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पहली बार मंथन देखा!

२२ अप्रैल २०१३

वेबसाइट पर दी गई जानकारियां व मंथन शो का नवीनतम एपीसोड पाठकों को कैसा लगा, जानिए उन्ही की जुबानी.

https://p.dw.com/p/18Knr
Sendungslogo TV-Magazin "Manthan" (Hindi)
तस्वीर: DW

शनिवार को टीवी पर मैंने पहली बार मंथन देखा तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा. ईशा भाटिया ने प्रोग्राम पेश किया. खूब जानकारी मिली, शनिवार को ज्यादातर ऑफिस में होने की वजह से मैं यह प्रोग्राम नहीं देख पाता था, इस बार किस्मत से टाइम मिल गया. आपके इस हिंदी प्रोग्राम के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.

गुरदीप सिंह दाउदपुरी, कपूरथला, पंजाब

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मैं आपको यह मेल नेपाल के सुर्खेत शहर से लिख रहा हूं. मेरे पड़ोसी अंकल यादव पौडाल ने मुझे आपकी वेबसाइट देखने के लिए प्रोत्साहित किया है. मुझे आपकी वेबसाइट बड़ी पसंद आई और उम्मीद है कि भविष्य में भी मैं नियमित रूप से देखता रहूंगा. अब मैं अपनी 8वीं कक्षा के परिणाम का इंतजार कर रहा हूं. आशा करता हूं कि मैं आपकी वेबसाइट से हिंदी, अंग्रेजी, सीख पाऊं और दुनिया व जर्मनी के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त कर सकूं. मुझे अपने नए पाठक के रूप में स्वीकार करें.

सौरव गौतम, सुर्खेत, भेरी जोन, नेपाल

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आज मैंने यूट्यूब पर मंथन के बहुत सारी कहानियां देखी. बहुत अच्छा लगा. समय के साथ साथ माध्यम में परिवर्तन हो रहा है. आपकी हर रिपोर्ट बड़ी दिलचस्प लगी. डीडब्ल्यू हिंदी सर्विस के कुछ पुराने मित्रों के अलावा कुछ नए मित्रों को भी सुनने के साथ साथ देखने को भी मिला. आप सभी को हर वक्त मेरी शुभकामनाएं.

सुब्रत कुमार पाती, रेडियो जॉकी, भुवनेश्वर

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"बहुत जिम्मेदार होते हैं जर्मन" - जर्मनी में रिसर्च करने गए भारतीय नवीन कुमार ने अपने जो उदगार जर्मनों के बारे में व्यक्त किए हैं वो सोलह आने सच हैं क्योंकि मैंने भी ये पढ़ रखा है कि ज्यादातर जर्मन अपने देश के प्रति काफी गंभीर होते हैं उतना ही जितना अपने या अपने परिवार के प्रति. फिर साफ-सफाई तो प्रगति और स्वास्थ्य दोनों का बेहद जरूरी हिस्सा है. एक जिम्मेदार नागरिक किसी देश की तरक्की का स्तंभ होता है. इस आर्टिकल के साथ डीएडी का लिंक देकर आपने बहुत अच्छा किया. जर्मनी में रिसर्च करने वाले जरूरतमंद प्रतिभागियों को इससे काफी मदद मिल जाएगी.

रवि श्रीवास्तव, इंटरनेशनल फ्रेंड्स क्लब, इलाहाबाद

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संकलनः विनोद चड्ढा

संपादनः एन रंजन