दिल दहलाने वाला कोलकाता फ्लाईओवर हादसा
कोलकाता में रोज की तरह लोग भीड़ भाड़ से गुजरते अपनी अपनी मंजिलों की ओर बढ़ रहे थे, जब अचानक यह पुल गिरा. यह दुखद भी है और हास्यास्पद भी कि निर्माण कंपनी ने तकनीकी कमियां खोजने की जगह भगवान को इसके लिए जिम्मेदार बता डाला.
यह हादसा कोलकाता के सबसे व्यस्त इलाकों में से एक रवींद्र सरणी केके टैगोर स्ट्रीट चौराहे पर 31 मार्च को दोपहर के समय हुआ. यह घनी आबादी वाला कारोबारी इलाका है.
फ्लाईओवर ढहने से 25 लोगों की मौत हो गयी है और 80 से ज्यादा घायल हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हादसे में मरने वालों के परिजनों को पांच-पांच लाख और घायलों को तीन-तीन लाख रुपये का मुआवजा देने का एलान किया है.
इस फ्लाईओवर के निर्माण के लिए हैदराबाद की जिस कंपनी को ठेका दिया गया था, वह भी सवालों के घेरे में है. रेलवे समेत कई संस्थानों ने पहले से ही उसे ब्लैकलिस्ट किया हुआ था.
करीब सवा दो किलोमीटर लंबे इस फ्लाईओवर का निर्माण बीते सात वर्षों से चल रहा था. लेकिन अब तक इसका 900 मीटर लंबा हिस्सा ही तैयार हो सका था. फ्लाईओवर के पूरा होने की तारीख कम से कम पांच बार बढ़ाई जा चुकी थी.
हादसे के बाद निर्माण कंपनी और राज्य सरकार दोनों ही जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश में लगे हैं. कंपनी आईवीआरसीएल के एक अधिकारी ने घटना पर कहा कि यह "भगवान की मर्जी" थी.
फ्लाईओवर से नजदीकी इमारतों की दूरी महज तीन से चार फीट तक ही थी. फलाईओवर पूरा बनने के बाद भी यहां हादसे की गुंजाइश रहती. ऐसे में यह सवाल भी उठ रहा है कि सरकार ने इस इलाके में फ्लाईओवर की इजाजत दी ही क्यों.
मामले की जांच जारी है. पुलिस ने संबंधित कंपनी के खिलाफ तीन अलग अलग एफआईआर दर्ज किए हैं. इनमें हत्या का मामला भी शामिल है. हालांकि कंपनी इससे इंकार कर रही है.
राज्य सरकार ने इसकी जांच के लिए दो उच्च-स्तरीय समितियों का गठन किया है. वहीं बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी हादसे की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं.