दोहरी नागरिकता का रास्ता साफ
९ अप्रैल २०१४मौजूदा कानून के मुताबिक जर्मनी में रहने वाले प्रवासियों के बच्चों को 23 साल की उम्र तक बताना होता है कि वे अपने मूल देश की नागरिकता लेंगे या जर्मनी की. जर्मनी में पले बढ़े विदेशी मूल के युवाओं को इससे खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है. नागरिकता चुनने के मामले में वो अक्सर एक तरह की मानसिक उलझन से गुजरते हैं. जिनके माता पिता यूरोपीय संघ के देशों से हैं, उन पर यह कानून लागू नहीं होता.
जर्मनी में तुर्क मूल के 30 लाख लोग रहते हैं. इनमें से करीब 15 लाख जर्मन नागरिकता ले चुके हैं. आधे अब भी तुर्क नागरिक हैं.
दोहरी नागरिकता यानि दोहरा पासपोर्ट. मंगलवार को पास किए गए प्रस्ताव के जरिए भविष्य में प्रवासी मूल के जर्मन युवा दो पासपोर्ट रख सकेंगे. प्रस्तावित कानून के मुताबिक दोहरी नागरिकता लेने के इच्छुक युवाओं को 21 साल की उम्र में यह साबित करना होगा कि वो जर्मनी में कम से कम आठ साल रहे हैं, उन्होंने छह साल जर्मन स्कूल में पढ़ाई की है और जर्मनी में ही व्यावसायिक ट्रेनिंग भी ली है.
आप्रवासन, शरण और सामाजिक मेल मिलाप के संघीय आयुक्त अयदान ओएजोगुज कहते हैं, "हमारे देश के कई युवाओं के लिए यह एक बड़ा संकेत है. उनमें से हजारों जर्मनी में राहत की सांस ले सकेंगे. मुझे खुशी है कि भविष्य में कई युवाओं को अपने अभिभावकों की राष्ट्रीयता के खिलाफ चुनाव नहीं करना होगा और वो अपने ही देश में विदेशी भी नहीं बनेंगे."
हालांकि तुर्क समुदाय इस प्रस्ताव से अब भी खुश नहीं है. उसका कहना है कि नया नियम सिर्फ युवाओं पर लागू होता है, यह उन लोगों की मदद नहीं करता जो लंबे समय से जर्मनी में रह रहे हैं, लेकिन जवान नहीं हैं.
प्रस्ताव की मंजूरी को जर्मन चासंलर अंगेला मैर्केल के गठबंधन पार्टी सीडीयू के किए गए वादे को निभाने के तौर पर देखा जा रहा है. अब प्रस्ताव को जर्मन संसद की मंजूरी मिलनी है. चांसलर मैर्केल की पार्टी सीडीयू और उसकी सहयोगी पार्टी सीएसयू के साथ ही एसपीडी का कहना है वो संसद के निचले सदन में इस प्रस्ताव को मंजूर करेगी.
ओएसजे/एजेए (रॉयटर्स, एएफपी)