डब्ल्यूटीओ में खाद्य सुरक्षा बिल पर विवाद
२ दिसम्बर २०१३बाली में होने वाले डब्ल्यूटीओ के इस सम्मेलन का उद्देश्य है कि 2001 में शुरू हुई दोहा वार्ता को आखिरकार सुलझाकर आगे बढ़ाया जाए. दोहा वार्ता के तहत देशों में मुक्त व्यापार को बढ़ावा देने के लिए बाधाओं को हटाने की बात की गई थी. यह बाधायें भारत, चीन, दक्षिण कोरिया और ब्राजील की मांगों की वजह से अब तक बनी हुई हैं. खाद्य पदार्थों के आयात और निर्यात को लेकर देशों के बीच विवाद छिड़ा हुआ है.
पिछले हफ्ते डब्ल्यूटीओ के नए प्रमुख रोबर्तो आजेवेदो ने जिनेवा में विकसित और विकासशील देशों के बीच समझौता कराने की कोशिश की. बाली में इंडोनेशियाई व्यापार मंत्री गीता वीर्जवान ने कहा है कि इस बार डब्ल्यूटीओ में शामिल 159 देशों के वित्त मंत्रियों में समझौता हो सकता है.
हालांकि इस सम्मेलन में भारत का खाद्य कार्यक्रम एक बड़ा अड़ंगा साबित हो सकता है. खाद्य सामग्री को लेकर भारत ने डब्ल्यूटीओ समझौते में मांगों को बदलने की बात कही है ताकि किसानों को और रियायत दी जा सके. भारत सरकार का मानना है कि इस वक्त के व्यापार समझौतों से खाद्य विधेयक को नुकसान पहुंच सकता है.
बाली समझौते के मसौदे के मुताबिक खाद्य सामग्री के लिए रियायत केवल चार साल तक दी जाती है. लेकिन डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों का मानना है कि भारत लंबे वक्त के लिए इस नियम से छूट लेने की कोशिश करेगा. भारत में आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर भी सरकार दबाव में है.
भारत सरकार ने भी साफ साफ कह दिया है कि वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा सम्मेलन में खाद्य सुरक्षा के मकसद को लेकर अटल रहेंगे. हालांकि शर्मा यह भी कहते हैं कि भारत बाली समझौते पर कोई रोक नहीं लगाएगा.
एमजी/ओएसजे (रॉयटर्स, एएफपी)