1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

परमाणु जवाबदेही बिल में बदलावों को हरी झंडी

२० अगस्त २०१०

कैबिनेट ने परमाणु जवाबदेही विधेयक में संशोधनों को मंजूरी दे दी है जिसका मकसद परमाणु बिजली के 150 अरब डॉलर के भारतीय बाजार को दुनिया की कंपनियों के लिए खोलना है. शनिवार को यह बिल संसद में पेश हो सकता है.

https://p.dw.com/p/Os4Z
तस्वीर: picture-alliance/ dpa

बुधवार को एक संसदीय पैनल ने विधेयक में कुछ बदलावों की सिफारिश की. इनमें हादसे की स्थिति में मुआवजे को तीन गुना करना और निजी कंपनियों की जवाबदेही बढ़ाना शामिल है. नाम जाहिर न करने की शर्त पर एक कैबिनेट मंत्री ने कहा, "पैनल ने जिन बदलावों की सिफारिश की, उन्हें मंत्रिमंडल ने मंजूर कर लिया है."

विपक्षी बीजेपी ने पैनल के संशोधनों का स्वागत किया है. बीजेपी को खासकर इस बात पर एतराज है कि किसी दुर्घटना की स्थिति में आपूर्तिकर्ता को सिर्फ तभी जवाबदेह माना जाएगा जब ऑपेरटर और सप्लायर के बीच कोई पहले से ही ऐसा कोई समझौता हो. केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने बताया, "हम इसमें मामूली बदलाव करेंगे."

अगर इस विधेयक को संसद में मंजूरी मिल जाती है तो अमेरिका की जनरल इलैक्ट्रिक और जापान की तोशिबा कोर्प की सहायक कंपनी वेस्टिंगहाउस इलैक्ट्रिक के लिए भारतीय परमाणु बिजली बाजार में उतरने का रास्ता साफ होगा. यह कंपनियां दुर्घटना की स्थिति में दिए जाने वाले मुआवजे पर स्थिति साफ हुए बिना भारतीय बाजार में दाखिल नहीं होना चाहती हैं.

भारत का परमाणु बिजली क्षेत्र अत्यधिक नियंत्रित है और सिर्फ एक सरकारी क्षेत्र की कंपनी इसे चलाती है. संसदीय पैनल ने सिफारिश की है कि हादसे की स्थिति में मुआवजे की सीमा को 32 करोड़ डॉलर तय किया जाए. साथ ही अगर किसी प्राइवेट कंपनी की लापरवाही से हादसा होता है तो उससे मुआवजा मांगने का विकल्प रखा गया है. सरकार की तरफ से दिए जाने वाले मुआवजे का बोझ केंद्र सरकार को उठाना पड़ेगा जो लगभग 30 करोड़ डॉलर के आसपास हो सकता है.

सरकार ने शुरुआती बिल पर विपक्ष के विरोध के बाद इसकी समीक्षा के लिए एक संसदीय पैनल बनाया. शुरुआत में परमाणु बिजली प्लांट चलाने वाली कंपनी की तरफ से दिए जाने वाले मुआवजे को सिर्फ 11 करोड़ डॉलर रखा गया था जो अमेरिका के मुकाबले 23 गुना कम है.

रिपोर्टः एजेंसियां ए/कुमार

संपादनः उज्ज्वल भट्टाचार्य