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तीन देशों में एक के बाद एक आतंकी हमले

२६ जून २०१५

मानवाधिकारों पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट में अमेरिका ने 2014 को "आतंकी अत्याचारों का साल" बताया है. तो दूसरी ओर शुक्रवार फ्रांस, ट्यूनीशिया और कुवैत में एक के बाद एक आतंकी हमले हुए. हमलों में दो दर्जन से ज्यादा लोग मारे गए.

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तस्वीर: Reuters/Amine Ben Aziza

पहला हमला दक्षिण पूर्वी फ्रांस में एक अमेरिकी गैस कंपनी पर हुआ जहां दो लोगों ने गाड़ी से टक्कर मारकर गैस धमाका करने की कोशिश की. प्लांट के सुरक्षाकर्मियों ने एक व्यक्ति को पकड़ लिया जिसे हिरासत में ले लिया गया. पास से अरब लिखावट में लिपटी एक लाश का कटा हुआ सर मिला है. राष्ट्रपति फ्रांसोओ ओलांद ने हमले को आतंकवादी चरित्र का बताया है. ट्यूनीशिया के तटीय शहर सूस में दो लोगं ने एक होटल पर हमला किया जिसमें 27 लोगों के मारे जाने की खबर है. उधर कुवैत में एक शिया मस्जिद पर हमला हुआ जिसमें 25 लोग मारे गए हैं. हमले की जिम्मेदारी कट्टरपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट ने ली है.

Marhaba Hotel in Sousse Tunesien
हमले का शिकार मरहबा होटलतस्वीर: Imago

इससे पहले मानवाधिकारों पर अपनी वार्षिक ग्लोब रिपोर्ट में अमेरिका ने 2014 को "आतंकी अत्याचारों का साल" बताया था. आमतौर पर इस रिपोर्ट में ऐसी सरकारों का जिक्र होता है जिसने मानव अधिकारों का हनन और मीडिया का दुरुपयोग किया हो. पहली बार इसमें आईएस जैसे गैर सरकारी किरदारों की क्रूर गतिविधियों पर ध्यान केन्द्रित किया गया है. इनमें इस्लामिक स्टेट के अलावा, अरब प्रायद्वीप और पश्चिमी इस्लामिक देशों में अल कायदा, बोको हराम, अल शबाब, जबहत अल-नुसरा और दूसरे कई आतंकी समूह शामिल हैं.

अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने रिपोर्ट की प्रस्तावना में लिखा है, "हमने बड़े स्तर पर इस्लामिक स्टेट को लोगों को जिंदा जलाते, बंदियों का क्रूरता से सिर कलम होते, लड़कियों को गुलामों के तौर पर बेचे जाते और कई भेदभावपूर्ण हरकतें करते देखा है." रिपोर्ट में सीरिया पर सामूहिक हत्याएं करने, पड़ोसी देश के नागरिकों पर हमले करने और बलात्कार को युद्ध में एक हथियार की तरह इस्तेमाल करने की आलोचना की गई है. बताया गया है कि सीरिया ने ना केवल सरकारी सुरक्षा बलों बल्कि संबंद्ध मिलिशिया का इस्तेमाल भी लोगों के अधिकारों के हनन के लिए किया.

Frankreich Anschlag bei Grenoble
फ्रांस में ग्रेनोब्ले के पास हमलातस्वीर: Reuters/E. Foudrot

कुछ हफ्तों तक शांत रहने के बाद आईएस आतंकियों ने उत्तरी सीरिया के दो शहरों पर फिर से आक्रमण किया. सरकारी अधिकारियों ने बताया है कि इन कुर्द-बहुल इलाकों में आतंकवादियों ने कई जानें लीं, दर्जनों लोगों को गंभीर रूप से घायल किया और कार बम विस्फोट किए. ब्रिटेन स्थित मानवाधिकार संगठन सीरियन ऑब्जर्वेट्री फॉर ह्यूमन राइट्स ने बताया है कि सीरिया के कोबानी तथा उसके निकटवर्ती गांव पर इस्लामिक स्टेट के हमले में 146 व्यक्ति मारे गये. इस्लामिक गुट द्वारा सीरिया में किया गया यह दूसरा बड़ा नरसंहार है.

पूर्वोत्तर शहर हासाके और सीमावर्ती शहर कोबानी पर हुए दोहरे हमले के ठीक दो दिन पहले ही आईएस के एक प्रवक्ता ने माना था कि उनका समूह कुछ मोर्चों पर जरूर हारा है लेकिन उन्होंने लड़ाई में हार नहीं मानी है. प्रवक्ता अबु मुहम्मद अल-अदनानी ने आतंकियों से रमजान के पावन महीने में अपने दुश्मनों पर फिर से टूटने की अपील की थी. इन दोहरे हमलों को उसी अपील का नतीजा माना जा रहा है. तुर्की की सीमा के पास स्थित सीरियाई शहर कोबानी आईएस के खिलाफ कुर्द प्रतिरोध का प्रतीक बन गया था. जनवरी 2015 में कोबानी और पास के गांवों को अमेरिकी हवाई हमलों की मदद से कुर्द सेना ने आतंकियों के चंगुल से आजाद कराया था.

आरआर/एमजे (एपी, डीपीए)