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तैयार है सबसे लंबी बस

२९ दिसम्बर २०१२

जर्मनी में दुनिया की सबसे लंबी बस का परीक्षण किया जा रहा है. बस 30 मीटर लंबी है. इसमें 300 लोग सवारी कर सकते हैं. ट्रायल के बाद बसें बेची जाएंगी. उम्मीद है कि चीन, भारत और ब्राजील जैसे देश उन्हें खरीदेंगे.

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तस्वीर: Fraunhofer

जर्मन राज्य सैक्सनी में दुनिया की सबसे लंबी बस का परीक्षण किया जा रहा है. दो महीनों से चल रहे टेस्ट ड्राइव के बाद अब इसे सड़क पर लाया जा सकता है. तीस मीटर से भी लंबी यह बस अब जर्मनी में मेट्रो ट्रेनों को भी टक्कर दे सकती है. ऑटोट्राम कही जा रही इस बस के टिकट भी किफायती हैं. इसे चलने के लिए पटरियों और बिजली के तारों की जरूरत नहीं.

इसमें दूसरी बसों के मुकाबले ज्यादा लोगों को बिठाने की संभावना है. मतलब एक ट्रैम जितनी. इसमें ट्रैम जितना आराम है लेकिन बस चलाने का खर्चा भी है. अगर देखा जाए तो बहुत कम खर्च में बहुत ज्यादा लोग सफर कर सकते हैं.

इस ऑटोट्रैम में एक साथ तीन सौ लोग सफर कर सकते हैं. मेगा बस बिना यात्रियों के जर्मन हाईवे पर चार सौ किलोमीटर की दूरी तय कर पहली सार्वजनिक यात्रा पर टेस्ट के लिए जा रही है.

ऑटोट्रैम एक हाईब्रिड गाड़ी है. इसके डीजल जेनरेटर बिजली पैदा करते हैं, जो इंजन चलाती है. बैटरी अगर सही चार्ज हो, तो बस सिर्फ बिजली से भी चल सकती है.

इस बस को सैक्सनी की गोएपेल कंपनी ने तैयार किया है. यह कंपनी 1923 से बसें बना रही है. गोएपेल खास तौर से ऐसी बसें बनाती है, जिसमें ट्रेलर लग सकें. यात्रियों की संख्या के हिसाब से बस ट्रेलर के साथ या इसके बिना चलाई जा सकती है. इससे ईंधन भी बचता है. कंपनी हर साल ऐसी सौ बसें बेचती है.

अब कंपनी ऑटोट्रैम को विश्व बाजार में पेश कर रही है. चीन के अलावा कई देशों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई है. गोएपेल के अधिकारी रोनी श्मिड्ट कहते हैं, "दुनिया भर में कई महानगर हैं जो तेजी से बढ़ रहे हैं. मेट्रो और ट्रैम को जरूरत के मुताबिक जल्दी बनाने में मुश्किल होती है. और ऐसे हालात के लिए ऑटोट्रैम बिलकुल फिट है."

टेस्ट ड्राइव कर रहे रिचर्ज किएमेर भी ड्राइविंग के अनुभव पर कहते हैं, "मैंने तो पहले भी कहा है कि मैं बिलकुल संकरी जगहों पर भी मुड़ सकता हूं और मुड़ते हुए मुझे मेरी गाड़ी के पीछे वाली लाइटें भी दिखती हैं."

अब तक यह दुनिया की इकलौती ऑटोट्रैम है. लेकिन लोगों की दिलचस्पी देखते हुए 2013 की शुरुआत से इसका उत्पादन शुरू हो जाएगा.

रिपोर्ट: निखिल रंजन

संपादन: ओंकार सिंह जनौटी

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