थाइलैंड की फिल्म को कान में गोल्डन पाम
२४ मई २०१०लाल शर्ट धारी प्रदर्शनकारियों और सरकार की तनातनी की वजह से निर्देशक अपीचातपोंग वीरासेताकुल कान फिल्म समारोह में आ भी नहीं पा रहे थे. लेकिन आखिरकार वह पहुंचे और उनकी फिल्म ने यहां दुनिया भर की फिल्मों को पछाड़ दिया.
अंकल बूमी हू कैन रिकॉल हिस पास्ट लाइव्स का निर्देशन करने वाले वीरासेताकुल ने गोल्डन पाम जीतने के बाद कहा, "मुझे लगता है कि थाइलैंड को कुछ उम्मीद की किरणों की दरकार है. वहां अलग अलग विचारधाराओं का जो टकराव हो रहा है, हम उससे बहुत दुखी हैं."
पुरस्कार जीतने वाली फिल्म में अंकल बूमी की कहानी है, जिन्हें एक घर में गोली मार दी जाती है और जो बिखरे बालों वाली आत्माओं से बात करते रहते हैं.
कान फिल्म समारोह में जूरी प्रमुख अमेरिका के टिम बर्टन ने इस फिल्म को एक 'खूबसूरत और अजीब सपना' बताया. उन्होंने कहा, "दुनिया छोटी होती जा रही है और फिल्में पश्चिम या हॉलीवुड की तर्ज पर बनती जा रही हैं. यह एक ऐसी फिल्म थी, जिसे देख कर मुझे लगा कि मैं वाकई किसी दूसरे देश का सिनेमा देख रहा हूं, किसी और नजरिए से फिल्म देख रहा हूं."
वीरासेताकुल ने कई और फिल्म समारोहों में भी शिरकत किया है लेकिन उन्हें वहां बड़ा पुरस्कार नहीं मिल पाया. लेकिन यहां उन्होंने माइक ली जैसे फिल्मकारों को भी पछाड़ दिया, जिन्हें 1996 में गोल्डन पाम पुरस्कार मिला था. इस बार ली की फिल्म अनदर ईयर प्रतियोगिता में थी.
फ्रांसीसी फिल्म निर्देशक जेवियर ब्योवी को उनकी फिल्म डेस होमेस एट डेस ड्यू के लिए ग्रां प्री पुरस्कार दिया गया. जूरी पुरस्कार चाड के महमत सालेह हारून को उनकी फिल्म उन होमे क्यू क्राई के लिए मिला, जबकि सर्वश्रेष्ठ निर्देशक फ्रांस के ही मथाऊ अमारलिक को टोर्नी के लिए दिया गया. मेक्सिको के खावियर बारडेम को बीयूटीफुल के लिए बेहतरीन अभिनेता और फ्रांस की जूलियट बिनोशे को ईरानी फिल्मकार अब्बास कियारोस्तमी की फिल्म कॉपी कॉन्फॉर्मे में काम करने के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री चुना गया.
पुरस्कार समारोह के साथ ही फ्रांस के कान शहर में 12 दिनों का फिल्मी मेला खत्म हो गया. यहां भारतीय फिल्मकारों मणिरत्नम और ऐश्वर्या राय के अलावा मल्लिका शेरावत का भी जलवा रहा, जबकि शेखर कपूर जूरी में शामिल थे. रसल क्रो की बहुचर्चित रॉबिन हुड से समारोह की शुरुआत हुई थी. हालांकि यह फिल्म पुरस्कारों की होड़ में नहीं थी.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः एस गौड़