तलाकशुदा कैथोलिकों की गंभीर समस्या
१३ अक्टूबर २०१४वे दो टूक बोलते हैं. एक यूरोपीय सिनोड में उन्होंने पंरपराओं की परवाह नहीं की. पोप की उपस्थिति में उन्होंने सीधे गिरजे में सुधारों की मांग की. उनका एक मुद्दा था तलाक के बाद फिर से शादी करने वाले कैथोलिक धर्माबलंबियों के साथ गिरजे का बर्ताव. यह मामला उन दिनों पूरी दुनिया में सुर्खियों में रहा. आज भी दोस्ताना पादरी दिखने वाले 74 वर्षीय वैर्ब्स उन दिनों की याद करते हैं.
डीडब्ल्यू: बिशप वैर्ब्स, क्या हुआ था कि आपने 1991 में ही खुलकर एक मुद्दे की बात की थी , जिस पर अब एक बार फिर चर्चा हो रही है. फिर से शादी करने वाले तलाकशुदा लोगों के साथ चर्च का सख्त रवैया.
नॉर्बर्ट वैर्ब्स: इससे पहले यूरोप के लिए बिशपों का सिनोड पूर्वी जर्मनी में हुए परिवर्तनों के तुरंत बाद हुआ था. पूरब और पश्चिम के बीच की दीवार गिर गई थी. और जो मुद्दा हमें आंदोलित कर रहा था वह यह था किस चर्च के सामने क्या चुनौती है. यह मुद्दा पोप योहानेस पॉल को भी आंदोलित कर रहा था. मैंने खुद से कहा, हमें इसके बारे में सिर्फ सोचना ही नहीं चाहिए कि हम यूरोप के लोगों से क्या कहना चाहते हैं, बल्कि इसके बारे में भी कि हम लोगों पर किस तरह असर डाल सकते हैं. इसमें मेरे लिए उन विवाहित जोड़ों के साथ बर्ताव भी शामिल था जिन्होंने अदालत में तलाक लेने के बाद फिर से शादी की है. चर्च को इस मामले में दयाहीन नहीं दिखना चाहिए.
23 साल बाद पोप फ्रांसिस इस मुद्दे पर ध्यान दे रहे हैं?
मुझे खुशी है कि यह मुद्दा फिर से एजेंडे पर है. यह साफ है कि धार्मिक चुनौतियों का सामना तभी किया जा सकता है जब लोगों की चिंताओं का ख्याल किया जाए. तब भी और आज भी.
उस समय आपके सवाल पर क्या प्रतिक्रिया हुई थी?
सिनोड में ही कुछ भागीदारों ने मुझे बधाई दी. उसके बाद प्रेस में कुछ हंगामा हुआ, इटली की प्रेस में और कुछ दूसरे देशों की मीडिया में भी. बस इतना ही रहा.
क्या रोम से फटकार भी सुनने को मिली? आप उन दिनों भी ऑक्जिलरी बिशप थे और आज भी हैं. आपको रेसीजेंट बिशप के रूप में तरक्की नहीं दी गई.
नहीं, मुझे कोई नुकसान नहीं हुआ. मैं 1981 से ही, जीडीआर के समय से यहां श्वेरीन में ऑक्जिलरी बिशप हूं. मैंने कभी बिशप के रूप में डियोसेस का प्रमुख बनने की नहीं सोची. मैं सचमुच नहीं सोचता कि 1991 के सिनोड में मेरे भाषण की वजह से मुझे कोई मुश्किल हुई.
वापस श्वेरीन लौटने के बाद लोगों की क्या प्रतिक्रिया हुई?
सदस्यों के बीच सकारात्मक प्रतिक्रिया महसूस हुई. लोगों को यह मुद्दा आंदोलित कर रहा था. ये उनकी तकलीफें और चिंताएं थीं.
आपके प्रयास के कुछ साल बाद पश्चिम जर्मनी के तीन प्रमुख बिशपों, कार्ल लेमन, वाल्टर कास्पर और ऑस्कर जायर ने फिर से विवाहित तलाकशुदा लोगों वाली बहस में कुछ प्रगति लाने की कोशिश की. रोम ने इन कोशिशों को दबा दिया...
आज की हकीकत क्या है? गिरजे की समझ से कानूनी तौर पर अवैध संबंध में रहने वाले कैथोलिकों की तादाद बड़े पैमाने पर बढ़ी है. वे गिरजे के बाहर हैं. यह गंभीर समस्या है. दूसरी ओर विवाह के तोड़े न जा सकने का यीशु का शब्द है. इसीलिए 1991 में मैंने सिर्फ सवाल उठाए, उनके समाधान का कोई ठोस प्रस्ताव नहीं दिया. लेकिन यदि हम कम से कम यहां यूरोप में लोगों की जिंदगी की हकीकत को देखें, तो हम इस सवाल से कन्नी नहीं काट सकते.इसीलिए मुझे खुशी है कि अब इस पर खुली बहस हो रही है. 1991 के मुकाबले ज्यादा खुली.
आपकी रोम से क्या उम्मीदें हैं?
मुझे उम्मीद है कि एक अच्छा और स्वीकार्य समाधान आए. ऐसे समाधान की जरूरत है जिसमें दयाशीलता भी दिखे. ऑर्थोडॉक्स चर्च का रास्ता मुझे इसलिए भी समस्याजनक लगता है कि वह व्यवहार में तलाक के समान है. नहीं, मुझे उम्मीद है कि रोम में विचार विमर्श में एक ऐसा रास्ता ढूंढने में कामयाबी मिलेगी जिस पर यीशु की चेतावनी का असर हो और संबंधित लोगों के साथ दया दिखाने की संभावना दे.
इंटरव्यूः क्रिस्टोफ श्ट्राक/एमजे