तुर्कों को वापस भेजना चाहते थे कोल
५ अगस्त २०१३चांसलर बनने के कुछ ही हफ्ते बाद हुई इस मुलाकात का विवरण थैचर के सहायक ने नोट किया था और उसे हाल ही 30 साल बीत जाने के बाद सार्वजनिक किया गया है. जर्मनी के श्पीगेल साप्ताहिक के ऑनलाइन संस्करण ने इसे पहली बार छापा. बातचीत के विवरण के अनुसार, "कोल ने कहा, अगले चार सालों में तुर्कों की संख्या को 50 फीसदी कम करना जरूरी होगा, लेकिन वे यह बात खुलेआम नहीं कह सकते."
हेल्मुट कोल ने ये टिप्पणी 1982 में चांसलर बनने के फौरन बाद की थी. रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने ब्रिटिश प्रधानमंत्री से यह भी कहा, "जर्मनी में पुर्तगाली, इटालवी, यहां तक कि दक्षिण पूर्व एशियाई लोगों से भी कोई समस्या नहीं है, क्योंकि ये समुदाय आसानी से घुलमिल जाते हैं, लेकिन तुर्क अलग तरह की संस्कृति के हैं और वे अच्छी तरह घुलते मिलते नहीं." कोल और थैचर की बातचीत 28 अक्टूबर 1982 को हुई थी जबकि वे 1अक्टूबर 1982 को चांसलर बने थे.
कोल की टिप्पणियों के सार्वजनिक होने के बाद पूर्व चांसलर के दफ्तर ने एक बयान जारी कर इन टिप्पणियों को उचित ठहराया और कहा कि उनकी टिप्पणी उस समय देश में विदेशियों की नीति पर चल रही बहस का हिस्सा थी. 1998 तक चांसलर और 25 साल तक अपनी पार्टी सीडीयू के अध्यक्ष रहे हेल्मुट कोल ने अपने शासन के दौरान बार बार कहा था कि जर्मनी आप्रवासन का देश नहीं है, हालांकि जर्मनी में आप्रवासियों की संख्या लगातार बढ़ रही थी. थैचर से हुई बातचीत के एक साल बाद कोल ने विदेशियों के लिए वापसी में मदद कानून पास किया, लेकिन उसे बहुत सफलता नहीं मिली. ज्यादातर लोगों ने जर्मनी में ही रहना पसंद किया.
विपक्षी एसपीडी के सांसद थोमस ओपरमन ने रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इसके पीछे की सोच भयावह है. "यह सोच इस बात से प्रभावित थी कि आप्रवासी और शरणार्थियों को बोझ समझा जाता था." इस बीच कामगारों में कमी के कारण आप्रवासन को बड़ा अवसर समझा जाता है. जर्मनी में रहने वाले तुर्क समुदाय के प्रमुख केनान कोलात ने कहा, "आज राजनीतिक वर्ग ऐसा कहने की हिम्मत नहीं कर सकता, यह प्रगति है." हेल्मुट कोल के एक बेटे ने तुर्क महिला से शादी की है. शादी में कोल खुद भी शामिल थे.
जर्मनी की आबादी इस समय आठ करोड़ है जिसमें 70 लाख विदेशी हैं. तुर्क मूल के 30 लाख लोग रहते हैं, जिनमें से बहुत से लोगों ने 1998 में सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी एसपीडी के सत्ता में आने के बाद बने नए नागरिकता कानून के तहत जर्मन नागरिकता ले ली है. जर्मनी ने बहुत से तुर्कों को 1961 के बाद से आर्थिक चमत्कार के दौरान पैदा हुए श्रमिकों की कमी से राहत पाने के लिए जर्मनी बुलाया था. 1950 से 60 के दौरान इटली, ग्रीस, पुर्तगाल, ट्यूनीशिया और युगोस्लाविया से भी "गेस्ट वर्करों" को बुलाया गया था.
एमजे/एमजी(डीपीए, एएफपी)