1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

दीदी के राजनीतिक सफर पर बन रही है दीदी

४ दिसम्बर २०१०

रेल मंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी का जीवन और राजनीतिक सफर अब फिल्म की पटकथा का हिस्सा बन गया है. पार्टी समर्थकों में ममता दीदी के नाम से जानी जाती हैं इसलिए उन पर बनने वाली फिल्म का नाम भी दीदी ही होगा.

https://p.dw.com/p/QPml
तस्वीर: UNI

निर्माता-निर्देशक विद्युत सरकार फिल्म को बांग्ला में बना रहे हैं जिसमें ममता का किरदार रूमा चक्रवर्ती निभा रही हैं. इन दोनों के चेहरों व कद-काठी में काफी समानताएं है. शनिवार को कोलकाता में इस फिल्म का मुहुर्त हुआ. इसकी शूटिंग 45 दिनों के भीतर पूरी हो जाएगी.

Trinamool Congress - Aktivisten
तस्वीर: UNI

इससे पहले सत्तर के दशक में बनी फिल्म आंधी में सुचित्रा सेन के किरदार को इंदिरा गांधी की नकल बताया गया था. तब उस फिल्म पर पाबंदी भी लगी थी. लेकिन दीदी के साथ ऐसी कोई दिक्कत नहीं होगी क्योंकि निर्माता ने दीदी के लिए दीदी की अनुमति ले ली है.

सरकार कहते हैं, ‘मैं किसी राजनीतिक फिल्म बनाना चाहता था. इसके लिए ममता के राजनीतिक सफर से बेहतर और क्या हो सकता है. मैं उनका बहुत बड़ा प्रशंसक हूं.' यह कहानी पहले एक उपन्यास के तौर पर लिखी गई थी. लेकिन विद्युत सरकार के दोस्तों ने उन पर इसे फिल्मी पर्दे पर उतारने का जोर दिया. वह बताते हैं कि दो घंटे की यह फिल्म मूल तौर पर राजनीतिक होगी. लेकिन इसमें व्यावसायिक तत्व भी भरे गए हैं.

एक करोड़ की लागत से बनने वाली इस फिल्म के लिए सरकार ने दीदी से एक गाना गाने के लिए कहा था. लेकिन उन्होंने मना कर दिया.

Vorsitzende des Trinamool Congress Mamta Banerjee
तस्वीर: UNI

1970 के दशक से शुरू होने वाले और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों तक के राजनीतिक सफर को फिल्म में दिखाया जाएगा. इसमें नंदीग्राम और सिंगूर की घटनाओं का भी जिक्र होगा.

इसे अगले साल जनवरी में रिलीज करने की योजना है. वैसे, फिल्म की कहानी अगले साल राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों के साथ खत्म होगी. लेकिन इसमें इन चुनावों के नतीजे नहीं दिखाए जाएंगे. ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की अग्निकन्या के नाम से मशहूर हैं.

दीदी में ममता की भूमिका निभाने वाले रूमा चक्रवर्ती कहती है, ‘मैं ममता दीदी की तरह लोकप्रिय नेता का किरदार निभाने की वजह से बेहद रोमांचित हूं. दो साल का बच्चा भी उनके बारे में जानता है. उनके हाव-भाव की हुबहू नकल करने के लिए मैंने महीनों तक टीवी पर उनका भाषण देखा है. इसके अलावा निर्देशक ने मुझे ममता की रैलियों की कई सीडी भी दी थी. मैंने उनके सांचे में खुद को ढालने के लिए कड़ी मेहनत की है.'

ममता बनर्जी ने अब तक खुद तो इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है. लेकिन तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुदीप बंद्योपाध्याय कहते हैं, कि ममता को अगला विधानसभा चुनाव जीतने के लिए किसी फिल्म के सहारे की जरूरत नहीं है.' वैसे, ममता को सहारे की जरूरत भले नहीं हो, उनके राजनीतिक आधार को ध्यान में रखते हुए फिल्म का कामयाब होना तो लगभग तय ही है.

रिपोर्ट: प्रभाकर, कोलकाता

संपादन: एस गौड़

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी