डाल-डाल पर इठलाती तितलियां
१ मई २०१३आभा मोंढे और ओंकार सिंह जनौटी जी द्वारा टीवी टावर कलेक्शन फोटो के साथ बहुत ही अच्छी लगी जिसमें अलग अलग देशों की तस्वीरों की जानकारी दी गयी. ऐसी एकमात्र जानकारियां डीडब्ल्यू के अलावा कहीं नहीं मिलती, जिसके लिए आप लोग खूब मेहनत करके हमारे लिए सब कुछ नेट पर देते हैं. इन सब के लिए डीडब्ल्यू टीम का बहुत बहुत धन्यवाद. आजकल मासिक पहेली की अपडेट बहुत हो रही है इसकी कोई खास वजह?
गुरदीप सिंह दाउदपुरी, कपूरथला, पंजाब
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तस्वीरों में मशहूर इमारतों, मकानों की चोरी देख कर इस विषय के बारे में जानकारी प्राप्त हुई. मशहूर इमारतों, आर्किटेकचर नकल तो बना सकते हैं लेकिन असली आर्किटेकचर डिजाइन जैसे की ताजमहल, आइफिल टॉवर का महत्व पर्यटक और आर्कियोलॉजी की दृष्टि में कभी नहीं खतम होता है.
सुभाष चक्रबर्ती, नई दिल्ली
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इलाहाबाद से इंटरनेशनल फ्रेंडस क्लब के रवि श्रीवास्तव हमारे एक नियमित पाठक हैं और अक्सर हमारी रिपोर्टों पर अपनी प्रतिक्रियाए भेजते रहते हैं. जानिए हाल ही की रिपोर्टों पर उनके विचार:
भूल से भारत पहुंची खूबसूरत तितली - डाल-डाल पर इठलाती-मंडराती तितलियों की दास्तान इतनी दिलचस्प होगी मालूम न था. डॉयचे वेले की विज्ञान रिपोर्ट पढ़ने से पहले मुझे लगता था कि भारत में तितलियों का इतिहास काफी पुराना है लेकिन अब पता चला कि वास्तव में ये अमेरिकी हैं. चाहे कुछ भी बात हो लेकिन तितलियों का अमेरिका से लेकर भारत तक का सफर बड़ा ही रोचक और दिलचस्प लगा. भले ही भूल से ये प्यारी तितलियां भारत आ गई हों लेकिन भारत का प्राकृतिक माहौल उन्हें रास आया शायद यही वजह है कि उनकी संख्या भी उतरोत्तर बढ़ती जा रही है और आज भारत के किसी भी कोने में इन्हें देखा जा सकता है.
गुम हुई शमशाद की छम छमा छम - बॉलीवुड के शुरुआती दिनों की कुछ ही आवाजें ऐसी रहीं जो आज भी सिने प्रेमियों के हृदय के अन्तर्मन को छू जाती हैं उनमें से एक शमशाद बेगम भी थीं जिन्होंने गाने तो कम गाए लेकिन जो भी गाए उसके बोल पुरानी पीढ़ी ही नहीं नई पीढ़ी के भी होठों पर आज भी उसी अन्दाज में रहते हैं. डॉयचे वेले की एक खास रिपोर्ट से पता चला कि सुरों की मलिका अब नहीं रहीं तो दो शब्द लिखे बिना रह न सका. शमशाद बेगम की आवाज की खनक ही थी कि ओ.पी. नैयर जैसे चोटी के संगीतकार ने लता की जगह सिर्फ शमशाद बेगम और आशा भोंसले को ही अपने संगीत के काबिल समझा और अमर गीत बॉलीवुड को दिए. रेडियो हो या गली चौराहे पर बजने वाले लाउडस्पीकर, होली पर फिल्म मदर इंडिया का ‘होली आई रे कन्हाई' गीत हर तरफ सुनाई पड़ जाता है. इसी तरह मुगल-ए-आजम का ‘तेरी महफिल में किस्मत आजमा कर हम भी देखेंगे' जैसे ढेर सारे यादगार गीत शमशाद बेगम की सदा याद दिलाएंगे. बॉलीवुड के सफर में शमशाद बेगम एक मील का पत्थर हैं उनकी आवाज पर बॉलीवुड ही नहीं पूरा देश नाज करता है. शमशाद बेगम भले ही आज नहीं रहीं पर उनके सुर सदा संगीत प्रेमियों के होठों की गुनगुनाहट में रचे-बसे रहेंगे.
चिटफंड के दलदल में डूबते सपने - शारदा समूह के बहाने चिटफंड के माध्यम से छोटे निवेशकों की पूंजी से खिलवाड़ करने वाली कंपनियों के बारे में संक्षिप्त किन्तु सार्थक रिपोर्ट डॉयचे वेले की वेबसाइट पर पढ़ने को मिली. सच तो ये है कि ऐसी कंपनियां बिना प्रचार-प्रसार के धन उगाहने का लम्बा-चौड़ा गेम नहीं कर सकतीं, लिहाजा सरकार के साथ-साथ सेबी और रिजर्व बैंक को भी पुलिस की तरह मुखबिर बनाने चाहिए वैसे राज्यों में बने आर्थिक अपराध शाखाएं भी इस काम को बखूबी निभा सकती हैं बशर्ते वो अपना काम ईमानदारी से करें. पिछले कुछ वर्षों के दौरान इस प्रकार की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हुई है. स्पीक एशिया जैसी कंपनियां अरबों रुपए डकार चुकी हैं और सरकार के पास कोई जवाब नहीं है. आवश्यकता है विज्ञापनों और प्रचार-प्रसार के संबंध में स्पष्ट नीतियों और कानून की जो समय रहते ही एजेंसियों को सतर्क कर दें. दूसरी बात ये कि यदि अनुमति प्राप्त या मान्यता प्राप्त कंपनियां इस प्रकार का काम करती हैं तो उसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की स्वयं होनी चाहिए.
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संकलनः विनोद चड्ढा
संपादनः आभा मोंढे