नॉयर के दौर की शुरुआत
१ जुलाई २०१४वर्ल्ड कप में जब मेसी, नेमार और रोबेन की चर्चा हो रही है, नॉयर की चर्चा न करना बेमानी होगी. अद्भुत तकनीक और नवीनतम तरीकों से नॉयर ने अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में गोलकीपिंग की परिभाषा बदलनी शुरू कर दी है. गोलकीपर बोलने से आम तौर पर गोललाइन के आस पास घूमता और हमले की शक्ल लेती गेंद को दस्तानों से रोकते खिलाड़ी की छवि बनती है, जिसका दायरा डी के आस पास कुछ सीमित वर्गमीटर में फैला होता है.
नॉयर ने गोलकीपर के रूप में अपनी चौहद्दी फैला दी है. वह पेनाल्टी एरिया और डी के आस पास नहीं, उससे कई वर्गमीटर आगे निकल चुके हैं. उन्होंने गोलकीपर की सीमाओं और भूमिका को विस्तार दे दिया है. दस्तानों के अलावा वह बूट और हेडर से भी काम लेने लगे हैं. मनोवैज्ञानिक तौर पर विपक्षी खेमे में हड़कंप मची है. 28 साल के नॉयर के रहते टीम की गिनती में आसानी से एक और खिलाड़ी जोड़ा जा सकता है.
कभी जर्मनी की कम लोकप्रिय शाल्के के लिए गोलकीपिंग ट्रेनिंग लेने गए नॉयर में टीम ने कोई प्रतिभा नहीं देखी थी. उन्हें बैरंग लौटाने का मन भी बना लिया था लेकिन आखिर में पूछा कि उनके मां बाप कितने लंबे हैं. जवाब था, "पिता 6'2" फीट और मां 5'8" की हैं." यानि नॉयर निश्चित तौर पर एक लंबे खिलाड़ी बन कर उभरने वाले थे. टीम ने सिर्फ इसी गुण पर उन्हें लेने का फैसला किया. आज नॉयर 6'4" लंबे हैं और इस लंबाई का फायदा गोलकीपिंग में भी खूब उठाना जानते हैं. लेकिन उनकी गुणवत्ता इस लंबाई से अलग उनकी तकनीक और सूझबूझ में छिपी है.
अल्जीरिया के खिलाफ प्री क्वार्टर फाइनल मैच में उन्होंने 21 बार पेनाल्टी एरिया से बाहर निकल कर गेंद पर कब्जा किया और ख्याल रहे कि डी के बाहर गोलकीपर किसी दूसरे खिलाड़ी की ही तरह गेंद को सिर्फ पैर या हेड से छू सकता है, हाथ से नहीं. इसमें एक मौका ऐसा भी आया, जब वह अल्जीरिया के शानदार स्ट्राइकर इस्लाम स्लिमानी से अकेले भिड़ गए और स्लिमानी से तेज फर्राटा भरते हुए गेंद तक पहुंचे, उसे क्लियर किया.
एथलेटिक करतबों के अलावा नॉयर अपनी लोचदार और फिट शरीर की वजह से गोलपोस्ट पर भी चौकन्ने नजर आते हैं. फ्री किक के मौकों पर वह अपनी पोजीशनिंग करना खूब जानते हैं और इसका प्रमाण उनके करियर में उनके द्वारा खाए गए गोलों की संख्या है. इस वर्ल्ड कप में उनके नाम अब तक सिर्फ तीन गोल आए हैं. जर्मनी को क्वार्टर फाइनल में फ्रांस से भिड़ना है, जिसके पास चार गोल कर चुके बेंजिमा जैसे खिलाड़ी हैं. फ्रांस को यह अहसास जरूर हो चुका होगा कि आखिरी चार के दरवाजे में पैर रखने के लिए उन्हें नॉयर की दीवार भेदनी होगी, जो इतनी कमजोर नहीं. यह भी हो सकता है कि इस वर्ल्ड कप के आखिर में नॉयर सबसे कीमती खिलाड़ी बन कर उभरें.
शाल्के ने जब उन्हें जर्मनी की सबसे लोकप्रिय टीम बायर्न म्यूनिख को बेचने का फैसला किया था, तो उनकी कीमत तीन करोड़ डॉलर लगी, जो इतिहास में सिर्फ इतालवी गोलकीपर जियानलुइगी बुफोन से ज्यादा है. वही बुफोन, जो समझते हैं कि नॉयर के नाम पर फुटबॉल का एक युग तय हो सकता है. और वास्तव में वह युग आता दिख रहा है.
ब्लॉगः अनवर जे अशरफ
संपादनः महेश झा