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पढ़ लिख कर भी जाहिल

१८ अगस्त २०१०

ज़माना बदलता है, और उसी के साथ नज़रिया बदलता है, और कभी-कभी उसका अजीबोगरीब रूप देखने को मिलता है. और कभी-कभी जानकारी और समझ के बीच एक लंबा फासला देखने को मिलता है.

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तस्वीर: picture-alliance / akg-images

स्कूली पढ़ाई ख़त्म करने वाले अधिकतर अमेरिकी छात्र मानते हैं कि बेथोफेन एक कुत्ते का नाम है और माइकल एंजेलो एक कंप्यूटर वाइरस है.

चेकोस्लोवाकिया? उन्हें पता ही नहीं, कि कभी इस नाम का कोई देश था. ब्रिटिश राजकुमारी फ़र्गी को वे पॉप गायिका मानते हैं, और जॉन मैकेनरो को टेनिस खिलाड़ी नहीं, बल्कि टीवी विज्ञापन का स्टार. उनकी राय में क्लिंट ईस्टवुड एक एक्शन हीरो नहीं, बल्कि एक संवेदनशील फिल्म डायरेक्टर हैं.

और ई-मेल को वे बहुत धीमा मानते हैं.

एक अमेरिकी कॉलेज के दो शोधकर्ताओं के सर्वेक्षण में ये नतीजे सामने आए हैं. वेलॉएट कॉलेज के प्रोफ़ेसर टॉम मैकब्राइड और रॉन नीफ ने एक माइंडसेट लिस्ट तैयार की है, जिसमें ध्यान दिलाया गया है कि सामान्य ज्ञान किस तरीके से काफूर होने लगता है. एक साल तक काम करने के बाद उन्होंने यह तालिका बनाई है. उन्होंने पाया है कि 1980 में जन्मे युवा लोग सिर्फ एक पोप, यानी पोप जॉन पॉल द्वितीय को जानते हैं.

Computer Wurm
तस्वीर: dpa

यह पीढ़ी जब बड़ी हो रही थी, तो हॉलीवुड की एक मशहूर फ़िल्म आई थी, जिसमें कुत्ते का नाम बेथोफेन था, एक कंप्यूटर वायरस फैला था, जिसे माइकल एंजेलो का नाम दिया गया था. माइंडसेट लिस्ट में इस तथ्य की ओर ध्यान दिलाया गया है कि कितनी जल्दी नये संदर्भों की वजह से पुराने संदर्भ गायब हो जाते हैं

मैकब्राइड और नीफ ने विभिन्न पत्रिकाओं और दूसरे सूत्रों से प्रसंगों की एक तालिका तैयार की थी, और फिर उन्होंने 18 वर्ष के युवाओं के सामने उन्हें पेश किया और जानने की कोशिश की कि कौन से संदर्भ बरबस उनके मन में आते हैं. सर्वेक्षण की रिपोर्ट में इन संदर्भों के साथ-साथ कुछ रोचक ऐतिहासिक तथ्य भी पेश किए गए हैं, मसलन 1982 में जन्मे युवाओं के सामने जितने अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव आए, एक के सिवाय उन सब में जार्ज बुश नाम के एक उम्मीदवार थे. या इस अवधि में रूस और चीन के लिए लाल शब्द का इस्तेमाल बंद हो गया था

नीफ ने कहा कि 25-26 वर्ष के युवाओं का कहना था कि इस तालिका को देखने से उन्हें लगता है कि उनकी काफी उम्र हो चुकी है. दो साल पहले भी यूनिवर्सिटी में ऐसे छात्र थे, जिन्होंने टाइपराइटर का इस्तेमाल किया था, जबकि 2012 में जो किशोर स्कूली पढ़ाई ख़त्म करेंगे, उन्हें पता ही नहीं है कि आईबीएम कभी टाइपराइटर भी बनाया करता था.

और इस वर्ष स्कूल की पढ़ाई ख़त्म करने वालों को यह भी नहीं पता है कि जर्मनी कभी दो हिस्सों में बंटा हुआ था.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उज्ज्वल भट्टाचार्य

संपादन: आभा एम