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नाच आए फिर भी आंगन टेढ़ा

६ अगस्त २०१०

पीपुल अंडरस्टैंड फ़ाइटिंग, नॉट डांसिंग, इट्स आवर कलचर - बेचारा तुर्क कहता ही रहा, लेकिन पुलिस का सिपाही उसे समझ नहीं पाया. नाच रहे मियां-बीवी को देख उसने समझा कि एक महिला को पीटा जा रहा है. बस उसे थाने में ले जाया गया.

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कहीं मारपीट तो नहीं हो रही है?तस्वीर: AP

जबकि कबाब की दुकान का मालिक कान अपनी बीवी एलमाज़ के साथ एक पारंपरिक तुर्क नाच में मस्त था. इस नाच का नाम है कोलबास्ति, तुर्क भाषा में जिसका मतलब है पकड़े गए रंगे हाथ. इस नाच में काफ़ी हाथ पैर हिलाया जाता है, नाचने वाले एक-दूसरे के करीब आते हैं. अपनी दुकान से लगी कार पार्किंग के पास दोनों नाच रहे थे, एक राहगीर को लगा कि मारपीट हो रही है, उसने पुलिस को फ़ोन किया और पलक झपकते न्यूज़ीलैंड की पुलिस वहां आ पहुंची. कान का कान पकड़कर थाने में ले जाया गया. वह समझाने की कोशिश करता रहा, लेकिन उसकी एक न चली, अगले ही दिन उसे अदालत में लाया गया. यह घटना न्यूज़ीलैंड के शहर हवेरा में हुई है.

जज साहब को अपनी सांस्कृतिक समझ के मुताबिक दो अलग-अलग दावों में से सच्चाई का पता लगाना था. उन्होंने सबसे पहले कोलबास्ति का एक वीडियो देखना मुनासिब समझा. अध्ययन के बाद उन्हें लगा कि वाकई यह कुछ मारपीट जैसा मामला लगता है, लेकिन इसे कहा तो जा रहा है नाच. उन्होंने मान लिया कि कान अपनी बीवी को पीट नहीं रहा था, दोनों अपनी-अपनी मर्ज़ी से, और जैसा कि लगता है, ख़ुशी के साथ नाच रहे थे. साथ ही एलमाज़ लगातार मंत्र की तरह जाप रही थी, माय हज़बैंड इज़ गुड मैन, बात जो पुलिस के सिपाहियों की समझ में नहीं आई थी.

जज साहब ने अब पुलिस को आदेश दिया है कि वे कोलबास्ति नाच का अध्ययन करें, और उसके बाद तय करें कि उन्हें मुकदमा जारी रखना है या नहीं. कान को फ़िलहाल हिरासत से आज़ाद कर दिया गया है.

पुलिस का काम आसान नहीं है, ख़ासकर न्यूज़ीलैंड में. प्राचीन तुर्क लोकनृत्य का अध्ययन करना पड़ता है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उज्ज्वल भट्टाचार्य

संपादन: वी कुमार