नोबेल शांति पुरस्कार की दौड़ में मैर्केल भी
८ अक्टूबर २०१५जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल को शरणार्थियों के प्रति उदारता और मानवीयता दिखाने के लिए 2015 के नोबेल शांति पुरस्कार का सबसे प्रमुख दावेदार माना जा रहा है. हालांकि पिछले दिनों हुए सर्वेक्षणों से पता चलता है कि उनकी अपनी जनता उनके फैसलों से खुश नहीं हैं. खुद चांसलर तक नोबेल पुरस्कार की अटकलें पहुंची हैं. उन्होंने इन अटकलों को दरकिनार करते हुए कहा है कि उनके पास अटकलें लगाने के बदले और बेहतर काम करने को है. ताजा सर्वेक्षण से पता चलता है कि जर्मनी के दो तिहाई लोग अपने नेता को इसका अधिकारी नहीं मानते.
इसके बावजूद अंतरराष्ट्रीय मीडिया पिछले सालों में चांसलर अंगेला मैर्केल के नेतृत्व जर्मनी में आए परिवर्तनों का आकलन कर रहा है जिन्होंने जर्मनी को यूरोप की महत्वपूर्ण ताकत बना दिया है. मैर्केल को इस साल यूक्रेन विवाद में मध्यस्था के लिए मनोनीत किया गया था लेकिन 5 सितंबर को यूरोप आते शरणार्थियों के लिए सीमा खोलने के उनके फैसले ने उन्हें समीक्षकों द्वारा आयोजित की जा रही दौड़ में सबसे आगे पहुंचा दिया है कि इस बार कौन नोबेल शांति पुरस्कार जीतेगा.
संभावनाएं काफी हैं कि शुक्रवार को ग्यारह बजे नोबेल पुरस्कार समिति अंगेला मैर्केल के नाम की घोषणा कर सकती है. देश में शरणार्थी संकट के कारण भले ही उनकी लोकप्रियता गिरी हो, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समस्या का समाधान करने की उनकी पहल की सराहना हुई है. यह पहला मौका है जब वे जर्मन जनमत के विचारों पर ध्यान न देकर अंतरात्मा की आवाज सुन रही हैं. अटकलों की शुरुआत ऑस्लो के शांति शोध संस्थान के क्रिस्टियान बैर्ग हार्पवेकेन द्वारा नोबेल उम्मीदवारों का शॉर्टलिस्ट प्रकाशित करने के साथ हुई. उन्होंने मैर्केल का नाम खासकर संकट के समय में नैतिक नेतृत्व दिखाने के लिए लिया है. अगर मैर्केल नोबेल शांति पुरस्कार जीतती हैं तो वे गुस्ताव श्ट्रेजेमन (1926) और विली ब्रांट (1971) के बाद शांति पुरस्कार जीतने वाली तीसरी चांसलर होंगी.
मैर्केल 1901 से दिए जा रहे नोबेल शांति पुरस्कार की दौड़ में शामिल अकेली प्रमुख उम्मीदवार नहीं है. उनके अलावा कांगो के डॉ़क्टर डेनिस मुकवेगे, कैथोलिक गिरजे के प्रमुख पोप फ्रांसिस और सऊदी ब्लॉग रईफ बदावी व रूसी अखबार नोवाया गजेटा का भी नाम लिया जा रहा है.
एमजे/ओएसजे (डीपीए)