ईरान के साथ परमाणु समझौते की ओर निर्णायक कदम
३ अप्रैल २०१५गुरुवार को हुए समझौते से एक बड़ा गतिरोध खत्म हुआ माना जा रहा है. 12 सालों से पश्चिमी देशों को यह आशंका रही है कि ईरान परमाणु बम बनाना चाहता है. इस कदम से पश्चिमी देशों को मध्य पूर्व में शांति लाने की उम्मीद दिख रही है. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने दशकों के द्वेषपूर्ण माहौल के बाद इस्लामी देश ईरान के साथ बनी इस "ऐतिहासिक समझ" का स्वागत किया है. ओबामा ने जोर देकर कहा है कि इस पर आगे काम किया जाना बेहद जरूरी है. व्हाइट हाउस से जारी अपने वीडियो संदेश में ओबामा ने कहा, "अगर ईरान धोखा देता है, तो पूरी दुनिया को इसका पता चल जाएगा."
समझौते के अनुसार ईरान इस बात के लिए तैयार है कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम में भारी कटौती करेगा, जिसके बदले में उस पर से अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रतिबंध हटा लिए जाएंगे. इस कदम से ईरान को अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने की उम्मीद है. इसी आशा में सैकड़ों ईरानवासियों ने समझौते की सूचना मिलते ही तेहरान की सड़कों पर उतर कर अपनी खुशी का इजहार किया.
दूसरी ओर, ईरान के चिर शत्रु इस्राएल में इस डील को लेकर रोष है. इस्राएली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू की ओर से एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया है कि इस कदम से परमाणु प्रसार का खतरा बढ़ेगा और "एक भयानक युद्ध" का खतरा होगा. इस्राएली प्रवक्ता मार्क रेगेव ने ट्विटर पर नेतन्याहू की ओर से इन संदेशों में कहा कि "इस ढांचे पर आधारित समझौते से इस्राएल के अस्तित्व पर खतरा होगा."
आठ दिनों तक चली बातचीत के बाद तैयार हुए फ्रेमवर्क में तय हुआ है कि इस समझौते पर 30 जून तक मुहर लग जाए. अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो अमेरिका और इस्राएल ईरान के खिलाफ सैनिक कार्यवाई करने और उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिल्कुल अलग थलग करने की ओर कदम बढ़ाएंगे.
अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने इसे एक "बड़ा दिन" बताया है तो ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी ने 30 जून की समय सीमा तक समझौते की पूरी रूपरेखा तैयार करने की प्रतिबद्धता दोहराई है. यूरोपीय संघ (ईयू) की विदेश नीति प्रमुख फेडेरिका मोगेरिनी ने कहा है कि यदि यूएन की परमाणु एजेंसी इस बात की तसल्ली कर लेती है कि ईरान समझौते का पालन कर रहा है तो अमेरिका और ईयू उस पर लगाए परमाणु कार्यक्रम संबंधी सभी प्रतिबंध हटा लेंगे.
ईरान से बात कर रहे पी5+1 समूह, अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस और जर्मनी, को उम्मीद है कि डील होने के बाद ईरान के लिए परमाणु हथियार बना पाना एक तरह से असंभव हो जाएगा. ईरान दुनिया के प्रमुख तेल उत्पादक देशों में से है जिसने इस बात से हमेशा इंकार किया है कि वह परमाणु बम बनाना चाहता है. ईरान कहता आया है कि उसके परमाणु कार्यक्रम ऊर्जा उत्पादन और शोध कार्यक्रमों के लिए हैं.
आरआर/एमजे (एएफपी)