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क्या मा-शी भेंट से सुलझेगा ताइवान विवाद

४ नवम्बर २०१५

दक्षिणी चीन सागर पर विवादों के बीच इस हफ्ते चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और ताइवान के राष्ट्रपति मा यिंग-जेऊ के बीच ऐतिहासिक बातचीत हो रही है. चीनी नेताओं की मुलाकात की घोषणा पर ताइवान पर विरोध भड़क गया है.

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मुलाकात का विरोधतस्वीर: Reuters/P. Chuang

चीन पर साम्यवादी विजय के बाद छह दशकों में चीनी नेताओं की यह पहली मुलाकात है. राष्ट्रपति शी जिनपिंग शनिवार को मा यिंग-जेऊ के साथ पहली बार आमने सामने होंगे. चीन के ताइवान मामलों के वरिष्ठ अधिकारी ने इस मुलाकात को मील का पत्थर बताया है. चीन के ताइवान वर्क ऑफिस के प्रमुख झांग झीजुन ने मा-शी भेंट के बारे में कहा, "ये अहम कदम है जो लोगों की इच्छा और समय के रुझान के अनुकूल है."

मुश्किल रिश्ते

1949 में गृहयुद्ध में साम्यवादियों की विजय और राष्ट्रवादियों के ताइवान भागने के बाद से चीन और ताइवान के रिश्ते अत्यंत मुश्किल रहे हैं. साम्यवादी पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना स्वायत्त ताइवान पर दावा करता रहा है और उसे विद्रोही प्रदेश मानता रहा है. ताइवान अपने को चीन का लोकतांत्रिक प्रतिनिधि मानता है. दोनों के बीच कूटनीतिक संबंध नहीं हैं.

ताइवान के राष्ट्रपति मा को बातचीत का निमंत्रण चीन की ताइवान नीति में भारी बदलाव के रूप में देखा जा रहा है. वह अब तक साम्यवादी चीन का नेतृत्व इस तरह की मुलाकात से इंकार करता रहा है ताकि अपने को चीन गणतंत्र कहने वाले ताइवान के नेताओं को वैधता न मिल सके. गृहयुद्ध में जीत के बाद से कम्युनिस्ट नेतृत्व ताइवान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग थलग करने की भी कोशिश करता रहा है. वह एक चीन नीति के तहत ताइवान को मिलाना चाहता है और बल प्रयोग की भी धमकी देता रहा है.

मुलाकात का विरोध

मा-शी बैठक के विरोध में ताइवान की राजधानी ताइपेह में सैकड़ों निवासियों ने संसद भवन के बाहर प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारी मा-शी बैठक नहीं हो और मा यिंग जेऊ को वापस बुलाओ जैसे नारे लगा रहे थे. प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे राजनीतिक विश्लेषक युंग-मिंग सू ने कहा, "बीजिंग का कदम न सिर्फ जनवरी में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों को प्रभावित करेगा बल्कि यह ताइवान के लोकतंत्र पर भी हमला है." सू ने कहा कि मा गुपचुप कूटनीति के जरिये ताइवान की संप्रभुता बेच रहे हैं.

मा-शी मुलाकात की खबर पर ताइवान के राजनीतिक दलों में संकोच भरी प्रतिक्रिया हुई है. विपक्षी डेमोक्रैटिक प्रोग्रेसिव पार्टी की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार साई इंग-वेन ने कहा कि खबर से वे चकित हुई हैं. उन्होंने कहा, "बड़ी घटना के बारे में लोगों को ऐसी जल्दबाजी में बताना ताइवान के लोकतंत्र के लिए हानिकारक है." उन्होंने कहा कि घोषणा के बाद से लोगों के मन में बहुत से सवाल उठ रहे हैं, राष्ट्रपति मा को इन आवाजों का सामना करना होगा. संसद प्रमुख वांग जिन-पिंग ने कहा कि संसद शांति और क्षेत्रीय स्थिरता में मददगार किसी भी बातचीत का समर्थन करती है.

अपने अपने दावे

चीन की सरकार शिन्हुआ एजेंसी ने कहा है कि बातचीत एक चीन वाले सिद्धांत के तहत होगी. समाचार एजेंसी ने कहा है कि दोनों के बीच राजनीतिक मतभेदों का समाधान नहीं हुआ है. उधर ताइवानी राष्ट्रपति मा के दफ्तर के अधिकारियों ने कहा है कि सिंगापुर में शी जिनपिंग के साथ बातचीत में न तो कोई समझौता होगा और न ही बातचीत के बाद कोई संयुक्त बयान जारी किया जाएगा.

अमेरिका ने मा-शी बैठक की खबर का स्वागत किया है और कहा है कि ताइवान जलडमरूमध्य में उसकी गहरी और स्थायी दिलचस्पी है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता एलिजाबेथ ट्रूदो ने कहा, "दोनों पक्षों के बीच स्थायी और सकारात्मक संबंधों का उनके अलावा अमेरिका और इलाके को भारी लाभ मिला है."
एमजे/ओएसजे (डीपीए)