जापान में परमाणु हथियार खरीदने के बयान पर विवाद
६ अगस्त २०१५द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान हिरोशिमा पर गिराए गए यूरेनियम वाले परमाणु बम हमले में अमेरिकी आकलन के अनुसार 66,000 लोग मारे गए थे और 69,000 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. जब जापान ने एक दिन बाद भी समर्पण नहीं किया तो अमेरिका ने 9 अगस्त को नागासाकी पर दूसरा परमाणु बम गिराया जिसमें 39,000 लोग मारे गए. उसके बाद जापान ने समर्पण किया. परमाणु हमलों की त्रासदी के बाद से जापान परमाणु हथियारों का विरोध करता रहा है.
लेकिन जापानी रक्षा मंत्री नाकातनी ने कहा कि संसद में राष्ट्रीय सुरक्षा विधेयक विचाराधीन है और इसके तहत सेना द्वारा बाहर से परमाणु अस्त्रों को आयात करने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. रक्षा मंत्री ने हालांकि तुरंत ही यह कहा कि जापान की परमाणु हथियार न बनाने की लंबे समय से चली आ रही नीति के कारण विदेश से परमाणु हथियार मंगाना असंभव है.
विपक्ष के एक सांसद ने हिरोशिमा पर अमेरिकी बमबारी की 70वीं वर्षगांठ से पहले दिए गए नाकातनी के इस बयान के लिए उनसे तुरंत माफी मांगने के लिए कहा. रक्षा मंत्री के इस बयान से प्रधानमंत्री शिंजो आबे की मुसीबत बढ़ सकती है जो सुरक्षा कानूनों पर जनता के आक्रोश का सामना कर रहे है.
नाकातनी ने संसद के ऊपरी सदन को कहा “राष्ट्रीय सुरक्षा विधेयक की व्यवस्था के अनुसार विदेश से परमाणु अस्त्रों को आयात की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता. परमाणु अस्त्र न रखने की नीति के कारण यह असंभव है.” जापान सरकार ने एक प्रस्ताव पास किया था जिसके तहत आत्मरक्षा के लिए जापान देश से बाहर युद्ध में शामिल हो सकता है. विभिन्न सर्वेक्षणों में जापान की रक्षा नीति में आए आश्चर्यजनक बदलाव का ज्यादातर मतदाताओं ने विरोध किया.
हिरोशिमा प्रांत से चुनाव जीतने वाले विदेश मंत्री फुमियो किशिदा ने जापान की परमाणु हथियार आयात करने की संभावना को खारिज किया है. उन्होंने कहा “हमारे देश की नीति और परमाणु हथियार पर रूख की तरफ देखते हुए जापानी सेना के लिए बाहर से परमाणु हथियार लेने का औचित्य नहीं है.”
आईबी/एमजे (रॉयटर्स)