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दिल्ली सरकार का इस्तीफा

१४ फ़रवरी २०१४

48 दिन पुराने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जनलोकपाल विधेयक के मुद्दे पर अपनी सरकार का इस्तीफा दे दिया. मुकेश अंबानी और कांग्रेस पर बरसते हुए उन्होंने दिल्ली में फौरन चुनाव कराने की मांग की है.

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Indischer Minister Arvind Kejriwal
तस्वीर: UNI

दिल्ली विधानसभा में दिन भर जनलोकपाल बिल पर बहस और हंगामे के बावजूद बिल पेश नहीं हो सका, जिसके बाद केजरीवाल, "कोई कड़ा फैसला" लेने पार्टी दफ्तर चले गए. करीब डेढ़ घंटे तक बातचीत के बाद उन्होंने एलान किया कि दिल्ली की सरकार इस्तीफा दे रही है, "कैबिनेट ने मिलकर फैसला किया है कि हमारी सरकार इस्तीफा दे रही है."

पुराने अंदाज में दफ्तर की खिड़की से झांकते हुए मफलर लगाए केजरीवाल ने इस्तीफे की कॉपी हाथ में लहराई और कहा, "कैबिनेट ने सिफारिश की है कि विधानसभा को बर्खास्त किया जाए और दिल्ली में तुरंत दोबारा चुनाव कराए जाएं." इस मौके पर उनके खासम खास पीडब्ल्यूडी मंत्री मनीष सिसोदिया भी मौजूद थे.

केजरीवाल का दावा है कि बिना शर्त समर्थन देने वाली कांग्रेस उस वक्त बिदक गई जब उन्होंने भारत के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, "कांग्रेस और बीजेपी ने मिलकर जनलोकपाल विधेयक पारित नहीं होने दिया. उन्होंने इस विधेयक को गिरा दिया. इन लोगों को डर है कि अगर एक एंटी करप्शन ब्यूरो से ही ये मोइली और मुकेश अंबानी तक पहुंच सकता है तो आगे क्या होगा." दिल्ली के मुख्यमंत्री ने दो दिन पहले ही गैस के मुद्दे पर रिलायंस इंडस्ट्रीज प्रमुख मुकेश अंबानी और पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी है. केजरीवाल का आरोप है कि इन्होंने गैस के दाम बढ़ाकर रिलायंस को फायदा पहुंचाया.

Arvind Kejriwal Indien Ministerpräsident Vereidigung
लेफ्टिनेंट गवर्नर के साथ केजरीवालतस्वीर: AFP/Getty Images

दिल्ली विधानसभा में जन लोकपाल विधेयक को पेश करने को लेकर केजरीवाल की आम आदमी पार्टी पर दबाव बन रहा था कि दिल्ली के उप राज्यपाल नजीब जंग की अनुमति के बिना विधान सभा में बिल पेश नहीं किया जा सकता. हालांकि शुक्रवार को केजरीवाल ने विधानसभा में कहा, "मैंने संविधान पढ़ा है और कहीं ऐसा नहीं लिखा है." इसके बाद ही अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफे के संकेत दे दिए.

इससे पहले उप राज्यपाल ने दिल्ली विधानसभा के स्पीकर को पत्र लिख कर निर्देश दिया कि यह बिल पेश नहीं किया जाना चाहिए. इसके बावजूद केजरीवाल इसे पेश करने पर अड़े रहे. जब यह संभव नहीं हो पाया तो वह यह कह कर पार्टी मुख्यालय के लिए रवाना हो गए कि, "ऐसी स्थिति में एक क्या, हजार बार सीएम की कुर्सी कुर्बान है."

सिर्फ सवा साल पुरानी आम आदमी पार्टी ने पिछले साल दिल्ली विधानसभा में जबरदस्त कामयाबी हासिल करते हुए 70 में से 28 सीटें हासिल कर लीं. मुख्यमंत्री केजरीवाल ने 15 साल से शासन कर रही कांग्रेस की शीला दीक्षित को पराजित किया. लेकिन संख्याबल के हिसाब से बीजेपी के पास सबसे ज्यादा विधायक थे. इसके बाद भी बीजेपी ने सरकार नहीं बनाने का फैसला किया और कांग्रेस ने बिना शर्त केजरीवाल की पार्टी को समर्थन देने का फैसला किया.

सरकार बनाने के साथ ही केजरीवाल ने दिल्ली में बिजली की दरें 50 फीसदी कम कर दीं और बिजली सप्लाई करने वाली कंपनियों के खिलाफ जांच बिठा दी.

पूर्व आईआरएस अफसर और आईआईटी इंजीनियर केजरीवाल की पूरी राजनीति भ्रष्टाचार के खिलाफ और लोकपाल कानून के इर्द गिर्द रही है. करीब तीन साल पहले जब अन्ना हजारे दिल्ली में इस विधेयक को लेकर अनशन पर बैठे तो केजरीवाल उनके प्रमुख सिपहसलार थे. हालांकि बाद में केजरीवाल ने अन्ना के निर्देशों के खिलाफ राजनीति में उतरने का फैसला किया. उन्होंने दो अक्टूबर 2012 को आम आदमी पार्टी की शुरुआत की और दिल्ली में छोटी छोटी सभाओं के साथ लोगों से जुड़ने की कोशिश शुरू की.

एजेए/ओएसजे (पीटीआई)

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