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ट्रंप ने टैक्स बढ़ाया तो चीन ऐसे लेगा बदला

९ मई २०१९

वॉशिंगटन में अमेरिकी पक्ष से बातचीत करने पहुंचा चीनी पक्ष अपने हितों की रक्षा के लिए राष्ट्रपति ट्रंप के टैक्स बढ़ाने का वाजिब जबाव देने को तैयार है. देखिए क्या क्या कर सकता है चीन.

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USA China l Handelsstreit l Banknoten - Dollar und Yuan
तस्वीर: Reuters/J. Lee

अगर अमेरिका चीन से आयात की जा रही चीजों पर भारी टैक्स लागू कर देता है, तो चीन भी "जरूरी जवाबी कार्रवाई" करने से पीछे नहीं हटेगा. चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने फिलहाल इन कार्रवाइयों का खुलासा ना करते हुए सिर्फ इतना बताया है कि बीजिंग ने इसके लिए "सभी जरूरी तैयारियां" कर ली हैं. इससे पता चलता है कि चीन इस कारोबारी युद्ध के और गंभीर होने की स्थिति के लिए तैयार है.

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने चीन के 200 अरब डॉलर के आयात पर इंपोर्ट ड्यूटी 10 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी करने की धमकी दी थी. ट्रंप की शिकायत है कि चीन अपने पहले के तय किए समझौतों से पीछे हटने की कोशिश कर रहा है. चीनी वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता गाओ फेंग का कहना है कि बीजिंग "अपने हितों को सुरक्षित रखने के काबिल और दृढसंकल्प है."

विश्व की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच जारी व्यापारिक धमकियों ने दुनिया भर के बाजारों को हिला दिया है. शेयर बाजार में भारी घाटे की आशंकाएं जताई जा रही हैं. डीबीएस ग्रुप के विश्लेषक फिलिप वी ने एक रिसर्च नोट में लिखा है कि अगर टैरिफ वाकई बढ़ जाता है तो "वित्तीय बाजार के ठप्प होने, निवेश में जोखिम और वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी का खतरा बढ़ा जाएगा."

USA China l Handelsstreit l Aufbau Handelskonferenz in Peking
तस्वीर: Reuters/M. Schiefelbein

इस हफ्ते के पहले तक ऐसा लग रहा था जैसे दोनों पक्षों के बीच बातचीत सही दिखा में बढ़ रही है. इस धारणा के चलते भी वैश्विक बाजारों में स्थिरता देखने को मिल रही थी. लेकिन अब अर्थशास्त्री चेतावनी देने लगे हैं कि निवेशकों को जिस व्यापारिक समझौते की उम्मीद थी, शायद अभी उस तक पहुंचना दूर हो.

बीती जुलाई में ही अमेरिका ने करीब 250 अरब डॉलर के चीनी आयात पर शुल्क बढ़ाया था. अमेरिका ने इसकी वजह चीन की एक नीति को बताया था जिसे लेकर विदेशी कंपनियां लगातार शिकायतें कर रही थीं. आरोप था कि चीन इन कंपनियों की तकनीक चुरा रहा है और उन पर अपनी तकनीकी जानकारी चीन के हवाले करने का दबाव डाल रही है. जुलाई 2018 में अमेरिका ने चीन के 50 अरब डॉलर की वस्तुओं पर 25 फीसदी और 200 अरब डॉलर के आयात पर 10 फीसदी आयात शुल्क लगाए थे.

इसका जवाब चीन ने 110 अरब डॉलर के अमेरिकी आयातों पर पेनाल्टी लगा कर दिया था. लेकिन आगे वो यही कदम नहीं उठा सकता क्योंकि वह अमेरिका से आयात से कहीं ज्यादा निर्यात करता है. अमेरिका के साथ उसका व्यापार काफी हद तक एकतरफा है. दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा दुनिया के किन्हीं भी दो देशों में सबसे ज्यादा है. चीन से अमेरिका को होने वाला निर्यात इस अप्रैल में बीते साल के मुकाबले 13 फीसदी कम हो गया है. इस साल की शुरुआत से देखा जाए तो इसमें करीब 9.7 फीसदी की कमी आई है. इसके कारण अप्रैल में कुल चीनी निर्यात में 2.7 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई. जबकि अनुमान था कि इसमें ईकाई अंकों की बढ़त देखने को मिलेगी. अमेरिकी चीजों का चीन में आयात 26 फीसदी गिर गया है. बीजिंग चाहे तो कुछ और नए तरह के टैक्स लगा कर अमेरिका को परेशान कर सकता है. प्रशासन चीन में कार्यरत अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ ऐंटी-मोनोपोली या दूसरे मामलों में जांच बैठा कर कंपनियों का कामकाज प्रभावित कर सकता है.

अमेरिका चाहता है कि चीन सरकारी नेतृत्व वाले ऐसे सेंटर बनाने की योजना बंद करे जिसमें वह रोबोटिक्स, इलेक्ट्रिक कारों और दूसरे नवीनतम तकनीकी क्षेत्रों में काम कर रही चीन की प्रतिद्वंद्वी कंपनियों को बसाना चाहता है. अमेरिका के अलावा यूरोप, जापान और दूसरे व्यापारिक साझेदार भी चीन की इस योजना का विरोध कर रहे हैं और इसे मुक्त बाजार के उसूलों के खिलाफ मानते हैं. गुरुवार और शुक्रवार को वॉशिंगटन में होने वाली द्विपक्षीय वार्ता से इस ट्रेड वॉर के शांत पड़ने या और भी जोर पकड़ने की दिशा तय होगी.

आरपी/एमजे (एपी, रॉयटर्स)

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