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यहूदियों को खुद को मारने की सीख क्यों दी महात्मा गांधी ने

२५ सितम्बर २०१९

यूरोप में दूसरा विश्वयुद्ध जिस दिन शुरू हुआ महात्मा गांधी ने उसी दिन एक छोटा सा पत्र यहूदी नए साल पर बधाई देने के लिए एक स्थानीय यहूदी को लिखा था. इस पत्र में महात्मा गांधी ने "संतप्त लोगों" को शुभकामनाएं दी थीं.

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Brief Mahatma Ghandi
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Israelische Nationalbibliothek

इस्राएल की नेशनल लाइब्रेरी को हाल ही में महात्मा गांधी का 80 साल पुराना हाथ से लिखा खत पुराने दस्तावेजों के बीच मिला है. पहली बार इसे मंगलवार को प्रकाशित किया गया. यह पत्र इस पर रोशनी डालता है कि आधुनिक भारत के जनक महात्मा गांधी की होलोकॉस्ट को लेकर कितनी जटिल सोच  थी. 

गांधी ने यह खत मुंबई में यहूदी संघ के प्रमुख अवराहम शोहेत को लिखा है जिस पर 1 सितंबर 1939 की तारीख है. गांधी ने लिखा है, "आपके नए साल पर मेरी ओर से शुभकामनाएं. मैं आपको कैसे बधाई दूं कि उसका मतलब आपके संतप्त लोगों के लिए शांति का साल हो." महात्मा गांधी ने यूरोपीय यहूदियों के प्रति अपनी गहरी संवेदना जताई है. हालांकि उनकी अकसर इस बात के लिए आलोचना होती है कि उन्होंने यहूदियों पर हुए जुल्म के विरोध में कभी पुरजोर आवाज नहीं उठाई. होलोकॉस्ट में नाजियों और उनके सहयोगियों ने 60 लाख यहूदियों की हत्या की थी.

Venedig Art Biennale Pavillon aus Indien
हिटलर को लिखे गांधी के पत्र को एक कलाकृति में हाल ही में वेनिस में प्रदर्शित किया गया था.तस्वीर: DW/Nikhil Ranjan

महात्मा गांधी ने नाजियों के खिलाफ सिर्फ अहिंसक विरोध की वकालत की और अडोल्फ हिटलर को शांत करने के लिए एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने नाजी नेता को "दोस्त" कह कर संबोधित किया. महात्मा गांधी ने इस पत्र में लिखा कि वो नहीं मानते कि जर्मन तानाशाह एक "दैत्य" थे जैसा कि उनके विरोधी उन्हें बताते हैं.

महात्मा गांधी ने 1938 में  अपने हरिजन अखबार में एक आर्टिकल लिखा था, "मेरी सहानुभूति सभी यहूदियों के प्रति है." इस आर्टिकल में गांधी ने लिखा, "अगर कभी कोई मानवता के नाम पर, जर्मनी के खिलाफ एक पूरी नस्ल के दमन को रोकने के लिए न्यायोचित जंग हो तो यह पूरी तरह से न्यायोचित होगा. हालांकि मैं किसी जंग में यकीन नहीं रखता."

महात्मा गांधी होली लैंड पर यहूदियों के स्वतंत्र राष्ट्र का समर्थन करने में भी बिल्कुल इसी तरह से संकोची थे. उन्होंने कहा कि यहूदियों को अरबों के खिलाफ अहिंसक आंदोलन में शामिल होना चाहिए. इसका मतलब था कि यहूदी खुद को, "गोली मारने या फिर डेड सी में डुबोए जाने के लिए प्रस्तुत कर दें और उनके खिलाफ एक भी उंगली ना उठाएं."

शोहत एक प्रभावशाली भारतीय यहूदी हैं जिन्होंने गांधी को यहूदियों के समर्थन में लाने की बहुत कोशिश की थी. शोहत को गांधी से उनके एक अमीर यहूदी दोस्त ने मिलाया था. गांधी के इस दोस्त ने दक्षिण अफ्रीका में गांधी आश्रम की तर्ज पर ही "टॉल्सटॉय फार्म" की स्थापना की थी जहां वो गांधी के साथ भी रहे थे. दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए ही गांधी ने नस्ली भेदभाव के खिलाफ आवाज उठानी शुरू की और अहिंसक आंदोलन किया. इन्हीं आंदोलनों ने भारत में भी गांधी के आंदोलन की नींव रखी और आखिरकार 1947 में ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद कराया.

Mahatma Gandhi am Webstuhl
तस्वीर: Getty Images/Hulton Archive

मार्च 1939 में शोहत ने गांधी से बात करते हुए चार दिन उनके आश्रम में गुजारे. इस दौरान उन्हें महसूस हुआ कि गांधी ने यहूदीवाद के अरब नजरिये को अपना लिया है. हालांकि उसके बावजूद ऐसा लगता है कि दोनों के बीच संपर्क बना रहा.

लाइब्रेरी के अधिकारी जैक रोथबार्ट ने इस पत्र की खोज की है. उनका कहना है, "यह पत्र महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे एक प्रमुख यहूदी नेता को लिखा गया है, वास्तव में यह महात्मा गांधी का निजी पत्र है जो होलोकॉस्ट के बारे में है और ठीक उसी दिन लिखा गया है जिस दिन नाजियों ने पोलैंड पर चढ़ाई की थी. यह बीसवीं सदी के सबसे अहम लोगों में से एक की ओर से लिखा गया है, जो आमतौर पर यहूदी या फिर इस्राएल के मामले पर की गई चर्चा में शामिल नहीं किया जाता."

1948 में गांधी की हत्या हुई इससे कुछ ही पहले महात्मा गांधी ने होलोकॉस्ट को "हमारे समय का सबसे बड़ा अपराध" कहा था हालांकि वो शांतिवाद के अपने सिद्धांत पर टिंके रहे.

गांधी की एक जीवनी की मुताबिक उन्होंने कहा था, "यहूदियों को खुद को कसाई के छूरे के आगे रख देना चाहिए. उन्हें अपने आपको सागर में धकेल देना चाहिए, इससे जर्मनी और दुनिया के लोग जाग उठेंगे...आखिरकार वैसे भी उनके लाखों लोग मर रहे हैं."

इस साल 2 अक्टूबर को भारत और जर्मनी समेत दुनिया के कई और देशों में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई जाएगी.

एनआर/एमजे (एपी)

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