थाइलैंड में प्रदर्शनकारियों ने घुटने टेके
२० मई २०१०थाई सेना के टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों ने बुधवार की सुबह बैंकॉक के नगर केंद्र में प्रदर्शनकारियों की खड़ी की गई बाधाएं रौंद डालीं. आकाश में सैनिक हेलीकॉप्टर घूमने लगे. सैनिकों ने गोलियां चलाईं तो प्रदर्शनकारियों ने भी उन पर जलती हुई मशालें फेंकीं. कुछ प्रदर्शनकारियों ने एक पेट्रोल टैंकर को एक शॉपिंग सेंटर के सामने खड़ा कर दिया और धमकी देने लगे कि उसमें आग लगा देंगे.
सबसे खूनी झड़पें बैंकॉक के एक ग़रीब मुहल्ले में हुई बताई जाती हैं. वहां काले कपड़े पहने हथियारबंद लोग सैनिकों पर गोलियां चला रहे थे. बोन काई नाम के इस मुहल्ले में पहले भी कई मुठभेड़ें हो चुकी हैं. वहां के क़रीब 7000 निवासियों को पहले ही स्कूलों और हॉलों में टिकाया गया है.
प्रदर्शनकारियों के नेताओं ने जब देखा कि सेना के बल प्रयोग के आगे वे टिक नहीं सकते तो उन में से सात ने घुटने टेक दिए और खुद को पुलिस के हाथों सौंप दिया. उनमें से एक वेंग तोजिराकम ने कहा कि वे नहीं चाहते कि और ख़ूनख़राबा हो.
कुछ प्रदर्शनकारी अपने नेताओं के घुटने टेक देने से सहमत नहीं हैं. उन्होंने सुरक्षाबलों पर हथगोले फेंके और एक शॉपिंग सेंटर को आग लगा दी. इस बीच शहर के कई शॉपिंग सेंटर, एक होटल और शेयर बाज़ार में आग लगा दी गई है.
क्रुद्ध प्रदर्शनकारियों ने एक टेलीविज़न चैनल और कई समाचारपत्रों के कार्यालयों पर धावा बोल दिया. आरोप लगाया कि वे एकतरफ़ा रिपोर्ट दे रहे हैं. ऐसा लगता है कि नगर केंद्र में धरना तो उठ गया है, पर शहर के अन्य हिस्सों में दंगों और आगजनी का बोलबाला है. सेना ने कहा है कि शहर मे बुधवार शाम आठ बजे से सुबह छह बजे तक कर्फ्यू रहेगा. प्रधानमंत्री अभिसीत वेजाजीवा ने इस आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं.
बैंकॉक में जर्मनी के राजदूत हांस शूमाखार भी पिछले कई दिनों से घर से बाहर नहीं जा सके हैं. उनका निवास घटनाओं के मुख्य केंद्र के पास ही है. जर्मन दूतावास ने शहर में मौजूद क़रीब 1000 जर्मन नागरिकों से कहा है कि वे सड़कों पर न निकलें. पिछले सप्ताह गुरुवार को सेना और पुलिस ने धरना दे रहे प्रदर्शनकारियों की घेराबंदी कर दी थी. इससे जो हिंसा भड़की, वह बुधवार सुबह तक कम से कम 39 प्राणों की बलि ले चुकी थी. 300 से अधिक लोग घायल हुए हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/राम यादव
संपादनः ए जमाल