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साहित्य

नोबल जीतने वाली अश्वेत लेखिका टोनी मॉरीसन का निधन

६ अगस्त २०१९

टोनी मॉरीसन को 1993 में उपन्यास के लिए नोबल पुरस्कार मिला था. इसके अलावा उन्हें अमेरिका का प्रेसिडेंशियल मेडल और पुलित्सर पुरस्कार भी मिल चुका था. वो 88 साल की थीं.

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Literaturnobelpreisträgerin Toni Morrison ist tot
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Kovarik

नोबल पुरस्कार विजेता टोनी मॉरीसन का निधन हो गया है. वो 88 साल की थीं. न्यू यॉर्क के मॉन्टेफियॉरे मेडिकल सेंटर में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया. वो नोबल पुरस्कार पाने वाली दुनिया की पहली अश्वेत महिला थीं. उन्हें 1993 में साहित्य के लिए नोबल पुरस्कार मिला था. इसके अलावा उनके उपन्यास बीलव्ड के लिए उन्हें 1988 में पुलित्सर पुरस्कार भी मिला था. इस उपन्यास में एक मां की कहानी थी जो जिस्मफरोशी के धंधे से बचाने के लिए अपनी बेटी का कत्ल कर देती है.

मॉरीसन का करियर करीब छह दशक लंबा रहा. इस दौरान उन्होंने 11 उपन्यास, पांच बाल साहित्य, दो नाटक, एक गीत और एक ओपेरा लिखा था. वो एक संपादक और प्रोफेसर भी रही थीं. अश्वेत होने के चलते अपने करियर की शुरूआत में उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ा था. मॉरीसन ओहायो के लॉरियान कस्बे में 1931 में पैदा हुई थीं. उनके परिवार को भारी नस्लभेद का सामना करना पड़ा था. उनके परिवार के सामने कई लोगों की लिंचिंग तक कर दी गई थी. इन सब घटनाओं का मॉरीसन के जीवन पर बड़ा प्रभाव रहा.

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तस्वीर: Getty Images/AFP/;- Ngan

ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने अपना टीचिंग करियर शुरू किया. वो दक्षिणी टैक्सस यूनिवर्सिटी में पढ़ाने लगीं. इसी दौरान उन्होंने अपना पहला उपन्यास दा ब्लूएस्ट आई लिखा. इसमें एक अश्वेत लड़की की कहानी थी जो गोरे रंग के प्रति आकर्षण के चलते अपनी आंखों का रंग नीला करवा लेती है. एक डॉक्यूमेंट्री में उन्होंने कहा कि उनकी पूरी कोशिश रही कि उनके साहित्य में गौर वर्ण के लोग कहीं भी हावी ना हो सकें.

धीरे-धीरे उनका करियर आगे बढ़ता रहा. उनकी किताबों को पढ़ा जाने लगा और वो एक जानी मानी साहित्यकार के रूप में स्थापित हो गईं. उन्हें नोबल सहित कई जाने माने पुरस्कार मिले. 1998 में टाइम मैग्जीन ने उन्हें अपने कवर पर जगह दी. 2008 में मॉरीसन ने राजनीतिक रूप से पहली बार पक्ष लेते हुए बराक ओबामा का राष्ट्रपति पद के लिए समर्थन किया था. इसके चार साल बाद उन्हें अमेरिका का सर्वोच्च सम्मान प्रेसिडेंशियल मेडल फॉर फ्रीडम मिला था. इसी साल उनके 45 वर्षीय बेटे की मौत कैंसर के चलते हो गई थी.

मॉरीसन अपना उपन्यास होम लिख रहीं थीं. लेकिन बेटे की मौत के गम के चलते वो उसे कभी पूरा नहीं कर सकीं. प्रेसिडेंशियल मेडल मिलने के बाद भी वो सक्रिय रहीं और अलग-अलग राजनीतिक मुद्दों पर अपनी राय प्रकट करती रहती थीं. अश्वेत होने के चलते उनके साथ खूब भेदभाव हुआ. लेकिन उन्होंने इन भेदभाव की कहानियों को अपनी लेखनी में उतारा. उनका लिखा हुआ सॉन्ग ऑफ सोलोमन भी खासा प्रसिद्ध था. टोनी के मुताबिक ये गाना उन्होंने अपने परिवार में सुना था जो उन्हें खासा पसंद था. इसी गाने को उन्होंने याद किया और लिखा जो खासा लोकप्रिय हुआ.

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