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न्यूजीलैंड बराबर जल गये जंगल

२६ अक्टूबर २०१७

साल 2016 में जंगलों की आग ने बड़ी मात्रा में वन्य क्षेत्रों को नुकसान पहुंचाया. एक अध्ययन के मुताबिक जलवायु परिवर्तन समेत अल नीनो जैसे प्राकृतिक कारकों के चलते लगी आग ने दुनिया में न्यूजीलैंड बराबर जंगल जला दिये.

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Griechenland Wäldbrände
तस्वीर: Reuters/G. Moutafis

ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच के नये डाटा के मुताबिक, दुनिया में 7.34 करोड़ एकड़ जंगल साल 2016 में तबाह हो गये. इस तबाही की सबसे बड़ी वजह रही जंगलों में लगने वाली आग. जंगलों की आग को अब तक एक प्राकृतिक आपदा माना जाता रहा है, लेकिन पिछले कुछ अध्ययन बताते हैं कि इसके लिए जलवायु परिवर्तन और तमाम मानवीय कारक भी जिम्मेदार हैं. जलवायु परिवर्तन ने आग के खतरों को बढ़ाया है, साथ ही कुछ क्षेत्रों के तापमान में असमान्य रूप से वृद्धि हुई है. साल 2015 और 2016 में सक्रिय रही मौसमी प्रक्रिया अल नीनो ने भी इस आग के फैलने में योगदान दिया है.

अल नीनो, दक्षिणी मॉनसून को प्रभावित करने वाली मौसमी दशा है. इसके चलते प्रशांत महासागर के एक हिस्से मसलन दक्षिण अमेरिका में भारी वर्षा होती है लेकिन उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र इससे अछूता रहता है.

Infografik Global tree cover loss reaches a new high in 2016 ENG

अमेरिकी थिंक टैंक वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट में शोध विश्लेषक मिकायेला वाइसे कहती हैं, "2016 में हमने ऐसी आग लगने की घटनाओं में नाटकीय और अप्रत्याशित उछाल देखा और ये आग ब्राजील, इंडोनेशिया और पुर्तगाल जैसे देशों में अधिक नजर आयी." ब्राजील के अमेजॉन क्षेत्र के जंगलों समेत इंडोनेशिया के वर्षा वनों में लगी आग ने दुनिया के कुल वन्य क्षेत्र के नुकसान में एक चौथाई हिस्से का योगदान दिया. ब्राजील की आग ने तकरीबन 37 लाख हेक्यटेयर वन्य क्षेत्र का खात्मा किया, जो साल 2015 के मुकाबले तीन गुना अधिक था. इंडोनेशिया में साल 2015 की आग ने तकरीबन दस लाख हेक्टयेर क्षेत्र में लगे पेड़ों को खत्म कर दिया. 2015 के दौरान जंगलों में बड़े स्तर पर आग लगी, लेकिन इंडोनेशिया में साल 2016 के शुरुआती दिनों तक वृक्षों के नुकसान को दर्ज ही नहीं किया गया.

कार्बन सिंक

साल 2015 की तुलना में 2016 में वैश्विक वन नुकसान में हुई 51 फीसदी की वृद्धि ने पर्यावरणविदों को चिंता में डाल दिया है. ग्रीनपीस से जुड़े जेन्स स्टॉपेल कहते हैं कि यह आंकड़ा भयावह है, "पेरिस सम्मेलन में तय लक्ष्यों को पाने के लिए हम जंगलों का और नुकसान सहन नहीं कर सकते, साथ ही हमें इनकी क्षमता कार्बन डॉयआक्साइड के बढ़ते स्तर को कम करने के लिए बढ़ानी होगी." पेड़ कार्बन डायऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और जंगलों को प्राकृतिक कार्बन डॉयआक्साइड सिंक बनाते हैं. लेकिन आग ऐसे कार्बन सिंक को खत्म कर देती है और वातावरण में भी कार्बन उत्सर्जन को बढ़ा देती है.

कार्बन सिंक, कार्बन और कार्बन से जुड़े रासायनिक यौगिक (कैम्किल कंपाउड) पदार्थों का असीमित प्राकृतिक और कृत्रिम भंडारण है. पेड़, मिट्टी, समुद्र तल में पाये जाने वाले पदार्थ कार्बन सिंक के उदाहरण हैं. कार्बन सिंक में लगातार आ रही गिरावट को इंडोनेशिया के उदाहरण से समझा जा सकता है. इंडोनेशिया के जंगलों में लगी आग ने बड़े स्तर पर कार्बन डायऑक्साइड का उत्सर्जन किया और इंडोनेशिया, दुनिया में कार्बन उत्सर्जनकर्ता देशों की सूची में महज छह हफ्ते में रूस को पछाड़ते हुए चौथे स्थान पर पहुंचा गया. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि जंगलों में आग लगना, मतलब वातावरण में अधिक कार्बन उत्सर्जन जो जलवायु परिवर्तन का एक बड़ा कारक है. 

आगे भी मुश्किलें

शोधकर्ताओं को चिंता है कि साल 2017 में ऐसे और भी रिकॉर्ड बन सकते हैं. आग ने दक्षिणी यूरोप, पश्चिमी कनाडा और अमेरिका के कई जंगलों को अब तक तबाह कर दिया है. पुर्तगाल के जंगलों में साल 2016 के दौरान लगी भीषण आग ने देश के तकरीबन 4 फीसदी जंगलों को बर्बाद कर दिया था लेकिन अब एक बार फिर इस पर खतरा मंडरा रहा है. साल 2016 में कनाडा के जंगलों में लगी आग ने 7.5 अरब यूरो का नुकसान किया था. लेकिन हालात अब भी बेहतर नहीं हुए है. स्टडी के मुताबिक इस साल कनाडा के पश्चिमी प्रांतों में लगी आग अब तक की सबसे भीषण आग है और अक्टूबर मध्य तक इस क्षेत्र के तकरीबन 12.6 लाख हेक्टयेर जंगल आग की भेंट चढ़ गये हैं. ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच के मुताबिक, जंगलों की आग, साल 2016 में पेड़ों की संख्या कम करने, वन्य क्षेत्र घटाने की सबसे बड़ी वजह रही. लेकिन कृषि, खनन और अन्य वन्य गतिविधियां भी जंगलों को नुकसान पहुंचाती हैं. पर्यावरणविद् दुनिया भर की सरकारों से वन्य संरक्षण और वन्य क्षेत्रों को बहाली के लिए अधिक निवेश की अपील करते हैं.

एए/काथरीन वेकर