तेरह खतरनाक खेल एक साथ
१६ अगस्त २०१३अगर इतने सारे खेल एक साथ एक जगह हों तो जाहिर है कि ऐसे में मजा और भी बढ़ जाता है. नॉर्वे के वॉस इलाके में एक्स्ट्रीम स्पोर्ट्स को एक हफ्ता आयोजित किया गया. सात दिनों में तेरह खतरनाक खेलों के मुकाबले होते हैं. यहां आने वाले सब कुछ आजमा सकते हैं, बस हिम्मत चाहिए.
मस्ती के लिए आसमान की ऊंचाइयों से धरती की गहराइयों तक कई लोगों का शौक होता है और ऐसे लोग वॉस में जन्नत जैसा महसूस करते हैं. यहां आने वालों के लिए खेलों में हिस्सेदारी सबसे बड़ी बात है, हार जीत तो बस बहाना है.
चुनौती भरा खेल
एक्स्ट्रीम स्पोर्ट्स की शुरुआत 1997 में हुई. स्काई डाइविंग क्लब, पैराग्लाइडिंग क्लब और राफ्टिंग क्लब, इन सबने मिल कर मेजबानी का फैसला किया. बाद में उन्होंने तय किया कि सब कुछ मिला कर एक ही हफ्ते में कराया जाए. वॉस की खासियत यह है कि यहां एथलीट एक नहीं, कई मुकाबलों में हिस्सा लेते हैं.
छठी बार इन खेलों में हिस्सा लेने आए जर्मन एथलीट सेबास्टियान ब्रुक कहते हैं, "यहां आप माहौल के लिए आते हैं. यहां बड़े सारे कूल लोग आते हैं. यहां बहुत कुछ ऐसा होता है, जो आप सोचते भी नहीं."
ब्रुक सिर्फ हिस्सा लेने ही नहीं आए, बल्कि माउंटेन बाइक टूअर भी कराते हैं. ऐसे रूट पर जहां अच्छे अच्छे तजुर्बेकार साइक्लिस्टों का भी पसीना छूट जाए. इसके लिए हेलिकॉप्टर से पच्चीस रेसरों को पहाड़ी पर पहुंचाया जाता है, समुद्र से 1,500 मीटर की ऊंचाई पर सुबह सात बजे नाश्ता होता है और फिर थोड़ी ही देर में रेस शुरू होती है. बिलकुल तीखी ढलान पर साइकिल से नीचे उतरना चुनौती भरा होता है.
सपने जैसा शहर
हालांकि एक्स्ट्रीम स्पोर्ट्स से अलग वॉस नॉर्वे का एक शांत शहर है. यहां की आबादी सिर्फ चौदह से 15,000 है. पहाड़ों, तालाबों, नदियों और घाटियों से घिरा यह खूबसूरत सपने जैसा शहर है. लेकिन उसके साथ ही यह आउटडोर यानि बाहर खेले जाने वाले खेलों के लिए बेहतरीन जगह है.
आउटडेर खेलों के इस शानदार हफ्ते में हर दिन सोलह मुकाबले होते हैं, जिनमें एथीलीटों को अंक मिलते हैं. जिसे हर खेल में मिला कर सबसे ज्यादा प्वाइंट मिलेंगे, उसे हफ्ते के आखिर में खास प्राइज मिलेगा. लंबा चौड़ा मुकाबला है, लेकिन माहौल हार जीत का नहीं, बल्कि परिवार जैसा होता है.
इस साल तीस देशों के करीब एक हजार एथलीट यहां पहुंचे. वॉस के लोगों के लिए भी यह खास समय रहा. कई बार वहां के रहने वाले भले ही खुद उन खेलों में हिस्सा लेने की हिम्मत ना कर सकें, लेकिन उन्हें देखने का मजा जरूर ले सकते हैं.
रिपोर्टः एफ कोएडिस/समरा फातिमा
संपादनः ईशा भाटिया