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तालिबान को धमकी

८ मार्च २०१४

पाकिस्तान ने कहा है कि वह तालिबान के साथ बातचीत के जरिए शांति लाने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन साथ ही बातचीत विफल होने की स्थिति में सैनिक अभियान छेड़ने की चेतावनी दी है.

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Afghanistan Taliban Kämpfer Archivbild
तस्वीर: STR/AFP/Getty images

इस हफ्ते पाकिस्तान सरकार ने शांति प्रक्रिया को तेज करने के लिए एक नई समिति बनाने की घोषणा की थी जो तालिबान के साथ सीधी बातचीत करेगी. सात साल से चल रहे तालिबानी विद्रोह की समाप्ति के लिए चल रही बातचीत तब रोक दी गई थी जब तालिबान के लड़ाकों ने 23 अपहृत सैनिकों को मार डाला था. दो हफ्ते के विराम के बाद इसी हफ्ते फिर से बातचीत शुरू हुई है.

कट्टरपंथी तालिबान के हमलों में हजारों जानें गईं हैं. सोमवार को इस्लामाबाद में एक अदालत परिसर पर हुए हमले में 11 लोग मारे गए थे. लगातार जारी उग्रपंथी हिंसा ने शांति प्रक्रिया को पटरी से उतारने का खतरा पैदा कर दिया है. हालांकि तहरीके तालिबान ने हमले की जिम्मेदारी से इंकार किया है और कहा है कि संघर्षविराम जारी है.

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ का कहना है कि बातचीत सरकार की प्रमुख विकल्प है. "देश में शांति लाने के लिए बातचीत हमारी उच्च प्राथमिकता है." लेकिन साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि यदि वार्ता में प्रगति नहीं होती है और वे मकसद पूरा करने में नाकाम रहते हैं तो सरकार सैनिक अभियान चला सकती है. तालिबान के साथ फरवरी में शुरू हुई बातचीत पिछले साल तीसरी बार प्रधानमंत्री चुने गए नवाज शरीफ का मुख्य चुनावी वादा था.

Islamabad Bombenanschlag
इस्लामाबाद की अदालत के बाहर धमाके के बाद पुलिसकर्मीतस्वीर: Reuters

शरिया कानून की मांग

लेकिन बहुत से राजनीतिक विश्लेषकों को तालिबान के साथ बातचीत की सफलता में संदेह है. तालिबान देश भर में शरिया कानून लागू करने और कबायली इलाकों से सेना को हटाने की मांग कर रहा है. जनवरी में नवाज शरीफ द्वारा बातचीत के लिए टीम घोषित किए जाने के बाद से कट्टरपंथी हिंसा में 110 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. यह घोषणा ऐसे समय में हुई जब बहुत से लोग उत्तरी वजीरिस्तान में पूरी सैनिक कार्रवाई की उम्मीद कर रहे थे. अमेरिका लंबे समय से पाकिस्तान पर उग्रपंथियों को पनाह देने वाले इलाकों में कार्रवाई के लिए दबाव डाल रहा है.

पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने चेतावनी दी है कि यदि तालिबान संघर्ष विराम पर अमल नहीं करता है तो उनकी सरकार उग्रपंथियों के छुपने की जगहों पर बमबारी करने से नहीं हिचकेगी. आसिफ को लंबे समय तक वार्ता का समर्थक माना जाता था, लेकिन इस बीच वे शरीफ सरकार के उन सदस्यों में शामिल हो गए हैं जिनका मानना है कि अब तालिबान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का वक्त आ गया है. आसिफ कहते हैं, "यदि वापसी के बाद की अवधि में अफगान तालिबान मजबूत हो जाता है और पूर्वी और दक्षिणी अफगानिस्तान में अधिकार जमा लेता है, तो यह ऐसी स्थिति होगी जिसके बारे में हम सोचना नहीं चाहते."

2007 से पाकिस्तानी सेना ने पश्चिमोत्तर में सैन्य अभियान चलाए हैं और दक्षिणी वजीरिस्तान सहित कई इलाकों को खाली करा लिया है लेकिन उत्तरी वजीरिस्तान में कोई कार्रवाई नहीं की गई है, हालांकि तालिबान के सदस्यों ने वहां पाकिस्तान सरकार के खिलाफ लड़ने वाले साथी अफगान दलों के साथ वहां पनाह ली है. पाकिस्तान सरकार को डर है कि 2014 में अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद कट्टरपंथ और उग्र हो सकता है.

एमजे/आईबी (एएफपी, रॉयटर्स)

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