथ रिश्तों की वजह से भी बेनजीर पर सवाल उठे. आजादी के बाद से ही पाकिस्तान में फौज की ताकत सरकारों से ज्यादा रही है. लेकिन बेनजीर उसके साथ मेल नहीं बिठा पाईं. अफगानिस्तान में 1996 में जब तालिबान तख्ता पलट रहा था, बेनजीर की सरकार साथ दे रही थी. पिता जुल्फिकार अली भुट्टो की तरह बेनजीर भी अफगानिस्तान में हर उस मुद्दे के साथ थीं, जो पाकिस्तान के फायदे में जाता हो.

हालांकि 9/11 और दूसरी घटनाओं ने बेनजीर को बदल दिया. दस साल बाद उन्हें लगने लगा कि पाकिस्तान खुद भी इस्लामी चरमपंथ की चपेट में आ सकता है. फौजी शासन को उखाड़ फेंकने की वकालत करने वाली बेनजीर ने 2007 में घर लौटने पर कहा, "मुझे लगता है कि पाकिस्तान का इस्लामी कट्टरपंथियों के हाथ में जाने का खतरा है. मुझे लगता है कि देश को बचाने के लिए हमें यहां लोकतंत्र लाना ही होगा."

आखिरी रैली

पाकिस्तान को लेकर बेनजीर भुट्टो का अंदेशा पता नहीं कितना सही हुआ लेकिन यही इस्लामी चरमपंथ उनकी जान का दुश्मन बन गया. 27 दिसंबर 2007 को रावलपिंडी में चुनावी रैली के दौरान उन्होंने खुली जीप से दो घड़ी सिर बाहर निकाला. लेकिन इतने ही समय में उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया गया. भुट्टो परिवार का एक और सदस्य बेवक्त मौत की गोद में समा गया. आरोप पाकिस्तानी तालिबान पर लगे.

बेनजीर की असमय मौत से पाकिस्तान पीपल्स पार्टी को 2008 के चुनाव में असीम सहानुभूति मिली. सरकार बन गई. घोटालों के आरोप में आठ साल जेल में रहने वाले पति आसिफ अली जरदारी पाकिस्तान के राष्ट्रपति बन गए. 24 साल के बेटे बिलावल भुट्टो पार्टी के सह अध्यक्ष बन गए. पाकिस्तान ने पहली मर्तबा पूरे पांच साल चुनी हुई सरकार के साथ काट लिए लेकिन बेनजीर की कमी पूरी नहीं हो पाई है. राजनीतिक विश्लेषक फारुक हमीद खान कहते हैं, "बेनजीर भुट्टो की मौत के बाद नेतृत्व की खाली जगह अभी भी नहीं भर पाई है."

रिपोर्टः अनवर जे अशरफ

संपादनः महेश झा

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