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दांत के दर्द के लिए तेजाब

७ नवम्बर २०१३

दांतों की देखभाल और इलाज की नई नई तकनीक इजाद की जा रही हैं लेकिन ऐसे कई इलाके हैं, जहां दांतों की सफाई के बारे में जागरूकता की भारी कमी है और दवाएं भी उपलब्ध नहीं हैं. वहां तेजाब का इस्तेमाल होता है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

इन इलाकों में दांतों की सेहत पर वार करने वाली कोल्ड ड्रिंक और मिठाइयां तो पहुंच चुकी हैं, लेकिन आधुनिक दवाओं और दांतों के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी नहीं. ऐसे ही इलाकों में जागरूकता फैलाने की एक कोशिश शुरू की है जर्मनी के आखेन शहर की डेंटिस्ट डॉ. क्लाउडिया वेबर ने. वह अपनी साल भर की छुट्टियां एक साथ लेती हैं, और उत्तरी भारत जाती हैं. अपने पति के साथ वहां वह उन लोगों की मदद करती हैं, जिनके लिए दांतों की देख रेख एक नया शब्द है. डॉक्टर वेबर लद्दाख की जंसकार घाटी जाती हैं और वहां लोगों को दांतों की सुरक्षा के बारे में बताती हैं, उनका मुफ्त इलाज और ऑपरेशन करती हैं.

दांतों का इलाज वह जर्मनी में तो आधुनिक मशीनों के जरिए कर लेती हैं, लेकिन लद्दाख में उन्हें इसके लिए स्थानीय लोगों की मदद लेनी पड़ती है. वह बताती हैं कि उनके कई दोस्त भारत में हैं. और उन्हें वह जगह बहुत पसंद है, इसीलिए वह हर साल वहां जाती हैं.

गांव वालों का इलाज

जंसकार घाटी का छोटा सा गांव सनी. लगता है कि जैसे समय यहां रुक गया हो. जर्मनी से यहां तक पहुंचना और फिर समुद्रतल से साढ़े तीन हजार मीटर ऊपर गांव तक का सफर. कुल तीन दिन लग जाते हैं.

सीमित साधनों और मददगार पति के साथ क्लाउडिया वेबर बहुत कुछ करना चाहती हैं. इसके लिए वह जर्मनी से खास डेंटल यूनिट भी भारत ले गईं और औजारों को संक्रमित होने से बचाने के लिए एक पुराना स्टेरेलाइजर भी. डॉ वेबर के मुताबिक, "यह सब काम चलाने के लिए है. दांत उखाड़ना मुश्किल नहीं. लेकिन जबड़े में इंफेक्शन हो जाए, तो पता नहीं चलता क्योंकि हम एक्स-रे नहीं कर सकते. लेकिन दांत की जड़ के बचे हुए हिस्सों को निकालना मुश्किल नहीं."

Deutsche Zahnärztin in Indien
जर्मनी की डेंटिस्ट क्लाउडिया वेबर हर साल लद्दाख की जंसकार घाटी जाती हैं.तस्वीर: DW/T. Klein

पर ये सब कुछ समझाने में उन्हें बहुत मुश्किल होती है क्योंकि उन्हें हर छोटी बात का अनुवाद करना पड़ता है. सिर्फ कुछ ही गांव वाले अंग्रेजी बोल सकते हैं. लेकिन तर्जुमे के बाद जो पता चलता है, वह सिहरन पैदा करने के लिए काफी है. उनके शब्दों में, "हमने पूछा कि यहां के लोग दर्द का इलाज कैसे करते हैं, वे बैटरी का एसिड दांतों पर डाल देते हैं ताकि वो हिस्सा सुन्न पड़ जाए और इसके बाद उन्हें शांति मिल जाती है." बुनियादी तौर पर वही किया जाता है, जो मरीज चाहता है. आम तौर पर दांत उखाड़ना ही इकलौता तरीका होता है. दांतों में फिलिंग तो लगभग नामुमकिन है. फिर दांत को बचाया भी नहीं जा सकता है. लेकिन डेंटिस्ट के काम में दर्द नहीं होता क्योंकि वे एनेस्थेसिया इस्तेमाल करते हैं.

खेल खेल में दांत साफ

कभी कभी गांव के बड़ों और बच्चों को दांतों की सुरक्षा के बारे में भी बताना पड़ता है. डॉक्टर क्लाउडिया और उनके पति यह काम चाव से करते हैं. दुनिया की कोई भी जगह हो, दांत खराब होने की वजहें वही पुरानी होती हैं, लॉलीपॉप, मिठाइयां और चॉकलेट, यानि बच्चों की पसंदीदा चीजें. डॉक्टर वेबर बताती हैं, "इसलिए हम स्कूल जाते हैं और उन बच्चों से बात करते हैं, जिनमें दांत की बीमारी होने का डर रहता है. उन्हें बताते हैं कि दांत साफ करना क्यों जरूरी है. और वे दर्द से बचने के लिए क्या कर सकते हैं."

गांव के बच्चों के लिए तो इन डॉक्टरों का होना मजे लेकर आता है. खेल खेल में दांत साफ करने का नुस्खा मिल जाता है. इस गांव में कई बच्चे ऐसे भी हैं, जिन्होंने पहली बार टूथब्रश हाथ में लिया. ऐसे में बचपन में ही दांत खराब हो जाए, तो अचरज की बात नहीं.

हालांकि ये डेंटिस्ट यहां सिर्फ दो ही सप्ताह रह पाते हैं और यह समय बहुत कम है. इसी कम समय में डॉक्टर वेबर और उनके साथियों की कोशिश होती है कि स्थानीय लोगों को दांतों के बारे में अच्छे से जानकारी दे सकें, "हमें इस बात की उम्मीद होती है कि बच्चों को बताया जाए कि ब्रश करना उनकी रोजमर्रा की जरूरी चीज है. वे अपने छोटे भाई बहनों को भी इस बारे में बताएं और पूरा परिवार दांतों को लेकर सतर्क हो जाए." इसके बिना मोती जैसे दांत हो भी नहीं सकते.

रिपोर्टः थोमास क्लाइन/आभा मोंढे

संपादनः ईशा भाटिया

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