पर्ल हार्बर हमले में जान गंवाने वाले सैनिक
अमेरिकी सेना ने उन 100 नाविकों और मरीन्स की पहचान कर ली है जो 76 साल पहले पर्ल हार्बर पर जापान के हवाई हमले में यूएसएस ओकलाहोमा के डूबने के कारण मर गये थे.
अब तक लापता
दो साल पहले अमेरिकी रक्षा विभाग की पीओडब्ल्यू/एमआईए अकाउंटिंग एजेंसी ने हवाई की कब्रगाह में करीब 400 कब्रों की खुदाई कर अवशेषों की पड़ताल की थी.
विज्ञान की प्रगति का नतीजा
फोरेंसिक साइंस और वंशावली विषय में हुई प्रगति के कारण परिवारों के लिए अपने सदस्यों की पहचान करना संभव हो पाया है. इसीलिए अधिकारियों ने यह खुदाई की. दूसरे विश्वयुद्ध के बाद इन मरीन्स और नाविकों को लापता के रूप में दर्ज किया गया था. एजेंसी को उम्मीद है कि वह युद्धक जहाज पर मौजूद 80 फीसदी क्रू सदस्यों का 2020 तक पता लगा लेगी.
परिजनों को अब तक जानकारी नहीं
पिछले हफ्ते ही सबसे ताजा जानकारी सामने आयी है हालांकि अभी तक परिवारों को इसके बारे में सूचना नहीं दी गयी है. यही वजह है कि नामों को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है. जिन लोगों की पहचान हुई है उनमें कई को उनके गृहनगर में ही दफनाया गया था. बाकी लोगों को होनोलूलू के नेशनल मेमोरियल सेमेट्री में दफनाया गया.
429 नाविकों और नौसैनिकों की मौत
हमले के वक्त उस युद्धक जहाज पर 429 लोग सवार थे और उन सबकी मौत हो गयी. हमले के बाद बचे अवशेषों से घटना के अगले साल केवल 35 लोगों की पहचान हो सकी. कई अवशेषों को जिन्हें हवाई में दफनाया गया था उसमें मरीन्स और नाविकों के अवशेष आपस में मिल गये थे. 2015 में 388 शवों की फिर से पड़ताल की गयी जिन्हें 46 कब्रों में दफनाया गया था.
डीएनए और डेंटल रिकॉर्ड
शवों की पहचान करने वाली एजेंसी डेंटल रिकॉर्ड, और डीएनए के जरिए उनका पता लगा रही है. अवशेषों को नेब्रास्का के एयरफोर्स बेस पर विश्लेषण के लिए भेजा जा रहा है. होनोलूलू के लैब ने सेना की डीएनए लैब को अब तक करीब 5000 नमूने भेजे हैं. एजेंसी के पास 85 फीसदी मरीन्स और नाविकों के परिवारों के डीएनए के नमूने मौजूद हैं.
पर्ल हार्बर
7 दिसंबर 1941 को अमेरिका के पर्ल हार्बर पर जापान के लड़ाकू जहाजों ने अचानक धावा बोला. अमेरिकी सैनिकों को संभलने का मौका दिये बगैर जापान के लड़ाकू जहाजों ने तबाही मचा दी. यह वही हमला था जिसने अमेरिका को दूसरे विश्व युद्ध में घसीट लिया.
350 से ज्यादा लड़ाकू विमान
जापान ने हमले के लिए 350 से ज्यादा लड़ाकू विमानों को भेजा था. इसमें लड़ाकू विमानों के साथ ही बमवर्षक विमान भी थे जिन्हें छह विमानवाही युद्धपोतों से दो चरणों में रवाना किया गया था. इस हमले में अमेरिका के कुल 2403 सैनिकों की मौत हुई जबकि 1100 से ज्यादा घायल हुए.
आठों जंगी बेड़े को नुकसान
इस हमले में अमेरिकी नौसेना के सभी आठ जंगी बेड़ों को नुकसकान उठाना पड़ा. इनमें से चार डूब गये. हालांकि बाद में यूएसएस एरिजोना को छोड़ कर सभी को बाहर निकाल लिया गया. इनमें से छह अपने काम पर वापस लौटे ऑौर जंग में शामिल हुए.
यूएसएस ओकलाहोमा
यूएसएस ओकलाहोमा भी इस हमले का शिकार हुआ था और तब डूब गया था. दो साल बाद इसे बाहर निकाल कर मरम्मत तो की गयी लेकिन यह इस काबिल नहीं था कि सेना की अपनी ड्यूटी पर वापस लौट सके. कुछ सालों के बाद इसे कबाड़ में बेच दिया गया.
परमाणु हमला
1941 के पर्ल हार्बर पर जिस हमले से जापान ने अमेरिका को दूसरे विश्व युद्ध में उतरने पर मजबूर किया उसकी परिणति 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बमों के हमले के रूप में हुई और इसके बाद ही दूसरा विश्व युद्ध खत्म हुआ.