नागरहोल का जीवन
कर्नाटक में मैसूर के पास मशहूर नागरहोल नेशनल पार्क तरह तरह के जानवरों की पनाहगाह है. यूनेस्को भी इसे ऐतिहासिक धरोहर मानता है. देखते हैं यहां के कुछ खूबसूरत जानवरों को.
तेंदुए का घर
भारत में शिकार ने तेंदुओं की पूरी प्रजाति को संकट में डाल दिया है. 1994 से 2000 के बीच करीब 3000 तेंदुओं का शिकार कर लिया गया. लेकिन अगर उन्हें ऐसे माहौल में रखा जाए, तो उन्हें बचाया जा सकता है.
शीतल चीतल
खूबसूरत चितकबरे धब्बों वाले हिरणों को चीतल कहा जाता है. भारत में पाई जाने वाली कई प्रजातियों में चीतल भी एक है. यह भी शिकार से बुरी तरह प्रभावित प्रजाति है. यह दक्षिण एशिया के दूसरे देशों में भी मिलता है.
सामाजिक प्राणी
आम तौर पर चीतल झुंडों में चरते हैं. साथ पानी पीने जाते हैं. आम तौर पर ये आवाज नहीं करते और चुपचाप अपना चारा चरते रहते हैं. लेकिन अगर खतरा नजर आ जाए, तो गोली की रफ्तार से कुलांचे भर सकते हैं.
सड़क पर हिरण
इन जानवरों को सबसे ज्यादा खतरा इंसानों से है. यूं तो ये नरभक्षी जानवरों की खुराक हैं लेकिन कई बार शिकार के चंगुल में भी फंस जाते हैं. पश्चिमी देशों में सड़क हादसों में भी कई हिरणें मारे जाते हैं.
किस्म किस्म के हिरण
भारत में कई प्रजातियों के हिरण पाए जाते हैं, जिनमें चीतल और सांबर सबसे सामान्य हैं. हालांकि कभी कभी काला हिरण और कस्तूरी मृग भी नजर आ जाते हैं, जो विलुप्त होती प्रजाति के हैं.
लाल पांडा
जानवरों के साथ पक्षियों के लिए भी नागरहोल में काफी जगह है. पश्चिमी घाट के किनारे बना यह राष्ट्रीय पार्क मौसम के लिहाज से भी अच्छा है. यहीं विशाल वृक्ष की शाखा पर आराम फरमाता एक लाल पांडा.
हर शाख पर...
यह परिंदा जरूर सोचता होगा कि आखिर इंसानों को उसमें क्या खराबी नजर आई, जो ऐसा मुहावरा बना दिया. उल्लू सबसे समझदार पक्षियों में गिना जाता है.
बस एक पड़ाव
ये प्रवासी पक्षियां हैं, जो कहीं दूर से उड़ कर नागरहोल तक पहुंची हैं. बस कुछ दिन का ठिकाना है, फिर उड़ जाना है.