नाकामी से कामयाबी की प्रेरणा: अभिषेक
९ अगस्त २०१४अभिषेक बच्चन को फिल्मों के अलावा खेलों से भी भारी लगाव है. उन्होंने हाल में एक कबड्डी टीम भी खरीदी है. एक कार्यक्रम के सिलसिले में कोलकाता पहुंचे इस अभिनेता ने अपने अब तक के फिल्मी सफर और भावी योजनाओं के बारे में डॉयचे वेले के साथ बातचीत की. यहां पेश है उस बातचीत के मुख्य अंशः
फिल्मोद्योग में अपने अब तक के सफर को कैसे देखते हैं?
बेहद अच्छा. अपने सफर के दौरान मैं पीड़ा, संघर्ष और खुशी के जिस दौर से गुजरा हूं उससे मैंने काफी कुछ सीखा है. इस अनुभव ने मुझे जीवन में सकारात्मक रूप से आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है. जीवन में आगे बढ़ने के लिए सुख-दुख और उतार-चढ़ाव जरूरी है. इसके बिना जिंदगी बेहद नीरस हो जाएगी. पिछले अनुभव और नाकामियां ही किसी व्यक्ति को कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ने की प्रेरणा देती है.
क्या आप अभिनय के मामले में अपने पिता से राय लेते रहे हैं?
देखिए, बॉलीवुड में अमिताभ बच्चन के स्तर तक दूसरे किसी कलाकार का पहुंचना मुमकिन नहीं है. इसी वजह से उनको बिग बी कहा जाता है. मैं हमेशा कोई फिल्म हाथ में लेने से पहले उनसे विचार-विमर्श करता हूं. उनका अनुभव और सलाह मेरे लिए बेशकीमती है. फिल्म के रिलीज होने के बाद भी वह मेरी कमियां गिना कर उनको दूर करने के उपाय सुझाते हैं. घर में वही मेरे सबसे बड़े आलोचक हैं.
आपके घर में सभी लोग कलाकार हैं. ऐसे में क्या घर के लोगों के साथ मिल कर कोई फिल्म बनाने का ख्याल नहीं आया?
घर में सब लोगों के कलाकार होने की मतलब यह नहीं है कि हम आपस में मिल कर ही फिल्में बनाते रहें. लेकिन लोग इस आसान बात को नहीं समझते और अक्सर यही सवाल पूछा जाता रहा है.
आपके पिता ने कामयाबी के साथ फिल्मों से छोटे परदे तक का सफर किया है. आपकी ऐसी कोई योजना?
मैंने छोटे परदे के लिए एक बार एक गेम शो किया था. लेकिन छोटे परदे पर अभिनय के बारे में अभी सोचा नहीं है. मेरे लिए अभिनय तो अभिनय है. वह चाहे सिनेमा हो, टीवी या फिर थिएटर. लेकिन टीवी एक विशाल माध्यम है. अब तो तमाम हीरो-हीरोइन इस छोटे परदे के आकर्षण में बंध कर खिंचे चले आ रहे हैं.
कबड्डी टीम खरीदने का विचार कैसे आया?
मेरे पिता ने मुझे बचपन में यह खेल सिखाया था. मैं दिल्ली में पढ़ाई के दौरान भी कालेज में कबड्डी खेलता था. मेरे पिता इस फैसले से बेहद खुश हैं.
अगर जीवन में कभी किसी खिलाड़ी का किरदार निभाने का मौका मिले तो किसे चुनेंगे?
मैं क्रिकेटर युवराज सिंह का किरदार निभाना चाहूंगा. उनके करियर का ग्राफ लाजवाब रहा है. अपनी इच्छाशक्ति और लगन के बूते उन्होंने जिस तरह कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को मात दी है, वह काबिले तारीफ है. मेरे ख्याल से हाकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद पर भी फिल्म बननी चाहिए.
आजकल फिल्मों के प्रमोशन का फैशन बढ़ गया है आप क्या सोचते है?
देखिए, फिल्म बढ़िया हो तो दर्शक खुद-ब-खुद सिनेमाघरों की ओर खिंचे चले आएंगे. आप जबरन उनको फिल्म देखने पर मजबूर नहीं कर सकते. हां, इन प्रमोशनों से उनमें फिल्म के प्रति दिलचस्पी पैदा करने की कोशिश की जाती है.
आपकी पत्नी ऐश्वर्या भी जज्बा के जरिए फिल्मों में वापसी कर रही हैं?
वह तो कहीं गई ही नहीं थी. तो वापसी का सवाल कहां पैदा होता है. हां, एक अरसे बाद उनको परदे पर देखना रोमांचक होगा. फिलहाल उनके पास बहुत काम है. ऐश्वर्या को काम से बेहद लगाव है.
भावी योजनाएं?
मेरी अगली फिल्म हैप्पी न्यू ईयर है. इसके संपादन का काम चल रहा है इसके अलावा ऑल इज वेल की शूटिंग चल रही है. उमेश शुक्ल के निर्देशन में बन रही इस फिल्म में ऋषि कपूर और स्मृति ईरानी भी हैं.
इंटरव्यू: प्रभाकर, कोलकाता
संपादन: महेश झा