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दक्षिण एशिया में पैर जमाता इस्लामिक स्टेट

९ सितम्बर २०१४

आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट की पर्चियां और झंडे भारत और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में दिखाए दिेए हैं. ऐसे संकेत मिले हैं कि आईएस तालिबान और अल कायदा के गढ़ में आतंकियों का उत्साह बढ़ा रहा है.

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तस्वीर: Reuters

पाकिस्तान तालिबान से अलग हुआ जमात उल अहरार ने पहले ही खूंखार आतकंवादी संगठन इस्लामिक स्टेट के लिए अपना समर्थन देने का फैसला किया है. आईएस ने इराक और सीरिया के कई इलाकों पर कब्जा जमा लिया है. जमात उल अहरार और तालिबान के अगुवा एहसानुल्लाह एहसान ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बात करते हुए कहा, "इस्लामिक स्टेट एक जिहादी संगठन है, जो इस्लामिक प्रणाली और खिलाफत की स्थापना के लिए काम कर रहा है. हम उनकी इज्जत करते हैं, अगर वे हमसे मदद मांगते हैं तो हम उस पर विचार करेंगे और फैसला लेंगे."

अल कायदा संग आईएस

अल कायदा के बूढ़े होते नेता, पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा के पास छिपे हैं. कट्टर जिहादी सोशल मीडिया फोरम और ट्विटर अकाउंट पर ऐसे नेता कमजोर, थके और प्रभावहीन साबित हो रहे हैं, यही वो फोरम है जहां से नए लोगों की भर्ती होती है.

सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इस्लामिक स्टेट के बढ़ते लालच के कारण ही हो सकता है कि अल कायदा के अयमान अल जवाहिरी ने भारत में अल कायदा की ब्रांच शुरू करने का एलान कर दिया है. पिछले दिनों जवाहिरी ने भारत में अल कायदा की गतिविधियों को बढ़ाने का एलान किया था. दक्षिण एशिया में 40 करोड़ मुसलमान रहते हैं.

कहां से आई पर्चियां

अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए इस्लामिक स्टेट से जुड़ा संगठन पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तान के पेशावर में पर्चियां बांट रहा है. पेशावर के बाहरी इलाके में स्थित अफगान शरणार्थी शिविरों में 12 पन्नों की किताब बांटी जा रही है. किताब का नाम फतह है और वह दारी और पश्तो में लिखी हुई है. पर्चियों पर एके47 का लोगो बना हुआ है और इसमें स्थानीय लोगों से आतंकी संगठन को समर्थन देने की अपील की जा रही है. पेशावर के आसपास ऐसी कारें भी देखी गई है जिनपर आईएस के स्टिकर लगे हुए हैं. पेशावर में धार्मिक नेता समीउल्लाह हनिफी का कहना है कि पर्चियां एक छोटा सा संगठन इस्लामी खलीफात बांट रहा है. यह संगठन आईएस का खुले आम समर्थन करता है.

हनिफी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "मैं ऐसे कुछ लोगों को जानता हूं जिन्हें यह सामग्री या तो दोस्तों से या फिर अज्ञात आईएस कार्यकर्ताओं से मस्जिदों में मिली हैं." पाकिस्तान के एक सुरक्षा अधिकारी का कहना है कि पर्चियां अफगानिस्तान के कुनार प्रांत से आई हैं जहां तालिबान के लड़ाकों इसे बांट रहे थे.

कश्मीर में पहुंचा आईएस

आईएस का असर कश्मीर में भी दिखने को मिल रहा है. गर्मियों में आईएस के झंडे और बैनर दिखने के बाद भारत के कश्मीर में सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि वह अरब समूह के लिए समर्थन का स्तर पता करने की कोशिश कर रहे हैं. एक पुलिस अधिकारी के हवाले से रॉयटर्स समाचार एजेंसी ने लिखा है, "अधिकतर लोगों के मन में कोई धार्मिक झुकाव नहीं होता है. कुछ हो सकते हैं, एक फीसदी से भी कम जो अवश्य ही धार्मिक और कट्टरपंथी हैं जो आतंकवादी संगठनों में शामिल हो जाते हैं. ऐसे लोगों को अल कायदा, तालिबान और इस्लामिक स्टेट प्रभावित करते हैं." दिल्ली और कश्मीर में खुफिया और पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पहली बार श्रीनगर में ईद के जश्न के दौरान 27 जून को ये झंडे नजर आए थे. आईएस की ग्रैफिटी श्रीनगर में इमारतों की दीवारों पर भी देखी गई है. कुछ भारत विरोधी प्रदर्शन में नौजवानों को आईएस के झंडे के साथ देखा गया है. ऐसे नौजवानों की पहचान कर ली गई है लेकिन अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है.

एए/एएम (रॉयटर्स)