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नयी प्रतिभाओं वाला बर्लिन फैशन वीक

१५ जनवरी २०१३

मंगलवार को 12वें बर्लिन फैशन वीक की शुरुआत हुई. यूरोप के अन्य फैशन शो से अलग यहां नयी प्रतिभाओं को ज्यादा मौका दिया जाता है. इसे राजधानी बर्लिन में होने वाला अब तक का सबसे बड़ा फैशन मेला माना जा रहा है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

2,000 से ज्यादा डिजाइनर अपनी मेहनत दिखाने की तैयारी में लगे हैं. ये सब डिजाइनर जवान हैं और बेहद प्रतिभावान हैं, कमी है तो बस पैसे की. बर्लिन फैशन वीक के दौरान ये युवा डिजाइनर किसी बड़े मौके की तलाश में हैं. यहां कई नए डिजाइनर हैं. ऐसे भी लोग हैं जो फैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई कर रहे हैं और जिनके लिए यह उनकी परीक्षा का हिस्सा है. यहां उन्हें कितना सराहा जाता है, उनके बनाए डिजाइन को कितना पसंद किया जाता है, इस से ही उनका भविष्य निर्धारित होगा.

यूरोप में होने वाले कई अन्य फैशन मेलों से अलग बर्लिन में नयी प्रतिभाओं को मौका दिया जाता है. जहां एक तरफ पैरिस, मिलान और रोम में बस बड़े डिजाइनर ही शिरकत करते हैं, वहीं बर्लिन इन युवाओं को उन ऊंचाइयों तक पहुंचाने की सीढ़ी है. जाहिर सी बात है कि ह्यूगो बॉस और रेना लांगे जैसे डिजाइनरों के काम को देखने के लिए जैसी भीड़ उमड़ आती है वैसी उत्सुकता इन युवाओं के लिए नहीं होती. लेकिन बर्लिन उन्हें वहां तक पहुंचाने का रास्ता दिखाता है.

बर्लिन फैशन वीक की ज्यूरी इन सैकड़ों डिजाइनरों में से कुछ के काम को पसंद करती है और उन्हें अपना खुद का शो करने का मौका देती है. हालांकि यह मौका चुनिंदा लोगों को ही मिल पाता है, लेकिन कई लोगों को स्टूडियो में अपने डिजाइन दिखाने का भी मौका दिया जाता है. जर्मनी की डिजाइनर नदीन मोएलेनकांप बताती हैं, "जर्मनी में दुकान वाले युवा डिजाइनरों की बनाई चीजें रखना खास पसंद नहीं करते, क्योंकि उन्हें इस बात का डर रहता है कि सामान बिक भी पाएगा या नहीं. इससे डिजाइनरों को बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ता है."

Berlin Fashion Week 2013
तस्वीर: picture-alliance/dpa

फैशन जगत की जानकार सोनिया फ्लोएकमायर का कहना है कि डिजाइनरों को इसलिए भी दिक्कत का सामना करना पड़ता है क्योंकि वह अपने डिजाइन को कला मानते हैं और उसकी कीमत को कम नहीं आंकना चाहते, "किसी भी लेबल को बाजार में अपनी जगह बनाने में पांच से सात साल का समय लग जाता है. इस वक्त डिजाइनरों को पैसे की बहुत जरूरत पड़ती है. सोनिया बताती हैं कि बाजार में डिजाइनरों की कोई कमी नहीं है, लेकिन कुछ ही लोग अपनी छाप छोड़ पाते हैं.

पर बर्लिन के लोगों को लुभाना इतना भी आसान नहीं. हाल ही में डिजाइनिंग की पढाई पूरी कर चुकी फ्रांसिस्का मिषाएल बताती हैं, "बर्लिन के लोगों को सीधे साधे रंग और कटाई पसंद हैं. मेरी बनाई चीजें इस से मेल ही नहीं खाती." पांच दिन तक चलने वाले इस फैशन मेले में कम से कम एक दर्जन फैशन से जुड़े अलग अलग तरह के इवेंट्स होंगे, जहां इन डिजाइनरों को अपना हुनर दिखाने का मौका मिलेगा.

बर्लिन फैशन वीक की शुरुआत 2007 में हुई. तब से यह साल में दो बार आयोजित किया जाता है. एक बार गर्मियों और वसंत के डिजाइन पेश किए जाते हैं तो दूसरी बार सर्दियों और पतझड़ के. इसकी सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2010 की तुलना में यहां के व्यापार में 23 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गयी है.

इस बार फैशन वीक की तैयारियों में 18,500 लोग जुटे हुए हैं. यह फैशन मेला 15 से 20 जनवरी तक राजधानी बर्लिन में चलेगा. उम्मीद की जा रही है कि करीब ढाई लाख लोग इसे देखने के लिए यहां पहुंचेंगे.

आईबी/एमजे (डीपीए)

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