देश जागा और फिर सो गया
दिल्ली की सड़कों पर 16 दिसंबर 2012 की रात हुए बलात्कार और हत्या के मामले ने देश भर को हिला दिया था. लेकिन हर गुजरते साल के साथ सवाल उठते रहे कि गुस्से और प्रदर्शनों के बाद क्या बदला और क्या नहीं.
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ट्विटर हैंडल @k_satyarthi से लिखते हैं, "निर्भया की कहानी अभी पूरी नहीं हुई है. हमारी बेटियों के साथ अभी शोषण, बलात्कार और हत्याएं हो रही हैं. क्या आप इस सब पर पूर्ण विराम लगाने के मेरे आह्वान का जवाब देंगे?"
एक यूजर ने @Kolkata_Chhori ट्विटर हैंडल से लिखा है, "तुम हमें आज भी याद हो. हमें न्याय चाहिए, ना सिर्फ उसके लिए बल्कि सैकड़ों पीड़ित औरतों के लिए जिनके नाम नहीं हैं."
सुधीर चौधरी @sudhirchaudhary ट्विटर हैंडल से लिखते हैं, "क्या बदला है? सिस्टम? मानसिकता? देश एक हफ्ते के लिए जागा और फिर सो गया, किसी भी औरत से पूछ लो!" लोगों का यह भी लिखना है कि क्या गारंटी है कि जुवेनाइल सुधर गया है और बाहर आकर वह समाज के लिए खतरा नहीं साबित होगा.
एंथनी परमाल ने @anthonypermal ट्विटर हैंडल से लिखा है, "वाह! भारत, तुम अपनी मूर्खता कहीं रोक नहीं सकते, है ना?" उन्होंने ऐसा लिखते हुए नाबालिग दोषी से रिहाई पर अच्छे बर्ताव का कानूनी बॉन्ड भरवाने के गृह मंत्रालय के विचार करने पर टिप्पणी की.
राजीव आनंद @SlayerRajiv लिखते हैं, "भारत - ऐसा देश जहां लोग हर बात आसानी से भूल जाते हैं और निंदा की कोशिश करते हैं." नाबालिग दोषी को रिहाई के बाद पुनर्वास के मकसद से दिल्ली सरकार ने सिलाई मशीन और 10 हजार रुपए देने का प्रस्ताव रखा है. इस पर भी लोगों ने भारी गुस्सा जताया.
बलात्कार के समय नाबालिग रहे एक दोषी को तीन साल बाद छोड़े जाने का सोशल मीडिया पर जमकर विरोध हुआ. पीड़िता के मां-बाप ने जुवेनाइल को सबसे ज्यादा क्रूर बताते हुए उसका चेहरा सार्वजनिक करने की मांग की थी.