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समाज

तेज रफ्तार जिंदगी ने तलाक तक पहुंचाया

१४ नवम्बर २०१६

तेज रफ्तार जीवनशैली, जटिल होती जिंदगी और आर्थिक चुनौतियों का असर रिश्तों पर भी पड़ रहा है. दिल्ली हाई कोर्ट ने इन बातों के आधार पर एक दंपत्ति को तलाक दिया.

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Scheidung Symbolbild
तस्वीर: Colourbox

जस्टिस प्रदीप नंदराजोग और प्रतिभा रानी की बेंच ने एमबीएम ग्रेजुएट दंपत्ति को तलाक देते हुए कहा, "तेज रफ्तार जीवनशैली, जीवन में जटिलता और सपोर्ट सिस्टम के खराब होने और आर्थिक डगमगाहट वाली चुनौतियों ने दोनों पर निश्चित तौर पर असर डाला है." अदालत ने माना कि तलाक की अर्जी देने वाले पति-पत्नी कुशाग्र बुद्धि वाले थे, दोनों के पास अच्छी नौकरी भी थी, लेकिन शादी के मामले में इन बातों को नजरअंदाज कर दिया जाता है.

सुनवाई के दौरान पति ने अदालत के सामने पत्नी पर असामाजिक व मिलनसार न होने का आरोप लगाया, वहीं महिला ने पति को लाइलाज जेनेटिक बीमारी का पीड़ित बताया और रुखे व्यवहार का हवाला देते हुए तलाक की मांग की.

(गैलरी: तलाक के अहम कारण)

असल में 2014 में निचली अदालत ने इस जोड़े को तलाक देने से इनकार कर दिया था. तब इस फैसले के खिलाफ पति ने हाई कोर्ट में अपील की. उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को "निरर्थक मानसिक यातना" करार दिया और तलाक के हक में फैसला में दिया.

हाई कोर्ट के मुताबिक पति-पत्नी के बीच एक दूसरे के प्रति संयम, सामंजस्य और परस्पर सम्मान बिल्कुल नहीं है. यही वजह रही कि दिसंबर 2008 में शादी करने वाला जोड़ा मई 2009 में अलग हो गया. दो जजों की बेंच ने कहा, शादी "सिर्फ पांच महीने 21 दिन चली, जिसमें से 60 दिन दोनों एक दूसरे के साथ रहे. वे दिन भी खींचतान से भरे रहे. हमें आशा है कि उनकी कुंडली मिलाने वाला ज्योतिष नौसिखिया नहीं होगा."

(गैलरी: 2016 में बिखरे रिश्ते)

ओएसजे/आरपी (पीटीआई)