डायरेक्ट फ्लाइट से चीन क्यों जाते हैं पांडा?
२४ फ़रवरी २०१७अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन के चिड़ियाघर में रहने वाली मादा पांडा बाओ बाओ को समझ नहीं आया कि हो क्या रहा है. मंगलवार को उसे अधिकारियों ने एक बड़े पिंजरे में बंद कर एयरपोर्ट पहुंचाया. वहां अमेरिकी डिलिवरी कंपनी फेडएक्स का मालवाहक विमान खड़ा था. बाओ बाओ का ख्याल रखने वाले मार्टी डियरी भी विमान में चढ़े.
16 घंटे के बाद विमान चीन के चेंग्दू शुआंगलिऊ एयरपोर्ट पर था. अमेरिका में पैदा हुई बाओ बाओ पहली बार अपने पुरखों की धरती पर थी. अब बाओ बाओ महीने भर चीन के पांडा कंर्जेवेशन एंड रिसर्च सेंटर में रहेगी. वहां पहली बार उसे एक नर साथी मिलेगा और सब कुछ उम्मीद के मुताबिक हुआ तो बाओ बाओ गर्भवती होगी.
प्रजनन के लिए हजारों किलोमीटर की उड़ान भर चीन पहुंचने वाली बाओ बाओ अकेली पांडा नहीं है. दुनिया भर के ज्यादातर चिड़ियाघरों में जितने भी पांडा हैं, उनमें से ज्यादातर चीन ने कर्ज पर दिये हैं. ऐसे पांडा जब बच्चे पैदा करते हैं तो उन बच्चों को भी समझौते के मुताबिक प्रजनन कार्यक्रम के लिए चीन भेजना पड़ता है. ऐसा जन्म के बाद चार साल के भीतर किया जाता है.
चीन के प्रजजन केंद्र में पांडाओं का खास जीन पूल बनाया गया है. पांडा अपने ही जीन ग्रुप में प्रजनन न करें, इसे टालने का काम इस सेंटर में किया जाता है. अपने जीन पूल में प्रजजन करने से कई गंभीर बीमारियां सामने आती हैं. इससे भावी नस्लें कमजोर भी हो जाती है. इसीलिए दुनिया भर के पांडाओं को चीन पहुंचाकर जीन पूल की विविधता को बरकरार रखा जाता है.
1982 से पहले चीन दूसरे देशों को तोहफे में पांडा देता था. लेकिन 1982 में एक साथ 23 पांडाओं की मौत हो गई. इसके बाद चीन ने अपनी नीति बदली और तोहफे की जगह कर्ज पर पांडा देने शुरू किये. पांडा भालू परिवार का सदस्य है. लेकिन ये शाकाहारी होता है. पांडा मुख्य रूप से बांस और फल खाता है. फिलहाल पांडा खतरे में पड़े जीवों की सूची में शामिल हैं.
(कैसी जिंदगी जीते हैं पांडा)
ओएसजे/एमजे (रॉयटर्स)