परमाणु जवाबदेही विधेयक पर फिर संशय
२४ अगस्त २०१०बीजेपी ने कहा है कि विधेयक को वह सहमति तभी देगी जब बदलाव को लेकर सारे प्रस्ताव वापस ले लिए जाएं. सीपीएम ने भी विधेयक के बारे में कहा है कि सरकार अमेरिका के कहने पर बदलाव ला रही है और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की नवंबर में भारत यात्रा से पहले इन्हें संसद में पारित कराना चाहता है. बीजेपी और सीपीएम दोनों ने साफ साफ कह दिया है कि संसद में पेश होने पर वह विधेयक का पूरी तरह से विरोध करेंगे.
इस बीच प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने विपक्ष के नेता अरुण जेटली से मुलाकात की. बैठक के बाद जेटली ने कहा कि बीजेपी संविधान की धारा 17बी के पुराने रूप को वापस लाना चाहता है. उसके बाद ही वह सरकार को समर्थन देने के बारे में सोचेंगे. पिछले शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रीमंडल ने धारा में 18 संशोधनों को सहमति दी थी. इनमें से एक संशोधन परमाणु हादसे के दौरान सप्लायर की जिम्मेदारी की बात करता है. प्रस्तावित संशोधन के मुताबिक परमाणु रिएक्टर के चालक को किसी भी हादसे के बाद मुआवजे पर तभी हक होगा जब वह इस बात साबित कर सके कि हादसा उसके रिएक्टर में काम कर रहे कर्मचारियों या फिर सप्लायर के 'इरादे' से हुआ हो.
बीजेपी सरकार की नीयत पर सवाल उठा रही है. पार्टी प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी, जो स्थायी समिति के भी सदस्य हैं, कहते हैं कि पार्टी सरकार को तब तक समर्थन नहीं देगी जब तक धारा के मूलभूत स्वरूप को वापस नहीं लाया जाता. रूडी का कहना है कि सरकार देश को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही है. उनके मुताबिक सरकार स्थायी समिति की पहली बैठक में ही इस संशोधन को पेश करना चाहती थी, लेकिन समिति और सचिव ने इन बदलावों को खारिज कर दिया परमाणु ऊर्जा केंद्र ने भी माफी मांगी. रूडी ने कहा कि सप्लायरों को जिम्मेदारी से मुक्त करना बीजेपी के लिए अस्वीकार्य है.
बीजेपी नेताओं से मिलने के बाद चव्हाण वामपंथी नेताओं से मंगलवार को मिल रहे हैं. हालांकि सीपीएम सचिव प्रकाश करात ने कहा है कि इससे सरकार की प्राथमिकताओं के बारे में पता चलता है. उन्होंने कहा,"यह शर्म की बात है कि ऐसे विधेयक की जरूरत है."
उधर कांग्रेस प्रवक्ता शकील अहमद का कहना है कि परमाणु जवाबदेही को लेकर विधेयक देश के हित में है और इसमें कोई राजनीति शामिल नहीं है. इस सिलसिले में सरकार बातचीत के लिए तैयार है.
स्थायी समिति के मुताबिक धारा 17बी में स्पष्ट रूप से कहा जाना चाहिए कि "परमाणु हादसा किसी अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष कारण से हुआ है. घटिया सामान के सप्लाई की वजह से, खराब उपकरणों या सेवाओं की वजह से या फिर सप्लायर की लापरवाही से." लेकिन सरकार ने इसे बदल कर एक नया स्वरूप दे दिया हैः "परमाणु हादसा सप्लायर या उसके कर्मचारियों की वजह से हुआ है, जो नुकसान पहुंचाना चाहते थे और इसमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष खराबियों वाले उपकरणों और सामान की सप्लाई भी शामिल है."
रिपोर्टःपीटीआई/एम गोपालकृष्णन
संपादनःए जमाल