1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

नीरा यादव को चार साल की जेल

७ दिसम्बर २०१०

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्य सचिव नीरा यादव को चार साल जेल की सजा सुना दी गई है. गाजियाबाद में सीबीआई की अदालत ने उन्हें सात साल पहले नोएडा में जमीन आवंटन में धांधली का दोषी पाया. तब वह नोएडा प्राधिकरण की प्रमुख थीं.

https://p.dw.com/p/QRJE
जमीन घोटाले में फंसी नीरातस्वीर: Fabian

सीबीआई की विशेष अदालत के जज एके सिंह ने इस मामले में फ्लेक्स कंपनी के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर अशोक चतुर्वेदी को भी दोषी पाया और उन्हें भी चार साल जेल की सजा सुनाई गई. दोनों दोषियों पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया.

अदालत का फैसला आने के बाद दोनों दोषियों को डासना की जेल में भेज दिया गया. चतुर्वेदी को हथकड़ी लगा कर ले जाया गया, जबकि नीरा यादव को हथकड़ी नहीं लगाई गई.

यादव ने नियमों की अनदेखी करके नोएडा की एक औद्योगिक जमीन फ्लेक्स इंडस्ट्रीज को आवंटित की थी. उन्हें अवैध तरीके से नौकरशाहों, राजनेताओं और अपने करीबियों को प्लॉट बांटने का दोषी ठहराया गया है.

नोएडा के व्यापारी संघ ने यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. इसमें आरोप लगाया गया कि यादव ने नोएडा प्राधिकरण की अध्यक्ष रहते हुए सेक्टर 18 सहित कई इलाकों में गलत तरीके से जमीनों का आवंटन किया.

अदालत की कार्यवाही के समय यादव अदालत में मौजूद थीं. जैसे ही जज ने फैसला सुनाया, वह रो पड़ीं. उन्होंने इससे पहले अदालत से गुजारिश की थी कि उनकी खराब सेहत को देखते हुए उन्हें एक कुर्सी दी जाए. कार्यवाही के वक्त चतुर्वेदी भी कोर्ट में ही थे.

अदालत ने यादव को एक दूसरे मामले में बरी कर दिया. उन पर कैलाश अस्पताल के प्रमुख डॉक्टर महेश चंद शर्मा को गलत तरीके से जमीन आवंटित करने का आरोप था. शर्मा को भी इस मामले में छोड़ दिया गया.

अदालत ने पहले कैलाश अस्पताल का मामला ही लिया और यादव को उसमें बरी कर दिया. इसके बाद नीरा यादव ने लंबी सांस ली और उन्हें अदालत से उम्मीद बंधी. लेकिन जैसे ही दूसरा फैसला आया, वह अपने आंसू नहीं रोक पाईं.

सीबीआई ने यादव, चतुर्वेदी और शर्मा पर केस दर्ज किया था और लगभग पांच साल से मुकदमा चल रहा था. इस मामले में उन्हें पहले जमानत मिली हुई थी.

नीरा यादव उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री काल में मुख्य सचिव थीं. भारतीय इतिहास में वह पहली आईएएस अफसर हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पद से हटना पड़ा.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः महेश झा

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें