नैनो जितना मंगलयान
भारत का मंगलयान 24 सितंबर को मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंच गया. इसी के साथ भारत पहला ऐसा देश बन गया है जिसने पहली ही बार में अपने यान को सफलतापूर्वक मंगल तक पहुंचा है.
ऐतिहासिक कामयाबी
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान इसरो के वैज्ञानिकों ने कहा कि मंगल की कक्षा में जाने की प्रक्रिया बिना किसी गड़बड़ी के हो गई. तरल इंजन के 24 मिनट के बर्न आउट के बाद यान कक्षा में स्थापित हो गया.
बधाई
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस दौरान बैंगलोर में इसरो के वैज्ञानिकों के साथ थे. उन्होंने बधाई देते हुए कहा, "हमने इंसानी साहस और नवीनता की सीमा पार कर ली है. हमने अपने यान को एक ऐसे रास्ते पर भेजा जो बहुत कम लोगों को ही मालूम है. सभी वैज्ञानिकों और भारतीयों को बधाई."
अहम सफलता
मंगल पर यान भेजना कोई आसान काम नहीं है. अब तक आधी कोशिशें ही सफल हो पाई हैं. इसी के साथ भारत अमेरिका, रूस और यूरोप के साथ मंगल तक पहुंचने वाले शामिल हो गया है.
क्या करेगा
मंगलयान लाल ग्रह की सतह पर नहीं उतरेगा, बल्कि उसके आस पास चक्कर काटेगा और मंगल ग्रह के वातावरण पर शोध करेगा. इससे जीवन के लिए जरुरी मीथेन गैस के बारे में जानकारी मिल सकेगी.
डाटा कलेक्शन
1,350 किलोग्राम का मंगलयान अगले छह महीने लाल ग्रह के आस पास रहेगा और मंगल के बारे में आंकड़े जमा करेगा. इसमें पांच सौर पैनल लगे हैं जिससे यह ऊर्जा ले रहा है.
नासा की बधाई
नासा ने मार्स पर मंगलयान के पहुंचने का उसका स्वागत किया. भारतीय वैज्ञानिकों ने मंगल यात्रा के लिए कम इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक स्लिंगशॉट का इस्तेमाल किया.
ट्विटर पर बधाई
नासा के मार्स क्यूरियोसिटी मिशन ने ट्विटर पर मंगलयान को बधाई देते हुए 'नमस्ते' लिखा. नासा का मेवन भी सोमवार को ही मंगल की कक्षा में पहुंचा है.
लंबी यात्रा
2013 में पांच नवंबर को भारत ने मंगलयान को श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया था. भारत के वैज्ञानिकों के लिए यह मिशन बहुत अहम और गर्व करने वाला है.