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पहली बार धूमकेतु की धूल आई धरती पर

१६ नवम्बर २०१०

जापान का अंतरिक्ष यान एक धूमकेतु से वहां के धूल कण लेकर पृथ्वी पर वापस लौटा है. जापान के वैज्ञानिकों का दावा है कि किसी धूमकेतु से धरती पर धूल लाने में पहली बार सफलता मिली है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

जापान के वैज्ञानिकों ने मंगलवार को बताया कि अंतरिक्ष यान हायाबूसा को धूमकेतु इटोकावा की धूल लाने में कामयाबी मिली है. इन धूलकणों से सौरमंडल सहित सृष्टि की उत्पत्ति पर पड़े रहस्य के पर्दे को उठाने में मदद मिल सकेगी.

जापान के इस अभियान के प्रमुख जूनीचीरो कावागूची ने बताया कि हायाबूसा को वर्ष 2003 में सुदूर अंतरिक्ष में भेजा गया था. यह दो साल की यात्रा के बाद धरती से 30 करोड़ किलोमीटर दूर स्थित इटोकावा धूमकेतु पर 2005 में पंहुच गया. हायाबूसा कुछ समय तक धूमकेतु पर रहा और इसकी सतह के नमूने लेकर इस साल जून में ही इसकी वापसी हुई. अंतरिक्षयान अपने साथ धूमकेतु की धूल के सेंपल भी लाया है जिनका लगातार विश्लेषण किया जा रहा है.

जापान के विज्ञान और तकनीकी मंत्री योशीयाकी ताकागी ने इसे बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि किसी धूमकेतु के धूलकण धरती पर लाने में पहली बार कामयाबी मिली है. ताकागी ने कहा कि इससे पहले अब तक सिर्फ चांद की धूल और पत्थर ही पृथ्वी पर लाए जा सके हैं.

कावागूची ने भी इसे कई मायनों में चमत्कारिक उपलब्धि बताया. उन्होंने कहा कि इस अभियान के दौरान एक समय ऐसा भी आया जब अंतरिक्ष यान का संपर्क नियंत्रण केन्द्र से टूट गया. उन्होंने बताया, "तीन सप्ताह तक संपर्क टूटा रहने के बाद हमारी उम्मीद भी टूट गई. लेकिन अंतरिक्ष के असीम में किसी यान को खोने के इतने लंबे समय बाद फिर से उससे संपर्क कायम होना चमत्कार ही तो है."

जून में हायाबूसा अब तक की सबसे लंबी अंतरिक्ष यात्रा पूरी कर वापस पृथ्वी पर लौट आया. कावागूची का कहना है कि यह अभियान गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करने लायक है.

उन्होंने बताया कि इटोकावा की सतह पर हायाबूसा प्लास्टिक में लिपटी धातु की एक बड़ी सी गेंद भी छोड़कर आया है. इस पर दुनिया भर के 149 देशों से चुने गए 880000 लोगों के नाम लिखे हैं. इन नामचीन लोगों में अमेरिकी फिल्मकार स्टीवन स्पीलवर्ग और विज्ञान से जुड़ी काल्पनिक कहानियों के ब्रिटिश लेखक ऑर्थर सी क्लार्क का नाम भी शामिल है.

रिपोर्टः एजेंसियां/निर्मल

संपादनः महेश झा

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