तिहाड़ जेल के कलाकार
तिहाड़ जेल में कैदियों की आत्महत्या या क्षमता से ज्यादा कैदी होने की खबरें आती रहती हैं. लेकिन सलाखों के भीतर संवेदना की भी बड़ी जगह है. कई कैदियों में संवेदनशील कलाकार भी छिपा हुआ है. देखें तस्वीरों में...
सुंदर पेंटिंग
तिहाड़ जेल में पेंटिंग बनाता एक कैदी. जेल में पढ़ाई, संगीत, हथकरघा और लघु कुटीर उद्योगों के लिए ट्रेनिंग समेत योग और विपश्यना के शिविर भी लगाए जाते हैं.
सपनों के गांव
खूबसूरत और अच्छी पेंटिंग बनाने वाले कलाकारों की तिहाड़ में कोई कमी नहीं. 1990 के दशक से यहां सुधार कार्यक्रम शुरू हुए हैं.
एक से एक कलाकार
किरण बेदी के दौर में तिहाड़ में सुधार कार्यक्रमों की शुरुआत हुई. उस समय इस जेल का नाम बदल कर तिहाड़ आश्रम कर दिया गया और वहां विपश्यना सहित कई वर्कशॉप शुरू हुए.
पढ़ाई
आश्रम कहे जाने वाली इस जेल में पढ़ाई के लिए बाकायदा कक्षाएं भी लगाई जाती हैं.
आ जी ले जरा
1990 के दशक से शुरू हुए सुधारों में तिहाड़ में म्यूजिक थैरेपी भी शुरू की गई. गुरुवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में संगीत की धुन छेड़ता एक बैंड.
अलग अलग वर्कशॉप
कैदियों को तिहाड़ में अलग अलग काम सिखाए जाते हैं. ताकि जेल से निकलने के बाद वे अपने पैरों पर खड़े हो सकें. इसमें जूते बनाने की वर्कशॉप भी शामिल है.
प्रशिक्षण
इस तरह के वर्कशॉप में कैदियों को जूते बनाने के अलावा भी कई कुटीर उद्योगों को शुरू करने का प्रशिक्षण दिया जाता है. तस्वीर में जूता डिजाइन करते कैदी.
जेल महानिदेशक
तिहाड़ की महानिदेशक विमला मेहरा सालाना संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए. तिहाड़ में वैसे तो कुल 6,250 कैदियों के लिए जगह है लेकिन यहां करीब 13,500 कैदी हैं.