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ट्रांसलेट कर दुनिया को करीब लाता गूगल

२३ दिसम्बर २०१२

गूगल ट्रांसलेटर और इंटरनेट पर मौजूद अनुवाद करने वाले कई सॉफ्टवेयर दुनिया को और भी छोटा बनाते जा रहे हैं. वक्त के साथ ये बेहतर हो रहे हैं और भाषा संबंधी दिक्कतों को दूर कर लोगों को एक दूसरे से जोड़ रहे हैं.

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तस्वीर: DW/D. Fong

इंटरनेट लोगों को एक दूसरे से जोड़ता है, लेकिन जहां अलग अलग भाषाएं आ जाती हैं वहां संवाद करने में, एक दूसरे को समझने में मुश्किल होने लगती है. ऐसे में गूगल ट्रांसलेट और माइक्रोसॉफ्ट बिंग लोगों के लिए काफी मददगार साबित हो रहे हैं. गूगल के ट्रांसलेशन टूल की जिम्मेदारी संभाल रहे फ्रांस जिसेफ ओख के अनुसार हर महीने कम से कम बीस करोड़ लोग गूगल ट्रांसलेट को इस्तेमाल करते हैं. अपने ब्लॉग पर उन्होंने लिखा, "दुनिया में सब से ज्यादा अनुवाद अब गूगल ट्रांसलेट की ही मदद से होते हैं."

लेकिन फ्रांस इन मशीनी अनुवादों की दिक्कतों को भी जानते हैं. वह मानते हैं की अभी इन्हें सुधारने के लिए बहुत कुछ करना बाकी है. डॉयचे वेले से बातचीत में उन्होंने कहा, "अगर कोई वेबसाइट फ्रेंच में है और आप फ्रैंच नहीं जानते तो आप उसका अनुवाद कर सकते हैं. हां, मशीनी अनुवाद उतना अच्छा नहीं होगा जितना किसी व्यक्ति द्वारा किया गया. लेकिन आप उसे समझ सकते हैं."

इन मशीनी अनुवादों के लिए कई तरह के कोड का इस्तेमाल होता है. दरअसल मशीन इंटरनेट पर लोगों द्वारा किए गए अनुवादों को जमा करती है और उसके अनुसार खुद ही एक कोड तैयार करती है जिसे वह इस्तेमाल कर सके. यह तरीका 1990 में आईबीएम के इंजीनियर ने खोज निकाला था. गूगल की तरह बिंग भी इसी तरीके का इस्तेमाल करता है. इंटरनेट पर मौजूद अन्य किसी भी ट्रांसलेशन सॉफ्टवेयर की तुलना में यह दोनों सबसे सटीक नतीजे देते हैं. हालांकि कुछ साल पहले के नतीजों से इनकी तुलना की जाए तो पता चलता है कि किस तरह से कोड को बेहतर बनाने पर काम किया गया है.

Symbolbild Chinas große Firewall
भाषा की सीमा तोड़ता गूगलतस्वीर: picture-alliance/dpa

जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अलयोशा बुर्खार्ट बताते हैं, "कुछ विषयों में आपको बहुत अच्छे नतीजे मिल जाएंगे, जैसे कि संसद में हुई बहस. ऐसा इसलिए है कि वही आलेख इंटरनेट में यूरोपीय संघ या संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियुक्त किए गए अनुवादकों द्वारा कई भाषाओं में उपलब्ध है." लेकिन जिन क्षेत्रों में ऐसा नहीं है, वहां आपको बहुत ही बुरा अनुवाद मिलेगा, मिसाल के तौर पर जीव विज्ञान में.

खास तौर जहां किसी एक शब्द के कई अर्थ हों, वहां मशीन तय ही नहीं कर पाती कि कौनसा अनुवाद सही है. ऐसे में बैंक का मतलब पैसे वाला बैंक भी हो सकता है और नदी का तट भी. इसके अलावा गूगल यह भी खुद तय नहीं कर पाता कि इंटरनेट पर मौजूद अनुवाद किसी इंसान ने किए हैं या मशीन ने. ऐसे में वह अपने किए अनुवादों को ही मानक मान लेता है और बार बार गलत अनुवाद को इस्तेमाल करने लगता है.

फेसबुक और अन्य साइटों पर भी अब अनुवाद का विकल्प दिखता है. तो अगर आपका कोई मित्र जर्मन में टिपण्णी करे जिसे आप समझ न सकें, उसे आप अंग्रेजी में अनुवाद कर के पढ़ सकते हैं. ऐसे में यह बात तो माननी ही पड़ेगी कि इंटरनेट की ये करामात दुनिया को करीब तो ला ही रही है.

रिपोर्ट: डायना फोंग/आईबी

संपादन: ओंकार सिंह जनौटी

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