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पश्चिम की नई युवा पीढ़ी

३ अक्टूबर २०१०

जर्मनी के लगभग 20 फीसदी लोगों ने विभाजित देश नहीं देखा है, उनका जन्म 1990 के बाद हुआ है. क्या सोचते हैं वे जर्मन एकीकरण के बारे में? क्या यह पीढ़ी एकीकृत देश की पीढ़ी बन पाई है?

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तस्वीर: DW

सुबह सुबह माथेओ ब्रोसेटे जब बिस्तर छोड़कर उठता है, तो अक्सर काफी देर हो चुकी होती है. जल्दी जल्दी नहाना, कपड़े पहनना, मुंह में डबलरोटी का एक टुकड़ा, स्कूल की ओर भागना. जब तक वह वहां पहुंचता है, स्कूल की घंटी बजती होती है. "गनीमत है कि स्कूल घर से सिर्फ 20 मीटर दूर है. जब तक टीचर अपने रूम से क्लास तक पहुंचते हैं, मैं भी पहुंच जाता हूं," वह मुस्कराते हुए कहता है. उसका घर कोलोन के बायनथाल इलाके में है, एक मध्यवर्गीय इलाका.

Porträt Matteo Brossette
17 साल के माथेओ ब्रोसेटेतस्वीर: DW

इतिहास है यह स्कूली बच्चों के लिए

पेत्रा लिनसेन इतिहास पढ़ाती हैं. आज का विषय है, जर्मनी का हाल का इतिहास. वह पूछती हैं, बर्लिन की दीवार किसने देखी है. आधे से अधिक बच्चे हाथ उठाते हैं. "पश्चिम बर्लिन की ओर तो दीवार काफी रंगीन दिखती है. पूरब में कैसी दिखती है," वह पूछती हैं. एक बच्चा कहता है, "बिल्कुल बेकार. वहां तो वे रंग भी नहीं सकते थे." पेत्रा लिनसेन पूछती हैं कि ऐसा क्यों था. एक दूसरा बच्चा जवाब देता है, "दीवार तक कोई आता कैसे? गोली मार दी जाती."

Grundkurs Geschichte St. Irmgardis-Gymnasium Köln
सेंट इर्मगार्डिस हायर सेकेंडरी स्कूल में इतिहास की कक्षातस्वीर: DW

जीडीआर, दीवार का गिरना, एकीकरण - आज की पीढ़ी इन्हें सिर्फ फिल्मों के जरिये जानती है. जर्मन एकीकरण उनके लिए मानी हुई बात है. 17 साल का एक किशोर कहता है, "मैं नहीं मानता कि दिमाग के अंदर दीवार बनी हुई है. मेरे लिए तो देश हमेशा एक ही रहा है. दूसरे किशोर किशोरियां हामी भरते हैं."

मिट चुके हैं अंतर

थोमास गेनजिके म्युनिख के सर्वेक्षण संस्थान इन्फ्राटेस्ट में समाजशास्त्री के रूप में काम करते हैं. उनका विषय है युवाओं पर शोध. उनका मानना है कि एकीकरण के 20 साल बाद पूरब और पश्चिम की युवा पीढ़ी के बीच समरसता देखी जा सकती है, क्योंकि उनके लिए मौके लगभग बराबर हैं. लेकिन अगर बारीकी से देखा जाए तो फर्क भी नजर आते हैं. पश्चिम के युवाओं की आर्थिक स्थिति बेहतर है. इसलिए पूरब के युवाओं में आशावादिता कुछ कम है, भविष्य की चिंता अधिक है. थोमास गेनजिके की राय में इसमें अचरज की कोई बात नहीं है. पूरब के युवाओं के बीच बेरोजगारी पश्चिम के मुकाबले दोगुनी है.

माथेओ ब्रोसेटे को भविष्य की चिंता नहीं है. अच्छा खाता पीता परिवार है. वह हायर सेकेंडरी में अच्छे नंबरों से पास होना चाहता है, आर्किटेक्चर की पढ़ाई करना चाहता है, अपने पसंदीदा शहर मैड्रिड में जीना चाहता है.

Matteo und Josephine auf dem Motorroller
माथेओ और उनकी दोस्त योजेफीनेतस्वीर: DW

म्यूजिक के इर्दगिर्द जिंदगी

दोपहर के बाद उसकी सहेली योजेफिन आती है. वह शहर के बाहरी हिस्से में रहती है. दोनों गैरेज में जाते हैं, जिसे उन्होंने एक स्टूडियो बना दिया है. यहां मिक्सर हैं, म्यूजिक ऐलबम हैं, लैपटॉप है. माथेओ खुद भी म्यूजिक पेश करता है, सॉफ्ट टेक्नो और हाउस म्यूजिक. वह योजेफिन को कुछ रीमिक्स सुनाता है.

म्यूजिक सबकुछ है माथेओ के लिए. राजनीति में उसकी दिलचस्पी है, लेकिन वह सक्रिय नहीं है. लाईपजिग के एक इलेक्ट्रो पंक कॉन्सर्ट में उसे यह देखकर अचरज हुआ कि वहां के युवा राजनीति में कहीं अधिक दिलचस्पी रखते हैं. वह कहता है कि वहां बहुत से युवा दक्षिणपंथ के खिलाफ या युद्ध के खिलाफ टी-शर्ट पहने दिखे. यहां तो सिर्फ प्रदर्शनों में ऐसा देखा जाता है, वहां हर समय वे ऐसा टी शर्ट पहने होते हैं. पूरब में खुलकर राजनीति की जाती है.

Matteo und Josephine
संगीत के इर्दगिर्दतस्वीर: DW

योजेफिन को भी ऐसा ही लगा. लेकिन मामला उलटा ही था. मेकलेनबुर्ग के एक गांव में वह गई हुई थी. वहां सब दक्षिणपंथी बैंड ब्योजे ओंकेल्त्स को सुनते थे. यह बैंड दावा तो करता है कि उसका दक्षिणपंथ से कोई लेनादेना नहीं है, लेकिन उस सीन में वह काफी लोकप्रिय है. योजेफिन कहती है कि यह सब देखकर वह हक्का बक्का रह गई.

व्यवस्था से जुड़े हैं पश्चिम के युवा


शोधकर्ता गेनजिके ध्यान दिलाते हैं कि पूरब में अति दक्षिणपंथी बिल्कुल अल्पमत में हैं. साथ ही उनका कहना है कि पूरब के युवा देश की राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज पर कहीं ज्यादा सवाल उठाते हैं. इसकी वजह यह है कि पश्चिम में युवाओं को परिवार, स्कूल और मीडिया की ओर से कहीं ज्यादा व्यवस्था के साथ जोड़ने की रुझान है.

योजेफिन कहती है, हां पूरब में रहा जा सकता है, लेकिन किसी बड़े शहर में. पश्चिम के अधिकतर युवा इसके लिए तैयार नहीं हैं. उनका मानना है कि जर्मनी के पश्चिम में प्रशिक्षण और नौकरी पाने के मौके बेहतर हैं. और पूरब के युवा भी ऐसा ही मानते हैं. मौके वहां बेहतर हैं, जहां जर्मनी की अर्थव्यवस्था बेहतर ढंग से काम कर रही है. यानी पश्चिम में.

रिपोर्ट: बिरगिट गोएर्त्से, उज्जवल भट्टाचार्य

संपादन: महेश झा