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पंचायत से संसद तक राज करना चाहती है बीजेपी

प्रभाकर मणि तिवारी
१७ अप्रैल २०१७

उत्तर प्रदेश में भारी जीत से उत्साहित बीजेपी का पंचायतों से लेकर तमाम विधानसभाओं और संसद पर राज करने का लक्ष्य है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए बीजेपी क्या प्रयास कर रही है?

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Indien - Hindu-Nationalisten - Wahlen
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/R. Kumar Singh

भुवनेश्वर में आयोजित पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जहां गैर-बीजेपी शासित राज्यों में पार्टी को सत्ता में लाने की रणनीति पर विचार किया गया वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अल्पसंख्यकों को अपने खेमे में करने के लिए तीन तलाक का भी विरोध किया. बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने कहा कि अभी पार्टी का स्वर्णकाल शुरू होना बाकी है.

राष्ट्रीय कार्यकारिणी

बीजेपी ने भुवनेश्वर में शनिवार व रविवार को अपनी दो-दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का आयोजन किया. इसके भी निहितार्थ हैं. ओडीशा और उसके पड़ोसी पश्चिम बंगाल में बीजेपी कभी सत्ता का स्वाद नहीं चख सकी है. इन दोनों राज्यों की जमीनी हकीकत की समीक्षा करते हुए यहां पार्टी के पैरों तले की जमीन मजबूत करने की ठोस रणनीति तैयार करना ही इस बैठक का प्रमुख मकसद था. ओडीशा में अगले साल ही विधानसभा चुनाव होने हैं.  वहां नवीन पटनायक की अगुवाई में बीजू जनता दल की सरकार अपना तीसरा कार्यकाल पूरा करने वाली है. बीजेपी प्रमुख अमित शाह का कहना था कि बीजेपी का असली स्वर्णकाल सही मायने में तब आएगा जब हर राज्य में उसके मुख्यमंत्री होंगे और वह पंचायतों से लेकर संसद तक राज करेगी.

फिलहाल देश के 13 राज्यों में बीजेपी की सरकारें हैं और चार अन्य में वह दूसरे साझीदारों के साथ सत्ता में है. पार्टी के राजनीतिक इतिहास के लिहाज से देखें तो यह उसका अब तक का सबसे बेहतर प्रदर्शन है. लेकिन अमित शाह इससे संतुष्ट नहीं हैं. वह कहते हैं, "यह तो महज शुरूआत है." शाह का कहना है कि वह ओडीशा के अलावा पश्चिम बंगाल, केरल और त्रिपुरा में पार्टी को सत्ता में देखना चाहते हैं. बीजेपी प्रमुख कहते हैं, "इन राज्यों में पंचायतों से लेकर मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पर काबिज होने के बाद ही बीजेपी का स्वर्णकाल शुरू होने का दावा किया जा सकता है." उनका कहना है कि बीजेपी का लक्ष्य महज चुनाव जीतना और पार्टी को मजबूत करना ही नहीं है. पार्टी देश की राजनीति में सकारात्मक बदलाव लाना चाहती है.

राजनीतिक प्रस्ताव

बैठक में पारित राजनीतिक प्रस्ताव में देश के आम लोगों से वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी को दो-तिहाई बहुमत से जिताने की अपील की गई है ताकि वर्ष 2022 यानी देश की आजादी की 75वीं सालगिरह तक नया भारत गढ़ने के सपने को साकार किया जा सके. उक्त प्रस्ताव में मोदी सरकार की ओर से शुरू की गई विभिन्न योजनाओं का विस्तार से ब्योरा दिया गया है. इसमें कहा गया है कि अधिक से अधिक लोगों का भरोसा जीतने के लिए कार्यकर्ताओं को और कड़ी मेहनत करनी होगी. हालांकि इस प्रस्ताव में राम मंदिर, धारा 370 और समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दों पर चुप्पी है. इसके अलावा गोहत्या पर पाबंदी का भी कहीं कोई जिक्र नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बैठक में नेताओं से पिछड़े तबके के लोगों तक पहुंचने को कहा.

अमित शाह ने संगठन से हिमाचल प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनाव के अगले चरण के लिए जीत का संकल्प लेने के लिए कहा. उन्होंने उन राज्यों में पार्टी को मजबूत करने की रणनीति का भी जिक्र किया जहां वह कमजोर है. पार्टी प्रमुख ने केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे राज्यों में पार्टी की बढ़त की संभावनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि वह पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से मिलने के लिए 95 दिनों तक देश के विभिन्न हिस्सों का दौरा करेंगे. उन्होंने वरिष्ठ नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों को संगठन को मजबूत करने के लिए महीने में 15 दिनों का समय देने के लिए भी कहा.

भाजपा अध्यक्ष ने कहा, "उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को हराकर हमने यह मिथक तोड़ दिया है कि बीजेपी कांग्रेस को तो हरा सकती है लेकिन क्षेत्रीय दलों को नहीं. हम ओडिशा में भी अपना प्रदर्शन दोहराने में सक्षम है." शाह ने कहा कि बीजेपी असम और मणिपुर जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में भी कमजोर थी. बावजूद इसके इन दोनों राज्यों में पार्टी सत्ता में आई. उन्होंने अगले साल ओडीशा में भी जीत कर सरकार बनाने का दावा किया.

अल्पसंख्यकों को लुभाने की पहल

इस कार्यकारिणी में तय रणनीति के तहत ही पार्टी ने अब अल्पसंख्यकों को लुभाने की भी पहल की है. इसके तहत प्रधानमंत्री ने जहां मुस्लिम तबके के पिछड़े लोगों को भी इस तबके के लिए प्रस्तावित नए आयोग के दायरे में शामिल करने का भरोसा दिया वहीं उन्होंने ट्रिपल तलाक का मुद्दा भी उठाया. भुवनेश्वर में अपनी रैली में प्रधानमंत्री ने ट्रिपल तलाक को एक खराब सामाजिक परंपरा करार देते हुए कहा कि सामाजिक जागरुकता के जरिए इस समस्या को हल किया जा सकता है. लेकिन साथ ही उन्होंने साफ किया कि बीजेपी इस मुद्दे पर टकराव नहीं चाहती. मोदी ने कहा, "मुस्लिम बहनों को भी न्याय मिलना चाहिए. उनका शोषण बंद होना चाहिए." उन्होंने नेताओं व कार्यकर्ताओं से अल्पसंख्यक तबके के पिछड़े लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए जिला स्तर पर बैठकें करने का भी निर्देश दिया है. 

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी के फैसलों से साफ है कि उत्तर भारत में मजबूती से कदम जमाने के बाद अब बीजेपी का जोर उन राज्यों पर है जहां वह कभी सत्ता का स्वाद नहीं चख सकी है. इस रणनीति को मूर्त रूप देने के लिए ही अब पार्टी ने अल्पसंख्यक तबके को लुभाने की नई कवायद भी शुरू कर दी है.