तुर्क जहाज पर हमला उचित थाः इस्राएल
२३ जनवरी २०११आयोग ने 245 पन्ने की अपनी रिपोर्ट में कहा है कि तुर्की जहाज मावी मरमारा ने समर्पण करने से इनकार कर दिया जिसकी वजह से इस पर हमला जरूरी हो गया. मावी मरमारा एक क्रूज जहाज है जिसे गजा में राहत सामान ले जाने के लिए बदल दिया गया था. इस्राएली नौसैनिकों ने इसे वापस भेजने के आदेश दिए लेकिन जहाज के यात्रियों ने जब मुड़ने से इनकार कर दिया तो नौसैनिकों ने इस पर धावा बोल दिया. झड़पों में नौ तुर्की नागरिक मारे गए:
जायज थी नाकेबंदी
तुर्केल आयोग पिछले साल 31 मई को हुए वारदात की जांच कर रहा है. अपनी रिपोर्ट में आयोग ने कहा है कि गजा की नाकेबंदी जायज थी क्योंकि हमास से उसे खतरा है. साथ ही इस्राएल फलिस्तीनियों को राहत भी पहुंचाने की कोशिश कर रहा है. अगर नाकाबंदी अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार नहीं भी थी, तो भी किसी को इसे तोड़ने का अधिकार नहीं था. रिपोर्ट में कहा गया है कि नौसैनिक हेलिकॉप्टरों से मावी मरमारा पर चढ़े और जब यात्रियों ने उन्हें जान की धमकी दी, तभी उन्होंने गोलियां चलाईं.
नौसैनिकों के हेलमेटों में लगे वीडियो कैमरों की मदद से आयोग ने 133 मामलों के जांच किए. जांचकर्ताओं का कहना है कि 127 मामलों में नौसैनिकों का जवाबी हमला सही था. "600 यात्रियों में से 100 ने लड़ाई करने की कोशिश की और इसलिए उन्हें आम व्यक्ति नहीं समझा जा सकता बल्कि उन्हें हिंसा में सीधी तरह से हिस्सा लेने वालों का दर्जा दिया जा सकता है." हालांकि मारे गए नौ तुर्की नागरिकों में एक अमेरिकी नागरिक भी शामिल था. उसकी मौत के बारे में पूछा गया तो आयोग सदस्यों ने कहा कि उसपर चली गोली के बारे में जानकारी नहीं थी.
तुर्की नाखुश
आयोग ने मावी मरमारा में सवार अरबी मूल के लोगों से भी सवाल पूछे लेकिन विदेशी गवाहों के तौर पर कम ही लोग सामने आए. आयोग में दो विदेशी पर्यवेक्षक भी शामिल थे, कनाडा के सैन्य वकील केनेथ वॉटकिन और उत्तरी आयरलैंड के नेता डेविड ट्रिंबल. इस्राएली नौसैनिकों ने हालांकि जांच में हिस्सा नहीं लिया और उनके बयान उनके अफसरों ने आयोग को सौंपे. जांच के दौरान वरिष्ठ अधिकारियों, रक्षा मंत्री एहूद बाराक और प्रधानमंत्री बेन्यामीन नेतन्याहू से भी सवाल पूछे गए.
मावी मरमारा एक कट्टरवादी इस्लामी तुर्की संगठन आईएचएच का जहाज है. इस्राएली आयोग का कहना है की यह संगठन बहुत सोच समझ कर अपनी हिंसक योजनाएं बनाता है जो "साफ साफ इस्राएल और हमास के बीच हिंसा से जुड़ा है." आयोग के बयानों के बाद तुर्की भी जाहिर है इस्राएल से खुश नहीं होगा. तुर्की के इस्राएल से अच्छे संबंध रहे हैं लेकिन इस हादसे के बाद तुर्की ने जब इस्राएल से माफी मांगने को कहा और मुआवजा देने को कहा, तो इस्राएल ने इनकार कर दिया.
पिछले साल सितंबर में तीन अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों को संयुक्त राष्ट्र की तरफ से मामले की जांच करने को कहा गया. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का मानना था कि हमला गैरकानूनी था और मानवाधिकारों के विरोध था. इस्राएल ने जांच का जवाब देते हुए कहा कि जांचकर्ता निष्पक्ष नहीं थे.
रिपोर्टः एजेंसियां/एमजी
संपादनः ए जमाल