परमाणु सामग्री सुरक्षित करने पर सहमति
१३ अप्रैल २०१०अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि परमाणु सामग्री को सुरक्षित करने की संयुक्त कार्य योजना से दुनिया को सुरक्षित बनाने में मदद मिलेगी. इस योजना में हर देश से अपील की गई है कि वह परमाणु सामग्री को सुरक्षित बनाने के लिए क़दम उठाए ताकि उसे आतंकवादियों से दूर रखा जा सके.
इससे पहले रूस और अमेरिका परमाणु हथियार बनाने में सक्षम 68 टन प्लूटोनियम को नष्ट करने पर सहमत हो गए हैं. दोनों देशों के पास क़रीब 34-34 टन प्लूटोनियम है जिससे 17,000 परमाणु हथियार बनाए जा सकते हैं.
दुनिया के 47 देशों के नेताओं के परमाणु शिखर सम्मेलन की पूरी बैठक मंगलवार रात वॉशिंगटन के कन्वेन्शन सेंटर में हुई. बैठक की शुरुआत में अपने मेहमान विश्व नेताओं को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इसे एक अभूतपूर्व ख़तरे का सामना करने के लिए की जा रही एक अभूतपूर्व बैठक बताया.
ओबामा का कहना था कि "एक सेब भर के आकार की छोटी सी मात्रा में प्लूटोनियम लाखों बेगुनाहों की जान ले सकता है." ओबामा ने कहा कि अल क़ायदा जैसे आतंकवादी संगठन ऐसी सामग्री हासिल करने की कोशिश करते रहे हैं और अगर वे सफल हो जाते हैं, तो वे उसका इस्तेमाल करने में झिझकेंगे नहीं.
ओबामा के आतंकवाद-विरोधी मामलों के सर्वोच्च सहायक जॉन ब्रैनन ने कहा है कि अल क़ायदा पिछले एक दशक से भी अधिक समय से एक परमाणु हथियार की तलाश में है, "संभावित जैविक, रासायनिक और विकिरण हथियारों की तुलना में किसी परमाणु-हमले के परिणाम और प्रभाव सबसे अधिक विनाशकारी और सबसे अधिक चिरस्थायी होंगे."
परमाणु सामग्री सुरक्षा
ओबामा इस बैठक द्वारा विश्व के नेताओं को इसी मूल बात पर क़ायल करने के लिए दबाव डाल रहे हैं कि वे सारी परमाणु सामग्री को आतंकवादी तत्वों से सुरक्षित करने में उनके साथ शामिल हों. ओबामा सरकार का कहना है कि परमाणु आतंकवाद का ख़तरा वास्तविक है और बढ़ रहा है.
जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने भी आतंकियों द्वारा एक कच्चे पक्के परमाणु बम के इस्तेमाल की आशंका की दिशा में आगाह किया है. मैर्केल मंगलवार के सम्मेलन के बाद ओबामा के साथ अलग से एक बैठक करेंगी.
यूक्रेन ने परमाणु बम तैयार करने की अपनी सामग्री से हाथ धोने का फ़ैसला किया है. और चीन ईरान के ख़िलाफ़ संभावित प्रतिबंधों पर अमेरिका के साथ मिलकर काम करने पर राज़ी हो गया है.
ईरान के परमाणु कार्यक्रम का मुद्दा सम्मेलन की कार्यसूची पर न सही, ओबामा की चीनी राष्ट्रपति हू चिंथाओ के साथ बातचीत से यह उम्मीद ज़रूर बंधी है कि चीन ईरान के ख़िलाफ़ प्रतिबंधों के चौथे दौर में अमरीका, ब्रिटेन, फ़्रांस और जर्मनी के साथ शामिल हो सकता है.
रूस ने भी इस प्रयास में शामिल होने की तत्परता जताई है. चीन के शामिल होने से ओबामा को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी स्थायी सदस्यों की सहमति हासिल हो जाएगी. लेकिन यहां यह ग़ौरतलब है कि एक चीनी प्रवक्ता ने ओबामा और हू की बैठक के बाद कहा कि चीन आशा करता है कि ईरान का मुद्दा बातचीत द्वारा सुलझाया जा सकेगा.
रिपोर्टः गुलशन मधुर, वॉशिंगटन
संपादनः एस गौड़