ताक झांक, कहानी और कविता वाला हमाम खतरे में
५ अगस्त २०१०'हमाम में सब नंगे' यह मुहावरा भारत में बेहद आम है. लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि हमाम आखिर होता क्या है. हमाम असल में साबुन नहीं बल्कि अरब देशों का सामूहिक स्नानगृह है. पानी बचाने के लिए अरब देशों में हमाम की परंपरा शुरू हुई. महिलाएं और पुरुष हमाम में जाकर लाइन में लगते हैं. नंबर आने पर मालिश, फिर त्वचा की सफाई होती है, उसके बाद एक बड़े से बरामदे नुमा तालाब में निर्वस्त्र होकर नहाया जाता है.
कुछ साल पहले तक नौजवान लोग महिलाओं वाले हमाम में ताक झांक भी करते थे. प्रेम कहानियां बनती थीं. शादी के वक्त दूल्हे को चिढ़ाया जाता था कि तेरी पत्नी हमाम में ऐसी दिखती है. हमाम न सिर्फ स्नानगृह था बल्कि उससे कहीं ज्यादा एक संस्कृति माना जाता रहा, कई कहानियों और कविताओं को जन्म देने वाला हमाम.
लेकिन अब अरब देशों में हमाम का चलन फीका पड़ता जा रहा है. घर घर में नल और बाथरूम होने की वजह से लोगों ने हमाम जाना कम कर दिया है. तुर्की की राजधानी इंस्ताबुल में कई ऐतिहासिक हमाम बंद हो चुके हैं. कई हमाम कॉफी हाउस में बदल दिए गए हैं. जो बचे हैं वह भी आधुनिकता के मेकअप से पुत गए हैं. हमाम में जाते ही लाइफ स्टाइल उत्पाद बिकते दिखाई पड़ते हैं. कड़ाई से होने वाली त्वचा की सफाई अब साबुन से मुलायम और मखमली अंदाज में की जाती है. बातचीत, किस्सेबाजी और ताक झांक तो खत्म हो चुकी है. यानी स्थानीय कहानियों को पैदा करने का माहौल अब हमाम में रहा ही नहीं.
सेलिब्रेटीज हमाम की मालकिन रुसेन बालताची कहती हैं, "पुराने हमामों का दौर खत्म हो गया है. महिलाएं पहले हमाम में अकेली होती थीं, लेकिन अब वह पबों, सिनेमा और शॉपिंग करने जा सकती हैं. घर घर में बाथरूम हैं.'' लेकिन परंपरा के रूप में उसका महत्व बढ़ रहा है. तुर्की में पर्यटन उद्योग में हमाम एक बड़ा आकर्षण है. लेकिन एक युवा तुर्क युवक कहता है, ''मैं कभी हमाम में गया ही नहीं. मुझे नहीं पता वहां कैसे क्या करना होता है. मैं चाहता हूं कि मैं लोगों को नहाते हुए देखूं, लेकिन मैं इस माहौल में रहा ही नहीं हूं.''
हमाम की इस हालत के लिए पश्चिमी देशों की अंधी नकल भी कम जिम्मेदार नहीं है. युवा वर्ग का एक बड़ा तबका मानने लगा है कि हमाम साफ सफाई के लिहाज से गंदा है. ऐसे युवाओं को स्विमिंग पूल साफ लगता है.
हालांकि अब भी हमाम को बचाने की जी तोड़ कोशिश हो रही है. देसी विदेशी टूरिस्ट एजेंसियां चाह रही हैं कि हमाम जिंदा रहे. रुसेन बालताची कहते हैं, ''टूरिस्ट एजेंसियां हमाम को जी जान से बढ़ावा दे रही हैं. वह जानती है कि विदेशी पर्यटक हमाम में समय बिताना पसंद करेंगे.'' लेकिन स्थानीय लोगों के रुख से नाउम्मीद हो चुके बालताची खुद कहते हैं कि अब हमाम को स्पा या मड बॉथ शॉप बनाना उन्हें ज्यादा बेहतर लगता है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: महेश झा