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नींद की गोलियों से मौत का खतरा

२८ फ़रवरी २०१२

यदि आप मीठी और सुकून भरी नींद के लिए नींद की गोलियां लेने के आदी हैं तो जरा संभल जाइये. लंबे समय तक नींद की गोलियों का इस्तेमाल जानलेवा साबित हो सकता है.

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तस्वीर: BilderBox

बीएमजी ओपन पत्रिका में छपे अमेरिकी अध्ययन में कहा गया है कि नींद की गोलियों का संबंध असामान्य रूप से होने वाली मौत से है.

इन दवाओं के अधिक इस्तेमाल से कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी होने का खतरा भी 35 प्रतिशत से अधिक बढ़ जाता है. जबकि नींद की दवाई नहीं लेने वाले लोगों में यह खतरा नहीं पाया गया है. हालांकि इसके पीछे क्या कारण है यह अब तक स्पष्ट नहीं है.

कैलिफोर्निया में स्लीप सेंटर के प्रमुख डेनियल क्रिपके के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने पेनसिल्वेनिया में रहने वाले 10 हजार 500 से अधिक वयस्कों के मेडिकल रिकार्ड की जांच की. इनमें वे लोग शामिल थे जो नींद की गोलियों का सेवन करते थे. टीम ने 23 हजार 600 से अधिक स्वस्थ लोगों को भी अध्ययन में शामिल किया जो नींद की दवाइयां नहीं लेते थे. ढाई साल से अधिक समय तक बेंजोडायजापींस और अन्य नींद की दवाओं के असर का अध्ययन लोगों के अलग अलग समूहों पर किया गया. इस दौरान नींद की दवा नहीं लेने वाले समूह में मरने वालों की संख्या अधिक नहीं थी, जबकि दवा लेने वाले समूह में यह आंकड़ा काफी अधिक था.

बुरा असर

अध्ययन में इस बात की आशंका व्यक्त की गई है कि सिर्फ अमेरिका में ही 3 से 5 लाख लोगों की मौत में नींद की गोलियों का असर हो सकता है. ये उन लोगों के लिए खतरे की घंटी जरूर है जो नींद की दवाओं का नियमित सेवन करते हैं.

Gift Pillen Medizin Totenkopf Symbolbild
तस्वीर: Fotolia/Dan Race

लेखक के अनुसार वर्ष 2010 में अमेरिका में 6 से 10 प्रतिशत वयस्कों ने नींद की दवाओं का सेवन किया था. यूरोप में इसकी संख्या कहीं ज्यादा हो सकती है. अध्ययन में शामिल लोगों की उम्र 54 साल के आस पास थी. इसमें धूम्रपान करने वाले और नहीं करने वाले लोग भी शामिल थे. हालांकि शोध में अवसाद, चिंता के कारणों से नींद की दवा लेने वाले लोगों को शामिल नहीं किया गया था. कानूनन इनके इलाज से संबंधित जानकारी गुप्त भी रखी जाती है.

रिपोर्ट: एएफपी / जितेन्द्र व्यास

संपादन: आभा एम